चिंता का विषय है भूजल स्तर में गिरावट

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भारत में भूजल स्तर में गिरावट एक प्रमुख चिंता का विषय है क्योंकि यह पेयजल का प्राथमिक स्रोत है। भारत में भूजल की कमी के कुछ प्रमुख कारणों में भूजल का अत्यधिक दोहन, शहरीकरण और जलवायु परिवर्तन शामिल हैं। भारत के केंद्रीय भूजल बोर्ड  (ष्टद्गठ्ठह्लह्म्ड्डद्य त्रह्म्शह्वठ्ठस्र ङ्खड्डह्लद्गह्म् क्चशड्डह्म्स्र- ष्टत्रङ्खक्च) के अनुसार, भारत में उपयोग किये जाने वाले कुल जल का लगभग 70 प्रतिशत भूजल स्रोतों से प्राप्त होता है। ष्टत्रङ्खक्च का यह भी अनुमान है कि देश के कुल भूजल निष्कर्षण का लगभग 25 प्रतिशत असंवहनीय है, यानी पुनर्भरण की तुलना में निष्कर्षण दर अधिक है। समग्र रूप से, भारत में भूजल की कमी एक गंभीर समस्या है।
भूजल यानी धरती के भीतर का पानी, जिसे हम पंप से खींचते हैं, हैंडपंप से निकालते हैं, या गहरा बोर करके निकालते हैं। प्रदेश के बहुत से इलाकों में भूजल का स्तर लगातार नीचे गिरता जा रहा है, खासकर शहरों की कालोनियों में तो पानी बहुत तेजी से गिर रहा है। औद्योगिक इलाकों का हाल इससे भी बुरा है। भूजल कुछ हद तक तो बरसात के पानी से प्राकृतिक रूप से ही रिचार्ज हो जाता है, लेकिन अब हमारे शहरों की बनावट इस तरह की हो गई है कि बरसात का पानी अपने आप शहरी जमीन में पक्की सड़कें, पक्के मकान और दूसरे सीमेंट के स्ट्रक्चर के कारण जमीन के अंदर जा नहीं पाता है। जब वर्षा का पानी भूजल के रूप में जमीन में नहीं जा पाता है तो जमीन के अंदर बहने वाली गुप्त जलधाराएं, जिन्हें हम एक्वाफिर कहते हैं, वह भी काम नहीं कर पाते हैं। यानी भूजल का धरती के अंदर एक जगह से दूसरी जगह जाने का सिलसिला रुक जाता है। यह सभी शहरों की सबसे बड़ी चुनौती है।
तो इसका उपाय क्या किया जाए। इसका अभी सबसे अच्छा उपाय तो यह है कि जो भी नई कॉलोनियां बनें, जो भी नए कमर्शियल कॉम्पलेक्स बनें या कोई भी इमारत हम बनाएं, उसमें ग्राउंड वाटर रिचार्ज सिस्टम जरूर लगाएं। इसके अलावा जिन लोगों के घर पहले से बने हुए हैं, वे लोग भी ग्राउंडवाटर रिचार्ज सिस्टम अपने घरों में लगवा सकते हैं। इससे फायदा यह होता है कि बरसात में जो पानी आपके घर की छत पर गिरता है, कम से कम वह पूरा का पूरा पानी आप अपने घर और आसपास की जमीन के अंदर डाल सकते हैं। इस प्रक्रिया में सबसे ज्यादा ग्राउंड वाटर आपके आसपास ही रिचार्ज होता है, जिससे आपके यहां की वाटर टेबल अपेक्षाकृत धीमे धीमे नीचे जाती है। अगर आप बोरिंग के जरिए पानी नहीं निकाल रहे हैं तब तो आपके पास का भूजल ऊंचा हो जाता है।
भूजल की कमी के प्रमुख कारण
बढ़ते तापमान और वर्षा के बदलते पैटर्न भूजल जलभृतों (त्रह्म्शह्वठ्ठस्र2ड्डह्लद्गह्म् ्रह्नह्वद्बद्घद्गह्म्ह्य) की पुनर्भरण दरों को बदलते हैं, जिससे भूजल स्तर में और कमी आती है। सूखा, फ्लैश फ्लड और बाधित मानसूनी घटनाएँ जलवायु परिवर्तन की घटनाओं के हालिया उदाहरण हैं जो भारत के भूजल संसाधनों पर दबाव बढ़ा रहे हैं। जल का अकुशल उपयोग, रिसते पाइप और वर्षा जल संचयन के लिये अपर्याप्त अवसंरचना—ये सभी भूजल की कमी में योगदान कर सकते हैं। वनों की कटाई जैसे कारकों से भूजल जलभृतों का प्राकृतिक पुनर्भरण कम हो सकता है, क्योंकि इससे मृदा अपरदन बढ़ सकता है और मृदा में रिसते, जलभृतों का पुनर्भरण करते जल की मात्रा में कमी आती है।
वैकल्पिक स्रोतों, जैसे उपचारित अपशिष्ट जल, के उपयोग को प्रोत्साहित करने से भूजल की मांग को कम करने में मदद मिल सकती है। ‘ग्रे वाटरÓ और ‘ब्लैक वाटरÓ के लिये दोहरी सीवेज प्रणाली विकसित करने के साथ-साथ कृषि और बागवानी में पुनर्चक्रित जल के पुन:उपयोग को बढ़ावा दिया जाना चाहिये। जल संरक्षण के महत्व और भूजल की कमी को रोकने की आवश्यकता के बारे में जागरूकता बढ़ाने से व्यक्तियों एवं समुदायों को संवहनीय जल उपयोग अभ्यासों को अपनाने के लिये प्रोत्साहित करने में मदद मिल सकती है। आप सब जानते ही हैं कि जल है तो कल है। हमारी सभ्यता और संस्कृति नदियों के किनारे यानी जल के किनारे ही विकसित हुई है। और हमारी कई राजधानियां इसीलिए उजड़ी गई कि वहां पर पानी उपलब्ध नहीं था। हम अपने इतिहास से सबक सीखें और पानी को बचाकर अपने जीवन को भी बचाएं।