नयी दिल्ली, भारत और यूक्रेन के विदेश मंत्रियों ने शुक्रवार को यहां द्विपक्षीय बातचीत की और इस दौरान दोनों देशों के बीच “जारी संघर्ष और इसके व्यापक प्रभाव” पर चर्चा हुई।
यूक्रेन के विदेश मंत्री दिमित्रो कुलेबा की भारत यात्रा दो साल से अधिक समय से जारी रूस-यूक्रेन संघर्ष के शांतिपूर्ण समाधान के प्रयासों के बीच हो रही है। कुलेबा भारत की दो दिवसीय यात्रा पर बृहस्पतिवार को यहां पहुंचे थे।
विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने शुक्रवार को यूक्रेन के विदेश मंत्री दिमित्रो कुलेबा से यहां हैदराबाद हाउस में मुलाकात की।
बैठक के बाद, जयशंकर ने सोशल मीडिया मंच ‘एक्स’ पर एक पोस्ट में कहा, “आज दोपहर में यूक्रेन के विदेश मंत्री दिमित्रो कुलेबा के साथ एक खुली और व्यापक बातचीत की।’’
उन्होंने कहा, ‘‘‘हमारी चर्चा जारी संघर्ष और इसके व्यापक प्रभावों पर केंद्रित थी। उस संदर्भ में विभिन्न पहलों पर विचारों का आदान-प्रदान किया। हम दोनों के हित के वैश्विक और क्षेत्रीय मुद्दों पर भी बात हुई। द्विपक्षीय सहयोग सहित समग्र संबंधों को मजबूत करने के लिए अपनी प्रतिबद्धता दोहरायी।”
जयशंकर ने हैदराबाद हाउस में यूक्रेन के अपने समकक्ष के साथ हाथ मिलाते हुए और द्विपक्षीय बैठक की तस्वीरें भी साझा कीं।
कुलेबा ने बृहस्पतिवार को ‘एक्स’ पर पोस्ट किया था, ‘‘मैंने विदेश मंत्री एस जयशंकर के आमंत्रण पर नयी दिल्ली की अपनी यात्रा शुरू की है। यूक्रेन-भारत सहयोग महत्वपूर्ण है और हम संबंधों को और मजबूत करेंगे। (यूक्रेन के) राष्ट्रपति (वोलोदिमीर) जेलेंस्की, और प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के बीच बातचीत के आधार पर, हम शांति फॉर्मूला पर विशेष रूप से ध्यान केंद्रित करेंगे।’’
विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रणधीर जायसवाल ने बृहस्पतिवार को साप्ताहिक प्रेस वार्ता के दौरान कुलेबा की यात्रा पर एक प्रश्न के जवाब में कहा था कि “विदेश मंत्री के साथ द्विपक्षीय बातचीत होगी जिसमें वे द्विपक्षीय संबंधों में आने वाले कई मुद्दों पर चर्चा करेंगे।”
उन्होंने कहा था, ‘वे पूर्व में आयोजित अंतर-सरकारी आयोग की भी समीक्षा करेंगे।’
जायसवाल ने कहा था कि दोनों नेता साझा चिंता के क्षेत्रीय और वैश्विक मुद्दों पर भी चर्चा करेंगे। उन्होंने कहा था कि यूक्रेन के विदेश मंत्री के लिए कई अन्य कार्यक्रम भी निर्धारित हैं।
विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता ने स्विट्जरलैंड में शांति सम्मेलन पर भारत के रुख के संबंध में पूछे जाने पर कहा था, “शांति पहल और यूक्रेन-रूस संघर्ष को हम कैसे देखते हैं, इस पर हमारा रुख बहुत स्पष्ट है। हम बातचीत और कूटनीति के माध्यम से संघर्ष के शांतिपूर्ण समाधान को प्रोत्साहित करना जारी रखे हुए हैं और उन सभी तरीकों को अपनाने को तैयार हैं जो इस उद्देश्य को प्राप्त करने में मदद कर सकते हों।”