ईटानगर, प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने शनिवार को कांग्रेस पर आरोप लगाया कि उसने अरुणाचल प्रदेश में केवल दो लोकसभा सीट होने के कारण इसके सीमावर्ती गांवों की ‘‘उपेक्षा’’ करके देश की सुरक्षा के साथ खिलवाड़ किया।
मोदी ने सामरिक रूप से महत्वपूर्ण सेला सुरंग का उद्घाटन किया जो अरुणाचल प्रदेश के तवांग तक हर मौसम में संपर्क सुविधा उपलब्ध कराएगी।
उन्होंने कहा कि कांग्रेस सरकार इसका पहले ही निर्माण कर सकती थी लेकिन उसने ऐसा नहीं किया।
प्रधानमंत्री ने ईटानगर में एक कार्यक्रम में कहा, ‘‘मोदी संसदीय सीटों की संख्या के आधार पर नहीं, बल्कि राज्य की आवश्यकताओं के आधार पर काम करता है ताकि देश को मजबूत बनाया जा सके।’’
मोदी ने आरोप लगाया कि कांग्रेस की नीति ‘‘सीमावर्ती क्षेत्रों को विकसित नहीं करने और सशस्त्र बलों को कमजोर रखने की’’ रही है, लेकिन ‘‘हम एक मजबूत राष्ट्र के निर्माण में विश्वास करते हैं।’’
उन्होंने सेला और तवांग के लोगों को आश्वासन दिया कि ‘‘लोकसभा चुनाव जीतने के बाद’’ वह उनसे मिलने आएंगे।
यह क्षेत्र में न केवल तेज और अधिक प्रभावी परिवहन मार्ग उपलब्ध कराएगी बल्कि चीन के साथ लगती सीमा के समीप स्थित होने के कारण देश के लिए सामरिक महत्व की भी है।
करीब 825 करोड़ रुपये की लागत से बनी सेला सुरंग इंजीनियरिंग का एक चमत्कार है। इस सुरंग का निर्माण सीमा सड़क संगठन (बीआरओ) ने 13,000 फुट की ऊंचाई पर किया है। यह अरुणाचल प्रदेश में बालीपारा-चारीद्वार-तवांग रोड पर सेला दर्रे से गुजरते हुए तवांग तक हर मौसम में संपर्क उपलब्ध कराएगी।
पहले, सेला दर्रे तक के मार्ग में केवल एकल-लेन संपर्क सुविधा थी जिसमें मोड़ जोखिम भरे थे, जिसके कारण भारी वाहन और कंटेनर ट्रक तवांग नहीं जा पाते थे।
बयान में कहा गया है कि सुरंग का निर्माण कार्य कठिन इलाके और प्रतिकूल मौसम की चुनौतियों को पार करते हुए केवल पांच साल में पूरा किया गया।
इसमें 1,003 मीटर और 1,595 मीटर लंबी दो सुरंगें हैं । दूसरी सुरंग में अंतरराष्ट्रीय मानदंडों के अनुसार मुख्य सुरंग के बगल में एक एस्केप ट्यूब (आपात स्थिति में बचकर निकलने का मार्ग) है।
इस सुरंग से 80 किलोमीटर प्रति घंटे की अधिकतम गति के साथ प्रतिदिन 3,000 कार और 2,000 ट्रक निकल सकते हैं। इसका निर्माण ‘न्यू ऑस्ट्रियन टनलिंग मेथड’ का उपयोग करके किया गया था।