कैसे बनाएं परिवार को स्वर्ग

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लिपिकों की गिनती सबसे कम स्तर के शिक्षितों में होती है, मगर आजकल ऊंचे डिग्रीधारी भी  लिपिक के पद के लिए तरस रहे है। कार्यभार की दृष्टिï से देखा जाए तो लिपिक सबसे ज्यादा काम करते हैं। सुबह से शाम तक फाइलें निपटाते-निपटाते मानसिक रूप से बेहद थक जाते है, ऊपर से फाइलों को जल्द से जल्द पास कराने के लिए संबंधित लोगों का दबाव भी बना रहता है। अक्सर लिपिक की कमाई कम पड़ती है और वह यहां-वहां झांकने की कोशिश करता है।
ड्राइवर का काम भी बहुत जिम्मेदारी वाला होता है। ट्रेन ड्राइवर बस ड्राइवर, पायलट- इन सब के हाथों में हजारों जिन्दगी होती है। सावधानी हटी कि दुर्घटना घटी। वकील को हो लीजिए, तमाम दावंपेंचों के बीच उसका दिमाग इतना उलझ जाता है कि उसे मानसिक दबाव झेलना पड़ता है। डॉक्टर  को घंटों ओ.टी. में बिताना पड़ता है, बाहर निकलने पर उन्हें कैसा लगता होगा।  और भी न जाने कितने-कितने पेशें हैं, पद है, कितनी कितनी जिम्मदारियां है, कितनी-कितनी जवाबदेहियां है और आप इनमें से किसी न किसी पदधारी की पत्नी जरूर हैं।
आपका नाक-नक्शा, अधिक क्षमता सार्वजनिक पहुंच इन सब को ध्यान में रखकर आपके माता-पिता आपके लिए वर तलाशते है, और दान-दहेज देकर विदा करते है। आप किसी की पत्नी बनकर, किसी के घर की शोभा बढ़ाती है। यही नहीं शिक्षा के विकास के साथ-साथ प्रेम-विवाह की परम्परा जोर पकड़ रही है,  शायद आपने भी प्रेम-विवाह किया हो और अपना घर बसाया हो।
आंनद के वे क्षण संजोने वाले होते है जब आप मां बनती है और आपके पति पिता। और इससे एक परिवार की अवधारणा को मजबूती मिलती है।
हो सकता है घर में नौकर-चाकर व, देख-रेख करने वाले हो, मगर केन्द्रीय भूमिका में केवल आप ही होती है। पति व बच्चों से जो समय मिलता है, उसे आप अपनी सहेलियों व किटी पार्टियों को देती होंगी। तरह-तरह की महिलाओं से मिलकर आप यह अनुमान जरूर लगाती होंगी कि किसकी मानसिकता किस तरह की है, और उनके बीच आप खुद को कहां खड़ी पाती है।
आपके पति व बच्चों व खुद के लिए-सबके विकास के लिए आवश्यक है परिवारिक शान्ति और तनाव मुक्त माहौल। ओर केवल आप ही इस तरह का वातावरण बना सकती है। आपको इन टिप्सों को ध्यान में रखना होगा।
ए निश्चय ही घर सम्हालने में आपकी ऊर्जा लगती होगी, मगर आपका पति तनाव मुक्त है- यह न सोचें। काफी काम का दबाव सहकर वह घर आता है। ऐसे में घर आते ही मुस्कुराकर व तनाव मुक्त होकर उसका स्वागत करें। उसके लिये चाय-पानी की व्यवस्था करें। कुछ मीठे शब्द बोलें।
ए बच्चों की भी समझाएं कि पापा ऑफिस से मेहनत कर घर लौटते है, इसलिए हो-हल्ला न मचाएं। शान्ति से बैठकर बातचीत करें या होमवर्क निपटाएं।
ए भूलकर भी महिलाओं के बीच होने वाली चुगलियों का खुलासा अपने पति के पास न करें। किसने क्या खरीदा, किसके पास क्या है-इन सब का ब्यौरा अपने पति को न दें।
उसकी कमाई व आर्थिक क्षमता को ध्यान में रखकर घर का बजट निर्धारित करें।
     अपने स्तर से एक सीढ़ी ऊपर चढ़ सकती है, एक सीढ़ी नीचे उतर सकती है, मगर बहुत ज्यादा फासले वालों से दोस्ती न करें। इससे सबसे बड़ा फायदा तो यह है कि आपको किसी  की आलोचना करने की जरूरत नहीं रहेगी, और किसी को आपकी आलोचना करने की जरूरत नहीं होगी।
     सामाजिकता तो बहुत आवश्यक है, मगर सामाजिकता की आड़ में तनाव पैदा होता रहे तो सामाजिकता मायने खो बैठती है। इसलिए लोगों से मिलें जरूर, मगर संसर्ग को सीमित रखें।  किटी पार्टियों से दूर रहें। बदले में सिलाई, कढ़ाई, बुनाई व बच्चों के मानसिक व बौद्घिक विकास पर जोर दें।
     महंगाई के जमाने में अपने पति को सहयोग देने के क्रम में आप ट्ïयूशन, कोचिंग-इन सब का सहारा ले  सकती है। आय तो आय समय भी गुजर जाएगा।
     ऊपरी आय के लिये अपने पति को भूलकर भी न उकसाएं। उसकी नौकरी जाएगी ही शर्म के मारे समाज में जीना मुश्किल हो जाएगा सो अलग।
    परिवारिक व कौटुम्बिक समस्याओं का सम्मानजनक समाधान आप खुद ही कर लें व पति को मात्र सूचना दें- यह अच्छा होगा, मगर सलाह लेनी ही हो तो मूड देखकर लें। ऐसी ही तमाम छोटी-बड़ी बातों को ध्यान में रखकर परिवार को व्यवस्थित करें तो वह स्वर्ग बन जाएगा।