गुवाहाटी, मुख्यमंत्री हिमंत विश्व शर्मा ने शनिवार को कहा कि पिछले कुछ वर्षों में असमिया की परिभाषा में बदलाव आया है और इसमें हिंदी भाषी तथा चाय बागान से संबंधी जनजाति जैसे सदियों से असम में रहने वाले लोगों को शामिल किया जाना चाहिए।
उन्होंने कहा कि असमिया लोगों को यह समझाने के लिए एक जन आंदोलन की जरूरत है कि समुदाय की पहचान को संरक्षित करने की आवश्यकता है।
शर्मा आत्मसमर्पण करने वाले कैडरों को उल्फा शांति समझौते के तहत पुनर्वास अनुदान वितरित करने से संबंधित एक कार्यक्रम में बोल रहे थे।
मुख्यमंत्री ने दावा किया, ‘‘असम के हालात, केंद्र सरकार की किसी नीति के कारण नहीं बल्कि बांग्लादेश से घुसपैठ के कारण ऐसे हैं क्योंकि इसने राज्य की जनसांख्यिकी को बदल दिया है। जब जनगणना रिपोर्ट आएगी, तो असमिया लोग आबादी का लगभग 40 प्रतिशत ही होंगे।’’
उन्होंने कहा कि पिछले कुछ वर्षों में असमिया की परिभाषा में बदलाव आया है और इसमें चाय बागान से जुड़ी जनजाति तथा हिंदी भाषी जैसे समुदाय शामिल होने चाहिए जो एक सदी से अधिक समय से यहां रह रहे हैं।
शर्मा ने कहा कि भले ही असमिया लोगों की संख्या कम हो रही हो, लेकिन वे अपनी पहचान संरक्षित करने के लिए एक साथ आ सकते हैं।