पिता ही बेटियों के बेहतर पथप्रदर्शक

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कहते हैं कि मां ही अपने बच्चों की पहली और संपूर्ण पाठशाला होती है। मां से ही बच्चे को अपने चरित्र एवं व्यक्तित्व विकास की प्रारंभिक और अंतिम शिक्षा मिलती है। यह कुछ हद तक सही सिद्ध भी होता है, मगर बेटियों के मामले में जितना महत्वपूर्ण योगदान माता का रहता है उससे कहीं अधिक प्रभाव पिता के चरित्र  और व्यक्तित्व का पड़ता है।


किसी भी लड़की की जिंदगी में पहला पुरुष उसका पिता ही होता है जो अपनी लाड़ली बिटिया का जिंदगी के प्रति नजरिया पलछिन में ही बदलकर रख सकता है। साथ ही उसमें क्रांतिकारी परिवर्तन उत्पन्न कर उनके भविष्य का आधार भी बना सकता है। कारण जहां बेटा मां का लाड़ला होता है वहीं बेटियां पिता की लाड़ली होती है। कहा जाता है कि पिता ही बेटियों का नजरिया बदलने, उनका कायाकल्प करने की विशेष क्षमता रखते हैं। मिस्टर केली जो अमेरिका के अलाभकारी संगठन ‘डैड्स एण्ड डाटर्स’ के कार्यकारी निदेशक हैं कहते हैं कि -‘पिता ही अपनी बेटी के आगे वह स्टैण्डर्ड बनाता है जो एक किशोर और फिर एक युवक में होना चाहिए।


इतना ही नहीं, जीवन साथी कैसा होना चाहिए, यह भी बेटियां अपने पिता को देखकर ही निर्धारित करती हैं। फिर पिता ही अपनी बेटियों को यह भी सिखाता है कि व्यक्ति की पहचान उसका चेहरा नहीं वरन् उसका काम होता है। उन्होंने बताया कि आज जब समाज में महिलाओं को उपभोक्ता की वस्तु की तरह पेश किया जा रहा है, ऐसे में पिता अपनी बेटी की हर बात सुनकर और उसे बोलने का अधिक से अधिक मौका देकर यह एहसास करा सकता है कि वह सिर्फ हाड़-मांस की गुडिय़ा नहीं, बल्कि इंसान है फिर उन्हें वह संसार भी अपनी बेटी की आंखों से देखने को मिलता है जो नजरिया बदलने में  काफी महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है।


 मिस्टर केली का कहना है कि बेटियों को पुरुष मित्र बनाने से रोकना सही नहीं है, मगर उन्हें अच्छे-बुरे की पहचान कराना ज्यादा जरूरी होता है। हर पिता को प्रयास करना चाहिए कि आदर्श पिता के साथ ही साथ वह बेटी के अच्छे मित्र भी बन सके, तभी वे एक-दूसरे की बातें एवं अभिव्यक्ति शेयर कर सकते हैं। साथ ही बच्चे के मन में चाहे वह बेटी ही क्यों न हो यह बात कभी घर न करने दें कि आप उन पर विश्वास नहीं करते।


 विश्वसनीय बनें फिर देखें आपकी बेटी आपकी इच्छानुरूप ढलती है या नहीं।