सिरो मालाबार चर्च के तहत केरल के गिरजाघर में मणिपुर हिंसा वृत्तचित्र का प्रदर्शन किया गया

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कोच्चि,सिरो-मालाबार कैथोलिक चर्च के इडुक्की डायोसीज द्वारा विवादास्पद फिल्म ‘द केरल स्टोरी’ के प्रदर्शन के बाद एर्नाकुलम-अंगामाली डायोसीज के तहत एक गिरजाघर ने बुधवार को उसकी अवकाशकालीन धार्मिक शिक्षा कक्षाओं में भाग लेने वाले छात्रों को मणिपुर हिंसा पर एक वृत्तचित्र दिखाया गया।

मणिपुर में हिंसा पर बने वृत्तचित्र ‘क्राई ऑफ द ऑप्रेस्ड’ को प्रभावशाली सिरो मालाबार कैथोलिक चर्च के तहत संजोपुरम सेंट जोसेफ गिरजाघर में लगभग 125 छात्रों के लिए प्रदर्शित किया गया।

चर्च के पादरी फादर जेम्स पानावेलिल ने कहा कि ‘द केरल स्टोरी’ एक दुष्प्रचार के लिये बनाई गई फिल्म है और इसे चर्च द्वारा प्रदर्शित नहीं किया जाना चाहिए।

उन्होंने ‘पीटीआई-भाषा’ से कहा, “मेरा विचार था कि ऐसी प्रचार फिल्म बच्चों की कक्षा में नहीं होनी चाहिए। अगर हम ऐसा करेंगे तो हम भी उस दुष्प्रचार का हिस्सा बन जायेंगे। तो उस विवाद से दूर रहने और मणिपुर में हुई हिंसा को न भूलने का संदेश देने के लिए 15 मिनट लंबा वृत्तचित्र दिखाया गया।”

फादर पनावेलिल ने आगे कहा कि मणिपुर में जो हुआ वह कोई अतिशयोक्ति या झूठ या ऐसा कुछ नहीं था जो हुआ ही नहीं।

उन्होंने कहा, “यह कुछ ऐसा था जो घटित हुआ और स्वयं चर्च नेतृत्व ने इसकी निंदा की। तो वृत्तचित्र दिखाने में गलत क्या है? साथ ही, हम जानते हैं कि ‘द केरल स्टोरी’ को दिखाने की आवश्यकता नहीं थी।”

उन्होंने ‘द केरल स्टोरी’ का जिक्र करते हुए कहा, “जहां तक मेरा सवाल है, चर्च को दुष्प्रचार फिल्म का हिस्सा नहीं बनना चाहिए, खासकर चुनाव के दौरान।”

एक टीवी चैनल से बात करते हुए उन्होंने कहा कि ‘द केरल स्टोरी’,” ‘द कश्मीर फाइल्स’ की तरह संघ परिवार का एक सुनियोजित एजेंडा या दुष्प्रचार थी” और आम लोग यह जानते हैं।

उन्होंने कहा कि वह उन लोगों की आस्था या प्रतिबद्धता पर टिप्पणी नहीं करेंगे जिन्होंने सुदीप्तो सेन की विवादास्पद फिल्म दिखाई थी। यह फिल्म पिछले साल सिनेमाघरों में प्रदर्शित हुई थी और जिसकी कहानी केरल की महिलाओं के एक समूह के इर्द-गिर्द घूमती है, जिन्हें इस्लाम में परिवर्तित होने और आतंकी संगठन आईएसआईएस में शामिल होने के लिए मजबूर किया गया था।