युग प्रवर्तक हैं प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी

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नए संकल्पों का सृजन करने वाला,बदलाव का वाहक,युग की आवश्यकताओं-आकांक्षाओं को समझते हुए चिंतन करने वाला और उस चिंतन को क्रियान्वित करने वाला व्यक्तित्व युग प्रवर्तक के रूप में जाना जाता है। उसके विजन,निस्वार्थ भावना और विश्वसनीयता के कारण वह जनप्रिय बन जाता है। जनता उसकी वाणी अथवा आह्वान में साथ चलती है। क्या नरेंद्र मोदी ऐसे आकाशधर्मा व्यक्तित्व नहीं हैं?
    भारतवर्ष विशाल देश है। अपने अर्थ में ही यह देश ज्ञान, आभा अथवा प्रकाश को चारों ओर फैलाने में लगा हुआ का सूचक है। इसकी विविधता जहाँ एक ओर सभी को आकर्षित करती है, वहीं दूसरी ओर इसमें चुनौतियाँ भी विद्यमान है। भारत भूमि पर चंद्रगुप्त, सम्राटअशोक, छत्रपति शिवाजी, पृथ्वीराज चौहान जैसे वीर हुए हैं तो गौतम,वशिष्ठ,वाल्मीकि,वेदव्यास जैसे ज्ञानी हुए हैं। भारतवर्ष का इतिहास युग प्रवर्तक व्यक्तित्वों से भरा हुआ है। यहाँ समाज सुधारों के लिए राजा राममोहन राय एवं दयानंद सरस्वती जैसे व्यक्तित्वों का आविर्भाव हुआ तो स्वामी विवेकानंद ने वैश्विक पटल पर अध्यात्म का डंका बजाया। सर्वविदित है कि स्वतंत्रता आंदोलन में महात्मा गांधी की बड़ी भूमिका रही और अनेक रूपों में वह समय गांधी युग के नाम से जाना गया। उनके व्यक्तित्व-कृतित्व के कारण ही देश उनके पीछे चला। देश आजाद हुआ तो कुछ तथाकथित बुद्धिजीवियों ने नेहरू को आधुनिक भारत का निर्माता कहकर महिमा मंडित किया, किंतु यह भी सर्वविदित है कि आजादी के बाद सामान्य व्यक्ति के सपने टूटते चले गए, मूलभूत सुविधाओं का अभाव जो आजादी से पहले था, वह भी अनेक रूपों में बना रहा। छोटे-मोटे विकासात्मक कार्य भी झूठा सच ही साबित हुए। सिनेमा व साहित्य में इसके प्रमाण सहज उपलब्ध हैं।
      स्वतंत्रता के बाद से भारतवर्ष लगातार युग प्रवर्तक व्यक्तित्व की आवश्यकता महसूस कर रहा था, जिसकी पूर्ति वर्ष 2014 में नरेंद्र मोदी के प्रधानमंत्री बनने के रूप में दिखाई देती है। प्रधानमंत्री के रूप में अपने पहले ही कार्यकाल में उन्होंने किसान, गरीब, मजदूर,महिला, युवा, गांव, शहर आदि के कल्याण के लिए अभूतपूर्व कार्य किया। स्वच्छ भारत,शौचालय युक्त भारत, मेक इन इंडिया, मेड इन इंडिया, प्रधानमंत्री जन धन योजना, स्किल इंडिया, नारी सशक्तिकरण, डिजिटल इंडिया, बेटी बचाओ- बेटी पढ़ाओ जैसे अनेक संकल्प  सिद्धि तक पहुंचे। लंबे समय से देश का सामान्य व्यक्ति एक ऐसे व्यक्तित्व के इंतजार में था जो सबको साथ लेकर देश को विकास की ओर बढ़ा सके। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की उपस्थिति प्रत्येक स्थान पर एवं प्रत्येक व्यक्ति के साथ रहती है। अनेक अवसरों पर उनके आह्वान से देश एकजुट होकर चला है। उनके द्वारा मन की बात,परीक्षा पे चर्चा, पीएम विश्वकर्मा योजना, प्रधानमंत्री आवास योजना, आयुष्मान भारत योजना, कृषि एवं कृषक कल्याण योजना आदि अनेक ऐसे महत्वपूर्ण कार्यक्रम एवं योजनाएं हैं जहाँ वे सबसे जुड़कर और सबको जोड़कर सकारात्मक वातावरण का निर्माण कर रहे हैं। निहित स्वार्थों की पूर्ति हेतु विपक्ष अनेक अवसरों पर उनकी आलोचना करता है। असंवैधानिक शब्दावली का प्रयोग भी करता है। लेकिन वे सहज भाव से विकसित भारत के मिशन में लगे हुए हैं।
      प्रधानमंत्री मोदी मूल से जुड़े हुए व्यक्ति हैं। भारतवर्ष की राष्ट्रीय एवं सांस्कृतिक  चेतना उनके संस्कार और विचार में विद्यमान है। कश्मीर से अनुच्छेद 370 का हटाना,राम मंदिर मुद्दे का समाधान, तीन तलाक के संबंध में महत्वपूर्ण कानून, नागरिकता संशोधन कानून आदि अनेक ऐसे महत्वपूर्ण मुद्दे एवं उपलब्धियां हैं जिन पर स्वतंत्रता के बाद कभी सोचा ही नहीं गया। विपक्ष अनेक बार दंगे-फसाद व खून खराबे का हवाला देकर इन मुद्दों को न छेड़ने अथवा इनके विरोध में धरने-प्रदर्शन की राह पर चलता रहा,लेकिन पूरे देश ने देखा कि इस प्रकार के महत्वपूर्ण मुद्दे संवैधानिक व्यवस्थाओं का पालन करते हुए हल हुए और सभी ने उनके महत्व को समझते हुए उन निर्णयों को स्वीकार भी किया। विपक्ष कई बार जाति, संप्रदाय, भाषा अथवा क्षेत्रीयता के आधार पर भेद पैदा करने का प्रयास करता रहा है,लेकिन प्रधानमंत्री के रूप में नरेंद्र मोदी उन सभी विषयों पर सबको साथ लेकर बिना किसी जाति,संप्रदाय का भेद किए आगे बढ़ रहे हैं।

