एआईएफएफ कार्यकारी समिति ने महासंघ की पॉश नीति को मंजूरी दी

नयी दिल्ली, अपनी कार्यकारी समिति के सदस्य दीपक शर्मा के खिलाफ शारीरिक उत्पीड़न के आरोपों से आहत अखिल भारतीय फुटबॉल महासंघ (एआईएफएफ) ने बुधवार को एआईएफएफ यौन उत्पीड़न रोकथाम (पॉश) नीति को मंजूरी दी और उसे तत्काल प्रभाव से लागू करने का फैसला किया।

राष्ट्रीय महासंघ ने बयान में कहा कि एआईएफएफ कार्यकारी समिति ने इस मामले में गहन विचार विमर्श करने के बाद यह फैसला किया।

एआईएफएफ पॉश नीति का उद्देश्य फुटबॉल समुदाय के अंदर सुरक्षित और समावेशी वातावरण सुनिश्चित करना है। यह पॉश अधिनियम 2013 पर आधारित है तथा इसे एआईएफएफ की कानूनी टीम ने अच्छी तरह से जांचा परखा है।

यह फैसला शर्मा पर लगाए गए शारीरिक उत्पीड़न के आरोपों के कुछ सप्ताह बाद आया है। शर्मा कार्यकारी समिति के सदस्य हैं तथा हिमाचल प्रदेश के एक फुटबॉल क्लब खाद एचसी के मालिक हैं। उन पर दो महिला फुटबॉल खिलाड़ियों ने 28 मार्च की रात को नशे की हालत में शारीरिक उत्पीड़न करने का आरोप लगाया था।

इसके बाद गोवा पुलिस ने शर्मा को गिरफ्तार कर लिया था और बाद में उन्हें जमानत पर रिहा कर दिया गया था।

एक अन्य मामले में एआईएफएफ मुख्यालय में एक महिला कर्मचारी ने पुरुष सहकर्मी के खिलाफ ‘उत्पीड़न’ की ‘मौखिक’ शिकायत दर्ज कराई थी। उन्होंने हालांकि औपचारिक आरोप नहीं लगाया था।

इससे लगभग दो साल पहले एलेक्स एम्ब्रोस से जुड़ा यौन उत्पीड़न का मामला भी सामने आया था। यह घटना जुलाई 2022 में सामने आई थी जब भारतीय अंडर-17 महिला फुटबॉल टीम के सहायक मुख्य कोच एम्ब्रोस को उच्चतम न्यायालय से नियुक्त और तब महासंघ का कामकाज देख रही प्रशासकों की समिति (सीओए) ने यौन दुर्व्यवहार के आरोप में बर्खास्त कर दिया था।

एआईएफएफ के कार्यवाहक महासचिव एम सत्यनारायण ने कहा, ‘‘एआईएफएफ के स्टाफ के लिए पॉश नीति की सख्त जरूरत थी। हमने इसे पॉश अधिनियम 2013 के अनुसार तैयार किया है। इसके अलावा कुछ अन्य संगठनों की नीतियों का भी सहारा लिया गया है।’’