बेंगलुरु, उत्तर प्रदेश के खिलाफ कर्नल सीके नायडू ट्रॉफी अंडर 23 टूर्नामेंट के फाइनल में कर्नाटक के सलामी बल्लेबाज प्रखर चतुर्वेदी के गलत तरीके से आउट होने के बाद घरेलू मैचों में अंपायरिंग के मानकों को लेकर चिंता बढ़ा दी है।
यह घटना कर्नाटक के पहली पारी में घटी जब तेज गेंदबाज कुणाल त्यागी की गेंद चतुर्वेदी के बल्ले का किनारा लेते हुए विकेटकीपर आराध्य यादव के दस्तानों में पहुंची। गेंद हालांकि आराध्य हाथों में जाने से पहले जमीन पर गिर गयी थी।
मैदानी अंपायर ने इसे आउट करार दिया जिससे चतुर्वेदी की पारी 33 रन पर सिमट गयी। उन्होंने दूसरी पारी में 86 रन बनाये। कर्नाटक हालांकि पहली पारी में बढ़त के आधार पर इस मैच को जीत गया।
प्रथम श्रेणी के एक पूर्व अंपायर ने गोपनीयता की शर्त पर कहा, ‘‘ हां, वह आउट नहीं था। मैंने बाद में उसके आउट होने का वीडियो देखा था। गेंद उत्तर प्रदेश के विकेटकीपर के हाथों में जाने से पहले जमीन पर गिर गयी थी। अंपायर को आउट नहीं देना चाहिये था।’’
उन्होंने कहा, ‘‘जूनियर टूर्नामेंटों में अंपायरिंग के मानकों को बनाये रखना जरूरी है क्योंकि इन टूर्नामेंटों से ही उभरते हुए खिलाड़ी निकलते हैं। आप सोच कर देखिये उस लड़के (चतुर्वेदी) को कैसा लगा होगा, जो क्रीज पर एक घंटा बिताने के बाद इस तरह से पवेलियन लौटा।’’
प्रथम श्रेणी के एक अन्य बल्लेबाज ने कहा कि इस तरह की घटना घरेलू क्रिकेट में आम है।
उन्होंने कहा, ‘‘यह जूनियर क्रिकेट के लिए बेहद आम बात है। मेरे साथ तो रणजी ट्रॉफी में भी ऐसा हो चुका है। उस मैच में मैं 48 रन पर बल्लेबाजी गेंद रहा था और गेंद मेरे कमर के पास लगी थी लेकिन अंपायर ने पगबाधा आउट दे दिया। मैंने इसे यह सोच कर नजरअंदाज कर दिया कि गलती किसी से भी हो सकती है। लेकिन उसी अंपायर ने दूसरी पारी में जब मैं 45 रन पर बल्लेबाजी कर रहा था तब मुझे विकेट के पीछे कैच आउट करार दिया। मैंने हालांकि गेंद को विकेटकीपर के लिए छोड़ा था।