मुख्यमंत्री केजरीवाल को उनके अनुरोध पर जेल नियमों की प्रति उपलब्ध कराई गई

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नयी दिल्ली,  ‘दिल्ली आबकारी नीति घोटाले’ से जुड़े धनशोधन मामले में तिहाड़ जेल में बंद दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल को उनके अनुरोध पर जेल नियमों की एक प्रति उपलब्ध कराई गई। सूत्रों ने बुधवार को यह जानकारी दी।

तिहाड़ जेल के एक अधिकारी ने इसकी पुष्टि करते हुए कहा कि कोई भी बंदी जेल के पुस्तकालय में उपलब्ध किसी भी किताब को पढ़ सकता है।

अदालत द्वारा एक अप्रैल, 2024 को 14 दिनों की न्यायिक हिरासत में भेजे जाने के बाद से केजरीवाल तिहाड़ की जेल नंबर दो में बंद हैं।

जेल भेजे जाने के बाद केजरीवाल ने जेल अधिकारियों से तीन किताबों- रामायण, महाभारत, और “हाउ प्राइम मिनिस्टर्स डिसाइड” की मांग की थी।

दिल्ली उच्च न्यायालय ने मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल की उस याचिका को मंगलवार को खारिज कर दिया, जिसमें उन्होंने प्रवर्तन निदेशालय द्वारा आबकारी नीति से जुड़े धनशोधन मामले में अपनी गिरफ्तारी को चुनौती दी थी।

उच्च न्यायालय ने केजरीवाल की याचिका को खारिज करते हुए कहा था कि उनकी गिरफ्तारी से किसी भी तरह कानूनी प्रावधानों का उल्लंघन नहीं हुआ है।

सूत्रों के अनुसार, केजरीवाल और तिहाड़ जेल में बंद आम आदमी पार्टी (आप) के अन्य नेताओं को भी उनकी कोठरियों में मच्छरदानी उपलब्ध कराई गई है।

एक अधिकारी ने कहा कि प्रावधानों के अनुसार, बंदियों को उनकी जेल में मच्छरदानी प्रदान की जा सकती है।

आप नेता मनीष सिसोदिया और सत्येंद्र जैन तिहाड़ जेल की जेल संख्या एक और सात में बंद हैं। जहां, सिसोदिया को आबकारी नीति मे हुए कथित घोटाले के मामले में गिरफ्तार किया गया है वहीं, जैन को ईडी ने धनशोधन से जुड़े एक अन्य मामले में गिरफ्तार किया है।

सूत्रों ने बताया कि जेल में केजरीवाल को अक्सर कुर्सी पर बैठकर किताबें पढ़ते और लिखते हुए देखा जाता है। वह जेल नियमों का भी अध्ययन करते हैं।

एक आधिकारिक सूत्र ने बताया कि मुख्यमंत्री को जेल में एक टीवी भी उपलब्ध कराया गया है, जिसमें 20 चैनल हैं, लेकिन वह इसमें दिलचस्पी नहीं लेते है। वह अपना ज्यादातर समय पढ़ने, ध्यान और योग करने में बिताते हैं।

सूत्रों के मुताबिक, केजरीवाल की कोठरी में दो सीसीटीवी कैमरे लगे होने से जेल अधिकारी 24 घंटे उन पर नजर रख सकते हैं।

ईडी ने मुख्यमंत्री केजरीवाल पर आबकारी नीति घोटाले का मुख्य साजिशकर्ता, नीति का मसौदा तैयार करने और उसे लागू करने, रिश्वत लेने, दलालों को लाभ पहुंचाने और अंत में घोटाले से मिली आय का कुछ हिस्सा गोवा विधानसभा चुनाव के प्रचार में इस्तेमाल करने का आरोप लगाया है।