 

 उन्होंने स्पष्ट रूप से कहा है कि- विकसित भारत के सपने को पूरा करने के लिए मेरा प्रत्येक क्षण देश के लिए है। उन्होंने राजनीति को राष्ट्रनीति और साधना के भाव से आरंभ किया। वे विश्व के एकमात्र ऐसे नेता हैं जिनका संवैधानिक पदों पर कार्यकाल सबसे अधिक है। वे जहाँ भी,जिस भी भूमिका में होते हैं अपने विचारों से नई और बड़ी लाइन खींचते हैं। वे भारतीय चिंतन को साथ लेकर आगे बढ़ते हैं। वसुधैव कुटुंबकम् की भावना और सर्वे भवंतु सुखिन: की कामना उनके विचार और कार्य प्रणाली का मूल है। उन्होंने राष्ट्रीय एवं अंतर्राष्ट्रीय मंचों पर यह स्पष्ट किया है कि वसुधैव कुटुंबकम् हमारे लिए कोई नई चीज नहीं है अपितु यह हमारा जीवन दर्शन है, जिसके तहत हम पूरे विश्व को एक परिवार मानते हैं। आतंकवाद, भ्रष्टाचार, ड्रग्स, अवैध हथियार, मनी लॉन्ड्रिंग, जलवायु परिवर्तन, प्लास्टिक, प्रदूषण, आपसी सहयोग,शांति, विस्तारवाद का विरोध आदि अनेक ऐसे महत्वपूर्ण राष्ट्रीय और वैश्विक मुद्दे एवं चुनौतियां हैं जिनके समाधान के लिए प्रधानमंत्री मोदी ने न केवल वातावरण निर्मित किया है अपितु इनके लिए अपनी सक्रिय भागीदारी भी निभा रहे हैं। विश्व के अनेक देश उन्हें सर्वोच्च सम्मान से सम्मानित कर चुके हैं। नरेंद्र मोदी वैश्विक लोकप्रियता में लंबे समय से शिखर पर हैं। विश्व के अनेक देश आज विभिन्न गंभीर चुनौतियों के समाधान हेतु प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में आगे बढ़ रहे हैं। वर्ष 2021 में ग्लासगो में आयोजित काॅप 26 सम्मेलन में सबसे पहले प्रधानमंत्री मोदी ने मिशन लाइफ पर विचार रखे थे। विगत दिनों गुजरात के केवड़िया से इस अभियान की शुरुआत हो चुकी है। इसका उद्देश्य जलवायु परिवर्तन के विनाशकारी प्रभावों से धरती को बचाना है।

 स्पष्टत: आज राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय फलक पर नरेंद्र मोदी युग प्रवर्तक की भूमिका में आगे बढ़ रहे हैं। मोदी की गारंटी से न केवल भारत अपितु विश्व भी आशान्वित हो रहा है। वह एक ऐसे व्यक्तित्व बन चुके हैं जो पत्थर पर लकीर खींचने में विश्वास रखते हैं। जिस प्रकार साहित्य के क्षेत्र में भारतेंदु युग, द्विवेदी युग और स्वतंत्रता आंदोलन में गांधी युग नेतृत्वकर्ताओं के व्यक्तित्व- कृतित्व के साक्षी हैं। उसी प्रकार आज तमाम आलोचना और चुनौतियों के बीच नरेंद्र मोदी युग प्रवर्तक की भूमिका में नए भारत, समर्थ भारत, आत्मनिर्भर भारत, विकसित भारत और विश्वगुरु भारत का संकल्प लेकर आगे बढ़ रहे हैं। यह समय राष्ट्रीय और वैश्विक फलक पर भारतवर्ष के नवजागरण का है। भिन्न-भिन्न रूपों में भारतवर्ष महाशक्ति बने, इसका उद्घोष नरेंद्र मोदी कर चुके हैं। कालचक्र की गति बदल रही है। विजन और विश्वसनीयता के अभाव में समूचा विपक्ष बिखरता जा रहा है। नरेंद्र मोदी युग प्रवर्तक की भूमिका में आगे बढ़ रहे हैं। समूची मानवता के कल्याण के लिए नियति बार-बार भारतवर्ष की महत्वपूर्ण भूमिका का संकेत कर रही है। आइए, हम भी उस महत्वपूर्ण भूमिका में अपनी भागीदारी सुनिश्चित करें।

डॉ.वेदप्रकाश
असिस्टेंट प्रोफेसर,
किरोड़ीमल कॉलेज, दिल्ली विश्वविद्यालय