अनिश्चितताओं के बावजूद भारत का निर्यात चालू वित्त वर्ष में पिछले साल के बराबर रहेगा: गोयल

नयी दिल्ली,  वाणिज्य और उद्योग मंत्री पीयूष गोयल ने भरोसा जताया कि वैश्विक व्यापार में मंदी और अनिश्चितताओं के बावजूद चालू वित्त वर्ष के दौरान भारत का वस्तुओं और सेवाओं के निर्यात पिछले साल के समान स्तर पर रहेगा।

उन्होंने यह भी कहा कि सरकार ऐसी उत्पादन से जुड़े प्रोत्साहन (पीएलआई) योजनाओं को लागू कर रही है, जिनका जोर उच्च गुणवत्ता वाली वस्तुओं और सेवाओं पर है। ऐसा करने से देश के व्यापार घाटे को नियंत्रित करने में मदद मिलेगी।

उन्होंने कहा कि इसलिए हमारा व्यापार घाटा पिछले साल की तुलना में काफी कम रहेगा।

गोयल ने एक साक्षात्कार में पीटीआई-भाषा को बताया, ‘मुझे आपको यह बताते हुए खुशी है कि हम चालू वित्त वर्ष में मार्च के अंत तक पिछले साल के समान स्तर पर होंगे। हमारी वस्तुओं और सेवाओं के बीच कुछ समायोजन हो सकता है, लेकिन दोनों को मिलाकर हम पिछले साल के समान स्तर पर होंगे।’

गोयल ने कहा कि यह देखते हुए कि ज्यादातर विकासशील देशों और अल्प विकसित देशों के अंतरराष्ट्रीय व्यापार में गिरावट हुई है, यह एक बहुत ही महत्वपूर्ण उपलब्धि होगी।

भारत का वस्तुओं और सेवाओं का निर्यात चालू वित्त वर्ष में अप्रैल-जनवरी के दौरान 4.89 प्रतिशत घटकर 353.92 अरब अमेरिकी डॉलर था। इन दस महीने में सेवा निर्यात का अनुमानित मूल्य 84.45 अरब डॉलर था।

भारत का वस्तुओं और सेवाओं का निर्यात बीते वित्त वर्ष 2022-23 में 776 अरब डॉलर था।

रूस-यूक्रेन युद्ध के साथ ही इजराइल-हमास संघर्ष के चलते वैश्विक आपूर्ति श्रृंखलाएं प्रभावित हुई हैं। लाल सागर संकट के कारण परिवहन लागत में उल्लेखनीय वृद्धि हुई है।

जब उनसे पूछा गया कि क्या सरकार संकट से निपटने के लिए किसी प्रकार के समर्थन उपायों को बढ़ाने के बारे में सोच रही है, तो उन्होंने कहा कि भारतीय उद्योग वास्तव में ऐसा नहीं चाहता है कि सभी समस्याओं के समाधान के लिए सरकार पर निर्भर रहा जाए।

उन्होंने कहा कि सरकार सेना और नौसेना के जरिए लाल सागर से गुजरने वाले जहाजों की सुरक्षा सुनिश्चित करने का काम कर रही है। सरकार स्थिति के प्रति बहुत सचेत और सतर्क है।

विश्व व्यापार संगठन (डब्ल्यूटीओ) के बारे में पूछने पर मंत्री ने कहा कि यह बहुत प्रासंगिक है और इसकी प्रासंगिकता बढ़ती रहेगी क्योंकि दुनिया को एक नियम-आधारित पारदर्शी व्यापार प्रणाली की जरूरत है।