चेन्नई,अखिल भारतीय द्रविड़ मुनेत्र कषगम (अन्नाद्रमुक) प्रमुख ईडापड्डी के. पलानीस्वामी के लिए आगामी लोकसभा चुनाव अग्निपरीक्षा के समान हैं क्योंकि पार्टी के चुनावी प्रदर्शन से राज्य के राजनीतिक मिजाज का पता चलेगा और इसका असर दो वर्ष बाद होने वाले राज्य विधानसभा चुनाव पर भी पड़ सकता है।
पलानीस्वामी ने जब अपने पूर्व सहयोगी एवं पूर्व मुख्यमंत्री ओ पन्नीरसेल्वम को 2022 में पार्टी से निष्कासित किया था तो यह पार्टी प्रमुख के रूप में अपनी स्थिति को मजबूत करने और 2026 के विधानसभा चुनाव के लिए अन्नाद्रमुक को तैयार करने की उनकी ओर से शुरुआत भर थी।
अन्नाद्रमुक ने पिछले वर्ष भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) से संबंध समाप्त कर लिया था और पार्टी को उम्मीद थी कि उसके इस कदम से द्रविड़ मुनेत्र कषगम (द्रमुक) के सहयोगी विधुथलाई चिरुथलाई काचि सहित कई दल उसकी अगुवाई वाले गठबंधन में शामिल हो जाएंगे, लेकिन ऐसा हुआ नहीं और पलानीस्वामी दिवंगत अभिनेता-नेता ‘कैप्टन’ विजयकांत की देसिया मुरपोक्कू द्रविड़ कषगम और कुछ छोटे संगठनों के साथ ही गठबंधन कर सके। पलानीस्वामी लोकसभा चुनाव के लिए अक्सर ‘महागठबंधन’ की बात करते थे।
दिलचस्प तथ्य यह है कि 2021 के विधानसभा चुनाव में अन्नाद्रमुक के साथ मिलकर लड़ने वाली पट्टाली मक्कल काचि (पीएमके) ने भाजपा से हाथ मिला लिया है। पूर्व विधायक एम तमीमुन अंसारी नीत ‘मनितानेया जननायगा काचि’ (एमजेके) ने द्रमुक को समर्थन दिया है। इससे पहले माना जा रहा था कि एमजेके पलानीस्वामी की पार्टी को समर्थन देगी क्योंकि उसने भी भाजपा से नाता तोड़ लिया है।
अब अन्नाद्रमुक प्रमुख महागठबंधन के सुर को छोड़कर जनता के समर्थन की ओर ध्यान केन्द्रित कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि द्रमुक अध्यक्ष एवं मुख्यमंत्री एम के स्टालिन अपने सहयोगियों पर निर्भर हैं लेकिन उनकी पार्टी ने जनता के सहयोग और समर्थन के बल पर चुनाव लड़ा था।
पलानीस्वामी ने अपनी एक चुनावी रैली में कहा, ‘‘जीत केवल जनता के समर्थन से ही संभव है और हमें वह हासिल है।’’
लोकसभा चुनाव पनीरसेल्वम के निष्कासन और भाजपा के नेतृत्व वाले राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (राजग) से अलग होने के बाद पलानीस्वामी के नेतृत्व वाली अन्नाद्रमुक का पहला अहम चुनाव है।
अन्नाद्रमुक को चुनाव में अन्य दलों के साथ ही भाजपा का भी सामना करना है, जिसका नेतृत्व के. अन्नामलाई कर रहे हैं। माना जा रहा है कि भाजपा करूर के अलावा पश्चिमी क्षेत्र के कई इलाकों में कड़ी टक्कर देगी, जहां 54 उम्मीदवार चुनाव लड़ रहे हैं। करूर अन्नामलाई का गृह क्षेत्र है लेकिन वह कोयंबटूर से लोकसभा चुनाव लड़ रहे हैं।
तमिलनाडु में 39 लोकसभा निर्वाचन क्षेत्र हैं जहां 19 अप्रैल को मतदान होना है।