धीमी गति से बोलना शब्दों को भूलने की तुलना में संज्ञानात्मक हानि का अधिक सटीक संकेत
Focus News 14 March 2024ब्राइटन (यूके), (द कन्वरसेशन) हममें से कई लोग रोजमर्रा की जिंदगी में बहुत बार बात करते हुए उपुयक्त संदर्भ या शब्द ढूंढने में कठिनाई का अनुभव करते हैं। और यह आमतौर पर उम्र के साथ और अधिक बढ़ता जाता है।
सही शब्द खोजने में बार-बार होने वाली कठिनाई अधिक स्पष्ट लक्षण उभरने से पहले अल्जाइमर रोग के प्रारंभिक (प्रीक्लिनिकल) चरणों के अनुरूप मस्तिष्क में परिवर्तन का संकेत दे सकती है।
हालाँकि, टोरंटो विश्वविद्यालय के एक हालिया अध्ययन से पता चलता है कि शब्दों को खोजने में कठिनाई के बजाय बोलने की गति वृद्ध वयस्कों में मस्तिष्क स्वास्थ्य का अधिक सटीक संकेतक है।
शोधकर्ताओं ने 18 से 90 वर्ष की आयु के 125 स्वस्थ वयस्कों से एक दृश्य का विस्तार से वर्णन करने के लिए कहा। इन विवरणों की रिकॉर्डिंग का बाद में कृत्रिम बुद्धिमत्ता (एआई) सॉफ्टवेयर द्वारा विश्लेषण किया गया ताकि बात करने की गति, शब्दों के बीच रुकने की अवधि और इस्तेमाल किए गए शब्दों की विविधता जैसी विशेषताओ का पता लगाया जा सके।
प्रतिभागियों ने परीक्षणों का एक मानक सेट भी पूरा किया जो एकाग्रता, सोचने की गति और कार्यों की योजना बनाने और उन्हें पूरा करने की क्षमता को मापता है। इन ‘‘कार्यकारी’’ क्षमताओं में उम्र से संबंधित गिरावट का किसी व्यक्ति के रोजमर्रा के बोलने की गति से गहरा संबंध था, जो सही शब्द खोजने में कठिनाई की तुलना में व्यापक गिरावट का सुझाव देता है।
इस अध्ययन का एक नया पहलू ‘‘चित्र-शब्द हस्तक्षेप कार्य’’ का उपयोग था, जो किसी वस्तु के नामकरण के दो चरणों को अलग करने के लिए डिज़ाइन किया गया एक कार्य था: सही शब्द ढूंढना और मुंह को इसे ज़ोर से कैसे कहना है, इसका निर्देश देना।
इस कार्य के दौरान, प्रतिभागियों को रोजमर्रा की वस्तुओं (जैसे कि झाड़ू) की तस्वीरें दिखाई गईं, जबकि उन्हें एक ऐसे शब्द का ऑडियो क्लिप दिखाया गया जो या तो अर्थ में संबंधित है (जैसे कि ‘‘पोछा’’ – जिससे तस्वीर के नाम के बारे में सोचना कठिन हो जाता है) या जो समान लगता है (जैसे कि अंग्रेजी में ब्रूम से मिलता -जुलता ग्रूम – जो इसे आसान बना सकता है)।
दिलचस्प बात यह है कि अध्ययन में पाया गया कि वृद्ध वयस्कों की बात करने की स्वाभाविक गति चित्रों के नामकरण में उनकी शीघ्रता से संबंधित थी। यह इस बात पर प्रकाश डालता है कि प्रसंस्करण में सामान्य मंदी शब्दों के लिए स्मृति पुनर्प्राप्ति में एक विशिष्ट चुनौती के बजाय, उम्र के साथ व्यापक संज्ञानात्मक और भाषाई परिवर्तनों का कारण बन सकती है।
निष्कर्षों को और अधिक सशक्त कैसे बनाया जाए
हालांकि इस अध्ययन के निष्कर्ष दिलचस्प हैं, चित्र-आधारित संकेतों के जवाब में शब्द ढूंढना अप्रतिबंधित रोजमर्रा की बातचीत में शब्दावली की जटिलता को प्रतिबिंबित नहीं कर सकता है।
मौखिक प्रवाह कार्य, जिसमें प्रतिभागियों को किसी दी गई श्रेणी (उदाहरण के लिए, जानवर या फल) से अधिक से अधिक शब्द उत्पन्न करने या एक समय सीमा के भीतर एक विशिष्ट अक्षर से शुरू करने की आवश्यकता होती है, का उपयोग चित्र-नामकरण के साथ किया जा सकता है ताकि दिए गए संकेत को बेहतर ढंग से समझा जा सके।
