अहमदाबाद, केंद्रीय मंत्री राजनाथ सिंह ने रविवार को कहा कि लोकसभा चुनाव के लिए भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) का संकल्प पत्र एक नये और विकसित भारत की ठोस गारंटी है, जबकि कांग्रेस का घोषणा पत्र विभाजनकारी और तुष्टीकरण की राजनीति से प्रेरित है।
सिंह ने कहा कि कांग्रेस अपने लंबे शासनकाल के दौरान गरीबी उन्मूलन में नाकाम रही, जबकि (केंद्र की) नरेन्द्र मोदी सरकार ने पिछले आठ-नौ साल में 25 करोड़ लोगों को गरीबी से बाहर निकाला है।
उन्होंने दावा किया, ‘‘देश को आगे ले जाने के लिए कांग्रेस के पास नेतृत्व, नीति और इरादा नहीं है। भाजपा सरकार भारत को 2027 तक विश्व की शीर्ष तीन अर्थव्यवस्थाओं में शामिल करने के लिए प्रतिबद्ध है।’’
रक्षा मंत्री ने कहा, ‘‘हमारा संकल्प पत्र (घोषणा पत्र) एक नये सामर्थ्यवान और विकसित भारत की ठोस गारंटी है। कांग्रेस का घोषणा पत्र विभाजनकारी और तुष्टीकरण से प्रेरित है।’’
उन्होंने कहा कि संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन (संप्रग) के 10 साल के शासन में हुए ‘‘भ्रष्टाचार के खेल’’ में कांग्रेस की सबसे बड़ी भूमिका थी।
सिंह ने कहा, ‘‘कांग्रेस जवाहरलाल नेहरू, इंदिरा गांधी, राजीव गांधी और मनमोहन सिंह के समय से गरीबी उन्मूलन की बात करती रही है, लेकिन 50 साल शासन करने के बाद भी ऐसा करने में नाकाम रही। पिछले महज आठ-नौ साल में हमारी सरकार 25 करोड़ लोगों को गरीबी रेखा से बाहर निकालने में सफल रही है।’’
भाजपा के वरिष्ठ नेता ने कहा कि मोदी सरकार अगले पांच-10 साल में देश से पूरी तरह से गरीबी का उन्मूलन करना चाहती है।
सिंह ने कहा कि भाजपा लोकसभा चुनाव में गुजरात के सूरत से जीत की शुरुआत कर चुकी है, जहां पार्टी के मुकेश दलाल निर्विरोध निर्वाचित घोषित किये गए।
इस सीट पर कांग्रेस के नीलेश कुम्भाणी का नामांकन पत्र खारिज हो गया था और अन्य उम्मीदवारों ने अपने नाम वापस ले लिये थे।
सिंह ने कहा, ‘‘हालांकि, कांग्रेस दावा कर रही है कि देश में लोकतंत्र खतरे में है। इसका क्या आधार है? यहां तक कि इससे पहले भी, लोकसभा के 28 सदस्य निर्विरोध निर्वाचित घोषित किये गए थे, जिनमें कांग्रेस, समाजवादी पार्टी, नेशनल कांफ्रेंस आदि के सदस्य शामिल हैं। कांग्रेस हताशा में इस तरह की बात कह रही है।’’
उन्होंने कहा, ‘‘यह कांग्रेस ही है, जिसने आपातकाल लागू कर और कई बार राज्यों में राष्ट्रपति शासन लगाकर लोकतंत्र को खतरे में डाला।’’
सिंह ने दावा किया लोकसभा चुनाव के शुरुआती दो चरणों में कम मतदान प्रतिशत इसलिए रहा कि ‘इंडिया’ गठबंधन के समर्थक मतदान केंद्रों पर नहीं पहुंच रहे हैं।