बेंगलुरु, कर्नाटक के मांड्या से निर्दलीय सांसद सुमलता अंबरीश शुक्रवार को भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) में शामिल हो गईं।
भाजपा के वरिष्ठ नेता बी एस येदियुरप्पा, कर्नाटक प्रदेश अध्यक्ष बी वाई विजयेंद्र, राज्य विधानसभा में विपक्ष के नेता आर अशोक, कर्नाटक में चुनाव प्रभारी एवं राष्ट्रीय महासचिव राधा मोहन दास अग्रवाल और पूर्व मुख्यमंत्री डी वी सदानंद गौड़ा उन लोगों में शामिल थे जिन्होंने 60 वर्षीय सुमलता का यहां भाजपा प्रदेश मुख्यालय में पार्टी में स्वागत किया।
आगामी लोकसभा चुनाव के लिए कर्नाटक में हुए सीट-बंटवारे के समझौते के तहत, भाजपा राज्य की 28 लोकसभा सीट में से 25 पर और जद(एस) मांड्या सहित शेष तीन सीटों पर चुनाव लड़ेगी। मांड्या सीट से पूर्व मुख्यमंत्री एच. डी कुमारस्वामी मैदान में हैं।
अभिनेत्री से नेता बनीं सुमलता ने बुधवार को कहा था कि वह आगामी लोकसभा चुनाव नहीं लड़ेंगी और भाजपा में शामिल होंगी।
लोकप्रिय फिल्म स्टार एम एच अंबरीश की पत्नी, सुमलता ने पहले मांड्या सीट से फिर से चुनाव लड़ने के लिए भाजपा के टिकट पर दावा किया था। इस सीट का प्रतिनिधित्व अतीत में उनके दिवंगत पति ने किया था। हालांकि पार्टी ने उन्हें मना लिया और यह सीट जद(एस) को दे दी।
जद (एस) के प्रदेश अध्यक्ष एवं कर्नाटक के पूर्व मुख्यमंत्री एच डी कुमारस्वामी अब मांड्या से गठबंधन के संयुक्त उम्मीदवार हैं। कुमारस्वामी ने रविवार को सुमलता से मुलाकात की और चुनाव में उनसे सहयोग मांगा।
सुमलता ने 2019 में एक निर्दलीय उम्मीदवार के रूप में भाजपा के समर्थन से तत्कालीन मुख्यमंत्री कुमारस्वामी के बेटे, जद (एस) के निखिल कुमारस्वामी को 1,25,876 मतों के अंतर से हराकर यह सीट जीती थी। पिछले लोकसभा चुनाव में जद (एस) का कांग्रेस के साथ गठबंधन था।
सुमलता ने 2019 में तब राजनीति में प्रवेश किया और एक निर्दलीय उम्मीदवार के रूप में चुनाव मैदान में उतरीं, जब कांग्रेस ने उन्हें टिकट देने से इनकार कर दिया था। सुमलता के दिवंगत पति भी कांग्रेस में थे। कांग्रेस ने पिछले लोकसभा चुनाव में मांड्या सीट अपने तत्कालीन गठबंधन सहयोगी जद (एस) को दी थी। तब दोनों दलों की कर्नाटक में गठबंधन सरकार थी और कुमारस्वामी मुख्यमंत्री थे।
दिवंगत अंबरीश ने कर्नाटक और केंद्र में कांग्रेस सरकारों में सांसद, विधायक और मंत्री के रूप में कार्य किया था। वह पहले जनता दल का भी हिस्सा थे।
वर्ष 2019 के चुनाव में, सुमलता को उनके पति की मृत्यु के बाद सहानुभूति मिली थी।