नयी दिल्ली, जलवायु वित्त की सालाना जरूरत के 2050 तक 10 लाख करोड़ डॉलर को पार करने का अनुमान है और वित्तपोषण की मांग को पूरा करने में विफलता सामाजिक-आर्थिक प्रभाव को बढ़ा देगी।
भारत के नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक (कैग) गिरीश चंद्र मुर्मू ने मंगलवार को यह बात कही। उन्होंने यहां जलवायु वित्तपोषण पर एक दिन के सेमिनार को संबोधित करते हुए कहा कि जलवायु वित्तपोषण अधिक मजबूत और टिकाऊ भविष्य की ओर बढ़ने के सामूहिक प्रयासों की कुंजी है।
मुर्मू ने कहा, “जलवायु परिवर्तन तीव्र होने के साथ-साथ दुनिया भर में अनुकूलन, बचाव और मजबूती-निर्माण के प्रयासों को वित्तपोषित करने के लिए मजबूत जलवायु वित्तीय तंत्र की जरूरत भी बढ़ रही है।”
मुर्मू ने कहा कि वार्षिक जलवायु वित्तीय जरूरतों में काफी वृद्धि होने का अनुमान है। यह 2050 तक सालाना 10 लाख करोड़ डॉलर से अधिक तक पहुंच जाएगी।