सांता क्लारा (अमेरिका),अमेरिका में स्थित भारत केंद्रित शीर्ष व्यवसाय और रणनीतिक समूह के प्रमुख मुकेश अघी ने कहा कि चीन कभी भारत को एक समान साझेदार नहीं मानेगा और सीमा पर सैनिकों को एकत्रित कर वह नयी दिल्ली को पूंजी निवेश की तुलना में रक्षा पर अधिक पैसा खर्च करने के लिए मजबूर कर रहा है।
भारत और चीन की सेनाओं के बीच मई 2020 से पूर्वी लद्दाख में गतिरोध बना हुआ है और दोनों पक्षों के बीच कई दौर की कूटनीतिक व सैन्य वार्ता के बावजूद सीमा विवाद का कोई पूर्ण समाधान नहीं निकला है।
‘यूएस-इंडिया स्ट्रैटेजिक एंड पार्टनरशिप फोरम’ (यूएसआईएसपीएफ) के अध्यक्ष अघी ने कहा, ‘‘आज हम जो देख रहे हैं, वह मानव जाति के इतिहास में पहली बार है जब 1.4 अरब की आबादी वाले एक लोकतांत्रिक देश ने आर्थिक क्षेत्र में तेजी से वृद्धि दिखायी है।’’
उन्होंने कहा कि सात-आठ प्रतिशत की दर से वृद्धि कर रही भारत की अर्थव्यवस्था अब चार लाख करोड़ डॉलर को छू रही है
उन्होंने भारतीय-अमेरिकी उद्यमियों से कहा, ‘‘जब आप करीब 1.50 लाख अरब के वैश्विक सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) से तुलना करेंगे तो यह अब भी बहुत कम है। हम वैश्विक जीडीपी के करीब 3 से 3.5 फीसदी के आसपास हैं।’’
उन्होंने एक मई से तीन मई तक टीआईई सिलिकॉन वैली द्वारा आयोजित उद्यमियों और प्रौद्योगिकी पेशवरों की सबसे बड़ी सभा टीआईईकॉन में ‘न्यू ग्लोबल इंडिया’ चर्चा में भाग लेने के दौरान ये टिप्पणियां कीं।
अघी ने कहा, ‘‘चीन एक सैन्य शक्ति, एक आर्थिक और प्रौद्योगिकी शक्ति है। मूल रूप से उसका उद्देश्य एशिया प्रशांत से शुरूआत करते हुए विश्व में वर्चस्व स्थापित करने का है। वह भारत को एक चुनौती के रूप में देखता है।’’