खत्म होती संयुक्त परिवार परंपरा पर विचार करने की जरूरत : कोविंद

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जयपुर,  पूर्व राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने सोमवार को कहा कि बदलते दौर में संयुक्त परिवार की परंपरा लगभग खत्म हो चुकी है और इसपर हमें मंथन करने की जरूरत है।

उन्होंने कहा कि आज के दौर में परिवार में बढ़ते विघटन एवं भौतिक सुख सुविधाओं की प्राप्ति की महत्वाकांक्षाओं के चलते घर के युवा अक्सर घर के बुजुर्ग माता-पिता को अकेला छोड़कर रोजगार और आर्थिक लाभ के लिए बाहर चले जाते हैं।

उन्होंने कहा कि इसी तरह से बुजुर्गों के घर में अकेले रहने का दूसरा कारण यह भी है कि पहले हमारे यहां संयुक्त परिवार की परंपरा हुआ करती थी, लेकिन धीरे-धीरे यह परंपरा लगभग खत्म हो चुकी है और इसपर हमें मंथन करने की जरूरत है। इसकी शुरुआत भी स्वयं से करनी होगी। सामाजिक और पारिवारिक जिम्मेदारियों को भी समझना होगा।

कोविंद उदयपुर में तारा संस्थान के द्रौपदी देवी आनंद वृद्धाश्रम में आयोजित एक कार्यक्रम को संबोधित कर रहे थे। एक बयान के अनुसार कोविंद ने कहा कि बुजुर्ग बोझ नहीं, बल्कि संपदा हैं, वे अनुभव का खजाना हैं, वे हमारी सम्पत्ति है।

उन्होंने कहा कि बुजुर्गों का होना एक आश्वासन है, एक परिवार में बुजुर्गों की बहुत उपयोगिता होती है।

उन्होंने कहा हर काल और समय में उनकी उपयोगिता सार्थक होती है। हमें यह नहीं भूलना चाहिये कि बुजुर्गों में अनुभव का धन और आत्मविश्वास का बल होता है।

उन्होंने कहा कि लोगों को भौतिक महत्वाकांक्षाएं उन्हें ऐसा करने पर मजबूर करती हैं, इसमें उनकी भी कोई गलती नहीं है क्योंकि उन्हें जीवनयापन के लिए ऐसा करना ही पड़ता है।