लेह,कारगिल डेमोक्रेटिक अलायंस (केडीए) ने शिक्षा सुधारक सोनम वांगचुक के प्रति एकजुटता दिखाते हुए 20 मार्च को आधे दिन की हड़ताल का आह्वान किया। वांगचुक केंद्र शासित प्रदेश लद्दाख को राज्य का दर्जा और संवैधानिक सुरक्षा दिये जाने के समर्थन में भूख हड़ताल पर हैं, जो सोमवार को लगातार 13वें दिन भी जारी रही।
वांगचुक की मांगों के समर्थन में आने वाले दिनों में लद्दाख में आंदोलन और तेज होने की संभावना है, क्योंकि केडीए और लेह एपेक्स बॉडी (एलएबी) एक संयुक्त रणनीति बनाने की योजना बना रहे हैं।
इस महीने की शुरुआत में केंद्रीय गृह मंत्रालय के साथ केडीए और एलएबी की बैठक में गतिरोध होने के बाद दोनों संगठनों ने यह फैसला किया है।
लद्दाख को संवैधानिक सुरक्षा दिये जाने के लिए अभियान चला रहे वांगचुक ने सोमवार को कहा कि भारत सरकार को लद्दाख के पर्यावरण और आदिवासी संस्कृति की रक्षा के उसके वादों की याद दिलाने के लिए 250 लोग शून्य से 12 डिग्री कम तापमान में भूखे सोए।
वांगचुक ने ‘एक्स’ पर कहा, ‘ये सरकार भारत को ‘लोकतंत्र की जननी’ कहना पसंद करती है। लेकिन अगर भारत, लद्दाख के लोगों को उनके लोकतांत्रिक अधिकार से वंचित रखता है और इसे नयी दिल्ली से नियंत्रित नौकरशाहों के अधीन रखना जारी रखता है, तो इसे लद्दाख के संबंध में सिर्फ लोकतंत्र की सौतेली माँ कहा जा सकता है,।’
केडीए, एपेक्स बॉडी और केंद्र सरकार के प्रतिनिधियों के बीच बातचीत विफल होने के एक दिन बाद छह मार्च से वांगचुक यहां भूख हड़ताल पर हैं। केडीए ने 20 मार्च को कारगिल में आधे दिन की हड़ताल और वांगचुक व उनके आंदोलन के समर्थन में एक विरोध रैली की घोषणा की है।
केडीए के सह-अध्यक्ष कमर अली अखून ने संवाददाताओं से कहा, ‘एक बैठक में आधे दिन की हड़ताल का निर्णय लिया गया। हम लोगों को सरकार के साथ बातचीत के बारे में भी जानकारी देंगे।’
उन्होंने कहा, ‘हमने सभी अटकलों पर विराम लगाने के लिए हड़ताल और विरोध रैली का आह्वान किया है। लद्दाख में सभी इस आंदोलन का हिस्सा हैं और मांगों के समर्थन में एकजुट हैं।’