हालांकि किसी बात का ‘‘मुंह में होना’’ और उसे कह न पाना आंशिक रूप से याद करने और यह महसूस करने के बावजूद कि शब्द ज्ञात है, स्मृति से किसी शब्द को पुनः प्राप्त करने में अस्थायी असमर्थता को संदर्भित करता है। इन कार्यों को चित्र-शब्द हस्तक्षेप कार्य की तुलना में रोजमर्रा की बातचीत का बेहतर परीक्षण माना जाता है क्योंकि इनमें प्राकृतिक बोलचाल में शामिल प्रक्रियाओं के समान, किसी की शब्दावली से शब्दों की सक्रिय पुनर्प्राप्ति और उत्पादन शामिल होता है।
जबकि मौखिक प्रवाह प्रदर्शन सामान्य उम्र बढ़ने के साथ महत्वपूर्ण रूप से कम नहीं होता है (जैसा कि 2022 के अध्ययन में दिखाया गया है), इन कार्यों पर खराब प्रदर्शन अल्जाइमर जैसे न्यूरोडीजेनेरेटिव रोगों का संकेत दे सकता है।
परीक्षण उपयोगी हैं क्योंकि वे लोगों की उम्र बढ़ने के साथ-साथ शब्द पुनर्प्राप्ति क्षमता में होने वाले विशिष्ट परिवर्तनों को ध्यान में रखते हैं, जिससे डॉक्टरों को सामान्य उम्र बढ़ने से अपेक्षित हानि की पहचान करने और संभावित रूप से न्यूरोडीजेनेरेटिव स्थितियों का पता लगाने में सहायता मिलती है।
मौखिक प्रवाह परीक्षण भाषा, स्मृति और कार्यकारी कामकाज में शामिल मस्तिष्क के विभिन्न क्षेत्रों को शामिल करता है, और इसलिए यह अंतर्दृष्टि प्रदान कर सकता है कि मस्तिष्क के कौन से क्षेत्र संज्ञानात्मक गिरावट से प्रभावित हैं।
टोरंटो विश्वविद्यालय के अध्ययन के लेखक भाषण विराम जैसे वस्तुनिष्ठ उपायों के साथ-साथ प्रतिभागियों के शब्द-खोज कठिनाइयों के व्यक्तिपरक अनुभवों की जांच कर सकते थे। यह इसमें शामिल संज्ञानात्मक प्रक्रियाओं की अधिक व्यापक समझ प्रदान करेगा।
शब्दों को पुनः प्राप्त करने के लिए संघर्ष करने की ‘‘भावना’’की व्यक्तिगत रिपोर्ट व्यवहार संबंधी डेटा के पूरक के रूप में मूल्यवान अंतर्दृष्टि प्रदान कर सकती है, जिससे संभावित रूप से प्रारंभिक संज्ञानात्मक गिरावट का पता लगाने और मात्रा निर्धारित करने के लिए अधिक शक्तिशाली उपकरण तैयार हो सकते हैं।
नयी संभावना
फिर भी, इस अध्ययन ने भविष्य के शोध के लिए रोमांचक संभावना को जन्म दिया है, जिससे पता चलता है कि यह सिर्फ हम क्या कहते हैं, बल्कि हम इसे कितनी तेजी से कहते हैं, इससे संज्ञानात्मक परिवर्तन सामने आ सकते हैं।
प्राकृतिक भाषा प्रसंस्करण प्रौद्योगिकियों (एआई का एक प्रकार) का उपयोग करके, जो मानव भाषा डेटा का विश्लेषण और समझने के लिए कम्प्यूटेशनल तकनीकों का उपयोग करता है, यह काम पिछले अध्ययनों को आगे बढ़ाता है जिसमें रोनाल्ड रीगन और आइरिस मर्डोक जैसी सार्वजनिक हस्तियों में मनोभ्रंश का निदान होने से पहले उनकी बोली जाने वाली और लिखित भाषा में सूक्ष्म परिवर्तन देखे गए थे।
जबकि वे अवसरवादी रिपोर्टें मनोभ्रंश निदान के बाद पीछे मुड़कर देखने पर आधारित थीं, यह अध्ययन अधिक व्यवस्थित, डेटा-संचालित और दूरंदेशी दृष्टिकोण प्रदान करता है।
प्राकृतिक भाषा प्रसंस्करण में तेजी से प्रगति का उपयोग करने से धीमी गति से बोली जाने वाली दर जैसे