नयी दिल्ली, शिक्षा प्रौद्योगिकी कंपनी बायजू ने मंगलवार को कोष की हेराफेरी के आरोप को सिरे से खारिज कर दिया। कंपनी ने कहा कि विवादित 1.2 अरब कर्ज बी (टर्म लोन बीच) से प्राप्त राशि उसकी गैर-अमेरिकी अनुषंगी इकाई के पास पड़ी है।
बायजू ने कर्ज बी से प्राप्त कोष का प्रबंधन करने के लिए कोष प्रबंधक कैमसाफ्ट को नियुक्त किया था। उसने इस सप्ताह की शुरुआत में डेलावेयर दिवाला अदालत में अपने खुलासे में कहा कि राशि बायजू की 100 प्रतिशत सहायक कंपनी को अंतरित की गयी थी।
कंपनी ने नवंबर, 2021 में कुछ अमेरिका के कर्जदाताओं से ऋण लिया था। उस उद्देश्य के लिए, बायजू अल्फा नामक एक विशेष उद्देश्यीय इकाई को डेलावेयर में शामिल किया गया था। उसी को कर्ज राशि अंतरित की गई थी।
बायजू के कर्जदाताओं (टीएलबी-टर्म लोन बी देने वाले) ने आरोप लगाया है कि कंपनी ने बायजू के अल्फा से राशि निकालकर लगभग 53.3 करोड़ डॉलर की हेराफेरी की है। शिक्षा प्रौद्योगिकी कंपनी ने इसका पुरजोर विरोध किया है।
बायजू अल्फा ने शुरुआत में अपने कोष के प्रबंधन के लिए कैमसाफ्ट को नियुक्त किया था। कंपनी ने कहा कि कैमसाफ्ट का खुलासा बायजू के रुख की पुष्टि करती है। बायजू ने कहा था कि राशि कि समूह की इकाइयों के पास है।
बायजू ब्रांड के तहत काम करने वाली थिंक एंड लर्न ने बयान में कहा, ‘‘उपरोक्त खुलासे के साथ कोष की हेराफेरी और उसे निकाले जाने के आरोप को खारिज कर दिया जाना चाहिए। बायजू ने लगातार कहा है कि कोष उसकी समूह इकाइयों के पास है वे उसके लाभकारी धारक बनी हुई हैं और बनी रहेंगी।’’
शिक्षा प्रौद्योगिकी कंपनी ने कहा कि ऋण समझौते में बायजू अल्फा की तरफ नकदी या अन्य गारंटी जैसी कोई बात नहीं है।
बयान में कहा गया है, ‘‘कोष को 2023 की शुरुआत में बायजू के अल्फा से इंस्पिलर्न में अंतरित किया गया था। यह बायजू की एक अन्य अमेरिका-आधारित पूर्ण स्वामित्व वाली सहायक कंपनी थी। उसके बाद इंस्पिलर्न ने उस राशि को कैमशसाफ्ट से एक गैर-अमेरिका आधारित कोष में स्थानांतरित कर दिया।’’ बायजू ने कहा कि कानूनी सलाह के आधार पर हाल ही में कोष को इंस्पिलर्न से बायजू की पूर्ण अनुषंगी इकाई में अंतरित कर दिया गया है। यह इकाई गैर-अमेरिकी है।
कंपनी ने कहा कि बायजू अल्फा परिचालन वाली कंपनी नहीं है। इसका काम कोष प्राप्त करना और उसका समूह के जरिये उसका वितरण करना है।
बायजू ने कहा कि कर्ज समझौते के तहत राशि के उपयोग पर कोई पाबंदी नहीं है। इसमें केवल एक शर्त है कि नियामक कारणों से, राशि को भारत नहीं लाया जा सकता है।
मामले से जुड़े सूत्रों ने कहा कि सुरक्षित 1.2 अरब डॉलर के कर्ज बी का हिस्सा रहे ज्यादातर कर्जदाता ने कंपनी के खिलाफ एनसीएलटी (राष्ट्रीय कंपनी विधि न्यायाधिकरण) बेंगलुरु में दिवालिया याचिका दायर की है।