भारत कांग्रेस से भाजपा के प्रभुत्व वाली व्यवस्था में परिवर्तित होता प्रतीत हो रहा है : एशले टेलिस

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वाशिंगटन,  अमेरिका के प्रख्यात विशेषज्ञ एशले जे. टेलिस का कहना है कि ऐसा प्रतीत होता है कि भारत कांग्रेस के प्रभुत्व वाली व्यवस्था से भाजपा नियंत्रित व्यवस्था में परिवर्तित हो रहा है लेकिन यह देखना अभी बाकी है कि पार्टी दक्षिण भारत में अच्छा प्रदर्शन कर पाती है या नहीं।

उन्होंने एक परिचर्चा में यह टिप्पणी की, जिसमें इस बात पर विचार मंथन हुआ कि क्या किसी एक इकाई का अत्यधिक शक्तिशाली होना लोकतंत्र के लिहाज से चिंता का विषय हो सकता है?

विचारक संस्था ‘कार्नेजी एन्डाउमेंट’ में वरिष्ठ अध्येता टेलिस ने बुधवार को कहा कि भारत में आम चुनाव के नवीनतम ‘ओपिनियन पोल’ के रुझानों के अनुसार, प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व वाली सत्तारूढ़ भाजपा लगातार तीसरी बार सरकार बनाती दिख रही है।

उन्होंने कहा कि यदि ओपिनियन पोल सही साबित होते हैं, तो प्रधानमंत्री मोदी को अगले पांच वर्षों तक राजनीतिक प्रभाव रखने के लिए पर्याप्त बहुमत के साथ चुने जाने की संभावना है।

जॉर्ज वाशिंगटन विश्वविद्यालय की प्रोफेसर एलिसा आयर्स और ‘एशिया ग्रुप’ से जुड़े अशोक मलिक ने भी ‘‘मोदी के तीसरे कार्यकाल में भारत’’ विषय पर परिचर्चा में हिस्सा लिया।

टेलिस ने कहा, ‘‘सबसे लंबे समय तक भारत उस व्यवस्था के साथ बहुत सहज था जिसे ‘कांग्रेस व्यवस्था’ कहा जाता था। कई दशकों तक राजनीति में कांग्रेस का दबदबा रहा। ऐसा प्रतीत होता है कि अब हम भाजपा के अधिपत्य वाली व्यवस्था में परिवर्तित हो रहे हैं।’’

उन्होंने कहा, ‘‘लेकिन अगर हम भाजपा के प्रभुत्व वाली व्यवस्था की ओर बढ़ने के कगार पर हैं, तो क्या हमारे पास भारतीय लोकतंत्र के स्वास्थ्य के बारे में चिंतित होने का कोई कारण है? मेरा मतलब यह नहीं है कि यह केवल अल्पसंख्यकों या अन्य के लिए चिंता का मुद्दा है। हालांकि वहां यह सामान्य तौर पर चर्चा का विषय रहा है।’’

मलिक ने कहा कि एक भारतीय के रूप में वह यह स्वीकार करते हैं कि वह इस बात से निराश हैं कि भारत में कभी भी दो-दलीय स्थिर प्रणाली नहीं रही है।

उन्होंने कहा कि जब कांग्रेस हावी थी तो भाजपा सहित अन्य पार्टियां महत्वहीन थीं और 2014 के बाद से भाजपा का उभार हुआ और कांग्रेस आज कमजोर पड़ गई है।

उन्होंने कहा, ‘‘एक भारतीय नागरिक के रूप में भारतीय लोकतंत्र के प्रति प्रतिबद्ध व्यक्ति के लिए यह निराशाजनक बात है, चाहे मैं किसी भी पार्टी को वोट दूं। कोई भी नागरिक एक प्रतिस्पर्धा देखना पंसद करेगा। यह सरकारों को जिम्मेदार बनाता है।’’