नयी दिल्ली दिल्ली उच्च न्यायालय ने पुलिस को जनवरी में कालकाजी मंदिर में एक धार्मिक समारोह के लिए बनाया गया मंच गिरने से एक महिला की मौत होने के मामले की जांच शीघ्र पूरी करने का निर्देश दिया है।
उच्च न्यायालय ने दिल्ली पुलिस को घटना के लिए जिम्मेदार लोगों के खिलाफ कार्रवाई करने का भी निर्देश दिया।
अदालत ने कहा कि हालांकि मंदिर का प्रबंधन और नियंत्रण उच्च न्यायालय द्वारा नियुक्त प्रशासक के अधीन है, लेकिन प्रशासक ने कार्यक्रम आयोजित करने की कोई अनुमति नहीं दी थी।
न्यायमूर्ति प्रतिभा एम. सिंह ने कहा कि पुलिस द्वारा दाखिल स्थिति रिपोर्ट से अदालत के मन में इस बात को लेकर कोई संदेह नहीं रह गया है कि ‘जागरण’ (धार्मिक समारोह) आयोजित करने की अनुमति मंदिर द्वारा दी गई थी।
उच्च न्यायालय ने कहा, ‘‘इसके अलावा, 20 फरवरी, 2024 के आदेश के तहत, अदालत ने पाया था कि महंत ने खुद एक हलफनामा दाखिल किया था, जिसमें कहा गया था कि उन्होंने 27 सितंबर, 2021 के आदेश के बाद कालकाजी मंदिर परिसर का नियंत्रण और प्रबंधन प्रशासक को सौंप दिया है।’’
फरवरी में, अदालत ने 27 और 28 जनवरी की मध्यरात्रि को हुई घटना की जांच के संबंध में एक स्थिति रिपोर्ट मांगी थी।
मंदिर के ‘महंत परिसर’ में आयोजित जागरण के दौरान हुए हादसे में 45 वर्षीय एक महिला की मौत हो गई थी और 17 लोग घायल हुए। इस कार्यक्रम में लगभग 1,600 लोग शामिल हुए थे। घटना के बाद कालकाजी पुलिस थाने में प्राथमिकी दर्ज की गई थी।
उच्च न्यायालय ने 12 मार्च के अपने आदेश में पुलिस की स्थिति रिपोर्ट पर गौर करने के बाद कहा कि जागरण का आयोजन ‘श्री कालकाजी सज्जा सेवादार मित्र मंडल’ द्वारा किया गया था और इसके पदाधिकारी अनुज मित्तल और सतीश कुमार समारोह के आयोजक थे।
रिपोर्ट में कहा गया है कि उन्हें सुरेंद्र नाथ अवधूत ने अनुमति दी थी, जो खुद को मंदिर का महंत बताते हैं।
पुलिस ने कहा कि घटना के संबंध में जांच अभी पूरी नहीं हुई है।