प्रगति को मापने का मौजूदा पैमाना जलवायु विरोधी : प्रधानमंत्री मोदी

नयी दिल्ली,  प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने शुक्रवार को प्रगति को मापने के लिए इस्तेमाल किए जाने वाले मापदंड को जलवायु के लिए हानिकारक करार दिया और साथ ही हरित सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) की अवधारणा विकसित करने का सुझाव दिया।

समाजसेवी और माइक्रोसॉफ्ट के सह-संस्थापक बिल गेट्स के साथ बातचीत में उन्होंने कहा कि पिछले साल सितंबर में भारत में जी20 शिखर सम्मेलन के बाद से जलवायु कार्रवाई को गति मिली है।

जब गेट्स ने पूछा कि क्या आसानी से अपनाने के लिए हरित दृष्टिकोण को और अधिक किफायती बनाया जा सकता है, तो प्रधानमंत्री ने कहा कि दुनिया को दो-आयामी रणनीति अपनाने की जरूरत है: पहला, प्रकृति और जलवायु के अनुकूल नवाचार, और दूसरा, पर्यावरण के अनुकूल जीवन शैली।

प्रधानमंत्री ने कहा, ‘‘हमारी वर्तमान चुनौती यह है कि हम प्रगति को किस नजरिए से देखते हैं। उदाहरण के लिए, किसी देश के विकास को अक्सर उसकी इस्पात खपत और ऊर्जा उपयोग से आंका जाता है। इन मानदंडों के आधार पर, हम देश की अर्थव्यवस्था की गणना करते हैं।’’

उन्होंने कहा, ‘‘अगर हम इन मापदंडों पर भरोसा करना जारी रखते हैं तो हम अधिक बिजली और स्टील का उपभोग करेंगे, जिसके परिणामस्वरूप कार्बन उत्सर्जन में वृद्धि होगी। इसका मतलब है कि हमें अपनी मानसिकता बदलने की जरूरत है। हमें जीवन शैली के विकल्प बनाने और जलवायु के अनुकूल तरीकों से प्रगति को मापने की आवश्यकता है। वर्तमान में, प्रगति के हमारे सभी उपाय जलवायु के लिए हानिकारक हैं।’’

उन्होंने सुझाव दिया कि दुनिया हरित जीडीपी की अवधारणा को अपनाए, जिसे समग्र सकल घरेलू उत्पाद में शामिल किया जा सकता है।

मोदी ने कहा, ‘हमें वैश्विक शब्दावली को बदलने की जरूरत है।’’

प्रधानमंत्री ने कहा कि जलवायु परिवर्तन पर उनके और गेट्स के दृष्टिकोण निकटता से मेल खाते हैं।

गेट्स ने 2015 पेरिस जलवायु बैठक में प्रधानमंत्री द्वारा सुझाए गए ‘मिशन इनोवेशन’ की प्रशंसा की।

‘मिशन इनोवेशन’ शब्द प्रधानमंत्री मोदी ने दिया था। मिशन इनोवेशन (एमआई) 23 देशों और यूरोपियन आयोग (यूरोपियन संघ की ओर से) की एक वैश्विक पहल है, जिसका उद्देश्य स्वच्छ ऊर्जा क्रांति में तेजी लाना और पेरिस समझौते के लक्ष्यों और नेट-जीरो उत्सर्जन की दिशा में प्रगति करना है। भारत मिशन इनोवेशन का संस्थापक सदस्य है।

मिशन इनोवेशन (एमआई) (2015-2020) के पहले चरण की घोषणा 30 नवंबर, 2015 को सीओपी21 में की गई थी। मिशन इनोवेशन के पहले चरण में, भारत ने तीन एमआई इनोवेशन चुनौतियों का नेतृत्व किया, जिसमें स्मार्ट ग्रिड, बिजली और सतत जैव ईंधन के लिए ऑफ ग्रिड पहुंच और कई कार्यशालाओं की मेजबानी करना शामिल है।

प्रधानमंत्री ने याद किया कि उन्होंने, तत्कालीन अमेरिकी और फ्रांसीसी राष्ट्रपतियों तथा गेट्स ने उस दौरान इसकी रणनीति पर गहराई से चर्चा की थी लेकिन दुर्भाग्य से उनके प्रयासों में महत्वपूर्ण प्रगति नहीं हुई।

उन्होंने कहा, ‘हालांकि जी20 के बाद ऐसा माहौल बना है जहां हर किसी ने जलवायु के प्रति अपनी जिम्मेदारियों को पूरा करने का संकल्प लिया है। आपकी भागीदारी के साथ हमने जो नींव रखी थी, वह महत्वपूर्ण है … मुझे उम्मीद है कि ये प्रयास बरगद के पेड़ की तरह फलेंगे-फूलेंगे।’’



गेट्स ने कहा कि उपभोक्ताओं को कार खरीदते समय या कोई उत्पाद खरीदते समय स्वच्छ उत्पादों को प्राथमिकता देनी चाहिए।

उन्होंने कहा, ‘‘जैसे…अपने भोजन की आदत को बदलना…भले ही पूरी तरह शाकाहारी ना बनें लेकिन गोमांस का सेवन कम और मुर्गा अधिक खाया जा सकता है…या मुर्गा कम मछली अधिक खाया जा सकता है। ऐसा हो सकता है… और हम जानते हैं कि इसके कुछ स्वास्थ्य लाभ भी हैं।’’

इस पर प्रधानमंत्री ने कहा कि शाकाहारी भोजन में भी सुधार की जरूरत है और मोटे अनाज को शामिल करके ऐसा किया जा सकता है।

उन्होंने कहा, ‘‘हमने संयुक्त राष्ट्र के साथ 2023 को ‘मोटे अनाज का वर्ष’ के रूप में मनाया। इसके बहुत फायदे हैं। वे बंजर भूमि में उगते हैं, उन्हें न्यूनतम पानी की आवश्यकता होती है। उर्वरकों की तो आवश्यकता ही नहीं होती है। वे एक सुपरफूड हैं। मोटे अनाज को बढ़ावा देना एक बड़ा कदम हो सकता है।’’

उन्होंने कहा कि शाकाहारी भोजन के विकल्प के रूप में आजमाए जाने वाले कुछ व्यंजन अधिक हानिकारक हैं।