न्यायालय ने गिरफ्तारी के खिलाफ केजरीवाल की याचिका पर ईडी को नोटिस जारी किया

नयी दिल्ली,  दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल को सोमवार को उच्चतम न्यायालय से कोई अंतरिम राहत नहीं मिली। शीर्ष अदालत ने केजरीवाल की उस याचिका पर प्रवर्तन निदेशालय से 24 अप्रैल तक जवाब मांगा जिसमें उन्होंने कथित आबकारी नीति घोटाले से जुड़े धन शोधन मामले में अपनी गिरफ्तारी को चुनौती दी है।

न्यायमूर्ति संजीव खन्ना और न्यायमूर्ति दीपांकर दत्ता की पीठ ने दिल्ली उच्च न्यायालय के नौ अप्रैल के उस आदेश को चुनौती देने वाली केजरीवाल की याचिका पर ईडी को नोटिस जारी किया, जिसमें मामले में उनकी गिरफ्तारी को बरकरार रखा गया था।

पीठ ने कहा कि मामले की सुनवाई 29 अप्रैल से शुरू होने वाले सप्ताह में की जाएगी।

केजरीवाल की ओर से पेश वरिष्ठ वकील अभिषेक सिंघवी ने आम चुनाव के लिए आदर्श आचार संहिता लागू होने के बाद उनकी गिरफ्तारी के समय पर सवाल उठाया और कहा कि ऐसा उन्हें चुनाव प्रचार से वंचित करने के लिए किया गया।

सिंघवी ने इसे एक “बहुत ही असामान्य मामला” बताया और इसलिए नहीं कि केजरीवाल एक मुख्यमंत्री हैं। सिंघवी ने पीठ से कहा कि वह कुछ तथ्य दिखाना चाहते हैं जो अदालत की अंतरात्मा को ‘झकझोर’ देंगे। उन्होंने कहा कि “हर जगह चुनिंदा लीक” से हर किसी की गलत धारणा बन रही है।

न्यायमूर्ति खन्ना ने कहा, “मुझे चुनिंदा लीक की जानकारी नहीं है।” उन्होंने कहा, “एक नोटिस जारी किया जाए।”

ईडी की ओर से पेश हुए सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता और अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल एस वी राजू ने कहा कि जांच एजेंसी याचिका पर अपना जवाब दाखिल करेगी।

सिंघवी ने मामले की जल्द सुनवाई की जरूरत को रेखांकित करते हुए कहा, ”मैं अब एक कारण से शुक्रवार की तारीख का अनुरोध कर रहा हूं।”

न्यायमूर्ति खन्ना ने सिंघवी से कहा, “हम एक उचित तारीख देंगे, काफी जल्दी की तारीख, लेकिन वह नहीं जो आप कह रहे हैं। यह संभव नहीं है।”

सुनवाई के दौरान वरिष्ठ वकील ने कहा कि केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (सीबीआई) और प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने आबकारी मामले में आठ आरोपपत्र दायर किए हैं और उनमें से किसी में भी केजरीवाल का नाम नहीं है।

उन्होंने कहा, ”कहानी सितंबर 2022 से शुरू होती है और उन्हें (केजरीवाल को) मार्च 2024 में गिरफ्तार किया जाता है।” सिंघवी ने कहा कि इस अवधि के दौरान, 15 बयान दर्ज किए गए, जिनमें नौ एक व्यक्ति द्वारा और छह अन्य द्वारा दिए गए थे और उनमें से किसी में भी केजरीवाल का नाम नहीं था।

न्यायमूर्ति खन्ना ने सिंघवी से कहा, ”अपनी दलीलें अगली तारीख के लिए सुरक्षित रखें।’’ तब अधिवक्ता ने कहा कि पहले दौर का मतदान 19 अप्रैल को होने जा रहा है।

सिंघवी आप के राष्ट्रीय संयोजक की गिरफ्तारी के समय पर सवाल उठा रहे थे।

मेहता ने इस बात पर जोर दिया कि चुनाव प्रचार ऐसे मामलों में राहत पाने का आधार नहीं हो सकता। पीठ ने सिंघवी से कहा, ”जब हमने कहा है कि नोटिस जारी किया जाए, तो आपको बहस नहीं करनी चाहिए थी।”

पीठ ने ईडी को नोटिस जारी करते हुए केंद्रीय एजेंसी से 24 अप्रैल को या उससे पहले अपना जवाब दाखिल करने को कहा। पीठ ने साथ ही कहा कि यदि कोई प्रत्युत्तर है तो वह 27 अप्रैल तक दाखिल किया जा सकता है।

उच्च न्यायालय ने 9 अप्रैल को धनशोधन मामले में केजरीवाल की गिरफ्तारी को बरकरार रखा था और कहा था कि गिरफ्तारी को लेकर कानूनी प्रावधानों का कोई उल्लंघन नहीं हुआ। अदालत ने साथ ही कहा था कि केजरीवाल के बार-बार जारी समन से बचने और जांच में शामिल होने से इनकार करने के बाद ईडी के पास “कम विकल्प” बचे थे।

यह मामला 2021-22 के लिए दिल्ली सरकार की आबकारी नीति तैयार करने और क्रियान्वित करने में कथित भ्रष्टाचार तथा धनशोधन से संबंधित है। संबंधित नीति को बाद में रद्द कर दिया गया था।

धनशोधन रोधी एजेंसी की दंडात्मक कार्रवाई से संरक्षण देने से उच्च न्यायालय के इनकार के कुछ ही घंटे बाद ईडी ने केजरीवाल को 21 मार्च को गिरफ्तार कर लिया था।

वह फिलहाल न्यायिक हिरासत के तहत तिहाड़ जेल में बंद हैं।

केजरीवाल ने आम चुनाव से पहले अपनी गिरफ्तारी को “लोकतंत्र के सिद्धांतों पर अभूतपूर्व हमला” बताया है और शीर्ष अदालत से उनके खिलाफ मामले को “अवैध” घोषित करके उन्हें रिहा करने का आग्रह किया है।

शीर्ष अदालत में दायर याचिका में केजरीवाल ने कहा है कि आम चुनाव की घोषणा के बाद 21 मार्च को उनकी गिरफ्तारी ‘‘स्पष्ट रूप से अप्रासंगिक विचारों से प्रेरित है।’’

याचिका में कहा गया, ‘‘इस अदालत के हस्तक्षेप की तत्काल आवश्यकता है, क्योंकि याचिकाकर्ता की गिरफ्तारी लोकतंत्र, स्वतंत्र और निष्पक्ष चुनाव एवं संघवाद के सिद्धांतों पर एक अभूतपूर्व हमला है, जो संविधान के बुनियादी ढांचे के महत्वपूर्ण घटक हैं।’’

याचिका में कहा गया कि गिरफ्तारी केवल उन सह-आरोपियों के विरोधाभासी और अत्यधिक देर से दिए गए बयानों के आधार पर की गई, जो अब सरकारी गवाह बन गए हैं।

याचिका में कहा गया है कि इसके अलावा, ऐसे बयान और सामग्री पिछले नौ महीनों से प्रवर्तन निदेशालय के पास थे, फिर भी आम चुनाव 2024 के बीच में अवैध रूप से गिरफ्तारी की गई।