मेलबर्न, दक्षिणपूर्व एशियाई देशों के नेताओं के इस सप्ताह ऑस्ट्रेलिया में होने वाले शिखर सम्मेलन के एजेंडे में चीन की बढ़ती आक्रामकता और म्यांमा में मानवीय संकट शीर्ष पर हो सकता है।
सोमवार को मेलबर्न में शुरू होने वाला दक्षिणपूर्व एशियाई देशों के संघ (आसियान)-ऑस्ट्रेलिया विशेष शिखर सम्मेलन ऑस्ट्रेलिया के इस एशियाई संगठन का पहला आधिकारिक भागीदार बनने के 50 साल पूरे होने के अवसर पर आयोजित किया जा रहा है।
आसियान के 10 में से नौ देशों के नेताओं के इस तीन दिवसीय शिखर सम्मेलन में भाग लेने की संभावना है। म्यांमा को 2021 में सैन्य तख्तापलट के बाद से देश में हिंसा रोकने में नाकामी को लेकर राजनीतिक प्रतिनिधित्व से बाहर रखा गया है।
पूर्वी तिमोर के नेता को आधिकारिक आसियान पर्यवेक्षक के रूप में आमंत्रित किया गया है और ऑस्ट्रेलिया के प्रधानमंत्री एंथनी अल्बानीज ने न्यूजीलैंड के अपने समकक्ष को क्षेत्रीय नेताओं से मुलाकात करने के लिए आमंत्रित किया है।
अल्बानीज ने शुक्रवार को एक बयान में कहा, ‘‘ऑस्ट्रेलिया आसियान को एक स्थिर, शांतिपूर्ण और समृद्ध क्षेत्र के केंद्र के रूप में देखता है। अपने संबंधों को मजबूत करने से भविष्य में हमारी साझा समृद्धि और सुरक्षा सुनिश्चित होगी।’’
ऑस्ट्रेलिया ने एक बार पहले भी 2018 में सिडनी में आसियान नेताओं की मेजबानी की थी। तब नेताओं ने मेज़बान देश के साथ एक बयान जारी किया जिसमें दक्षिण चीन सागर के विवादित जल क्षेत्र के लिए एक आचार संहिता बनाने का आह्वान किया गया था।
लाओस में जनवरी में हुए आसियान राजनयिकों की बैठक में दक्षिण चीन सागर में चीन की बढ़ती आक्रामकता और म्यांमा में हिंसा पर प्रमुखता से चर्चा की गयी थी।
‘इंटरनेशन क्राइसिस ग्रुप’ की एशिया प्रोग्राम की उप निदेशक ह्युंग ली थु ने कहा कि आसियान हमेशा इस बात पर विभाजित रहा है कि चीन से कैसे निपटा जाए क्योंकि उसके प्रत्येक सदस्य का चीन के साथ अलग संबंध है।
उन्होंने कहा कि म्यांमा में मानवीय संकट एक संगठन के रूप में आसियान की विश्वसनीयता को चुनौती देता है।
वहीं, इस शिखर सम्मेलन के मेजबान ऑस्ट्रेलिया का ध्यान समुद्री सहयोग, आर्थिक संबंध, जलवायु परिवर्तन और स्वच्छ ऊर्जा पर केंद्रित है।