छत्तीसगढ़ : किसानों, आदिवासियों, रोजगार के मुद्दे हावी रहने की संभावना

रायपुर, छत्तीसगढ़ में सत्तारूढ़ भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) ने वर्ष 2000 में राज्य के गठन के बाद हुए सभी चार संसदीय चुनावों में कांग्रेस के खिलाफ बहुत अच्छा प्रदर्शन किया है। पार्टी ने 2019 में 11 में से 9 सीटें जीतीं और इस बार प्रदर्शन और बेहतर करने की उम्मीद कर रही है।

राज्य में चुनाव में किसानों, आदिवासियों, खनन, बुनियादी ढांचे और रोजगार से संबंधित मुद्दों के हावी रहने की संभावना है। भौगोलिक आधार पर राज्य उत्तरी, मध्य और दक्षिणी क्षेत्रों में विभाजित है।

छत्तीसगढ़ की 32 प्रतिशत आबादी आदिवासियों की है और राज्य के लगभग 70 प्रतिशत लोग कृषि और संबद्ध गतिविधियों में शामिल हैं।

भाजपा ने राज्य की सभी 11 सीटों पर उम्मीदवारों की घोषणा कर दी है।

वर्तमान में विष्णु देव साय के नेतृत्व वाली राज्य सरकार में मंत्री बृजमोहन अग्रवाल और दो मौजूदा सांसद भाजपा उम्मीदवारों में शामिल हैं।

कांग्रेस ने अब तक छह सीटों पर उम्मीदवारों की घोषणा की है, जिसमें पूर्व मुख्यमंत्री भूपेश बघेल सहित वरिष्ठ नेताओं पर भरोसा जताया गया है।

भाजपा ने 2004, 2009 और 2014 में 11 लोकसभा सीटों में से 10 सीटें जीतीं। 2018 के राज्य विधानसभा चुनाव में हार के बावजूद, 2019 के लोकसभा चुनावों में उसे 9 सीटें मिलीं।

उत्तरी छत्तीसगढ़: आदिवासी बहुल इस क्षेत्र में सरगुजा, रायगढ़ (दोनों अनुसूचित जनजाति के उम्मीदवारों के लिए आरक्षित) और कोरबा लोकसभा सीटें शामिल हैं, जिनमें से प्रत्येक में आठ विधानसभा क्षेत्र शामिल हैं।

घने जंगल, पहाड़ियों, जलाशयों वाला यह क्षेत्र कुछ मूल आदिवासी समुदायों का घर है। लोग आजीविका के लिए बड़े पैमाने पर कृषि और वनोपज पर निर्भर हैं।

कई कोयला खदानों वाला यह क्षेत्र ओडिशा, झारखंड, उत्तर प्रदेश और मध्य प्रदेश के साथ सीमा साझा करता है।

मानव-हाथी संघर्ष और कोयला खदान परियोजनाओं से प्रभावित लोगों का विरोध क्षेत्र में प्रमुख मुद्दे रहे हैं। एक अन्य कारक सरगुजा और जशपुर के पूर्व शाही परिवारों का प्रभाव है।

पिछले चुनाव में सरगुजा लोकसभा क्षेत्र के अंतर्गत आने वाली सभी आठ विधानसभा सीटों पर भाजपा ने जीत हासिल की थी। 2019 के लोकसभा चुनाव में भाजपा की रेणुका सिंह ने इस सीट से जीत हासिल की और केंद्र में मंत्री बनीं। बाद में उन्होंने 2023 के राज्य विधानसभा चुनाव में जीत हासिल की और विधायक निर्वाचित हुईं।

इस बार भाजपा ने सरगुजा से पूर्व विधायक चिंतामणि महाराज को मैदान में उतारा है। पिछले विधानसभा चुनाव से पहले उन्होंने कांग्रेस छोड़ दी थी।

रायगढ़ मुख्यमंत्री साय का गृह क्षेत्र है, जिन्होंने 1999, 2004, 2009 और 2014 में इस संसदीय सीट का प्रतिनिधित्व किया था। 2019 में, भाजपा की गोमती साय ने इस सीट पर जीत हासिल की। वह पिछले साल छत्तीसगढ़ विधानसभा के लिए निर्वाचित हुई थीं। भाजपा ने इस बार नए चेहरे राधेश्याम राठिया को मैदान में उतारा है।

छत्तीसगढ़ के गठन के बाद से भाजपा ने ये दोनों लोकसभा सीटें नहीं हारी हैं। कोरबा सीट फिलहाल कांग्रेस की ज्योत्सना महंत के पास है, जिन्हें पार्टी ने फिर से उम्मीदवार बनाया है। इस सीट पर भाजपा ने अपनी प्रभावशाली महिला नेता सरोज पांडे को मैदान में उतारा है।

मध्य छत्तीसगढ़: इसमें छह लोकसभा सीटें-रायपुर, दुर्ग, राजनांदगांव, महासमुंद, बिलासपुर और जांजगीर-चांपा शामिल हैं।

इस क्षेत्र की सीमा ओडिशा, मध्य प्रदेश और महाराष्ट्र से लगती है।

रायपुर, दुर्ग और भिलाई क्षेत्रों में राज्य की कुल शहरी आबादी का लगभग आधा हिस्सा रहता है।

किसान-संबंधी मुद्दे और रोज़गार इस क्षेत्र में चुनाव परिणाम निर्धारित करने में प्रमुख भूमिका निभाते रहे हैं।

पिछले विधानसभा चुनाव के दौरान भाजपा ने यहां हिंदुत्व के मुद्दे पर भी प्रचार किया था।

जांजगीर-चांपा लोकसभा सीट (अनुसूचित जाति के उम्मीदवारों के लिए आरक्षित) में आठ विधानसभा क्षेत्र हैं, जिनमें से सभी पिछले विधानसभा चुनाव में कांग्रेस ने जीते थे। पार्टी ने राजनांदगांव के अंतर्गत आठ विधानसभा क्षेत्रों में से पांच पर भी जीत हासिल की।

कांग्रेस ने राजनांदगांव में भाजपा के मौजूदा सांसद संतोष पांडे के खिलाफ पूर्व मुख्यमंत्री बघेल को मैदान में उतारा है।

रायपुर से भाजपा ने कांग्रेस के पूर्व विधायक विकास उपाध्याय के खिलाफ आठ बार के विधायक बृजमोहन अग्रवाल को मैदान में उतारा है।

दक्षिणी छत्तीसगढ़: इसमें बस्तर और कांकेर लोकसभा सीटें शामिल हैं, दोनों एसटी के लिए आरक्षित हैं और प्रत्येक में आठ विधानसभा क्षेत्र शामिल हैं।

महाराष्ट्र, आंध्र प्रदेश, तेलंगाना और ओडिशा से घिरा यह क्षेत्र समृद्ध जंगलों, विविध आदिवासी आबादी और अनूठी संस्कृति के लिए जाना जाता है।

यहां के अधिकांश लोग आजीविका के लिए पारंपरिक कृषि और जंगलों पर निर्भर हैं।

संपूर्ण बस्तर संसदीय क्षेत्र और कांकेर के कुछ हिस्से वामपंथी उग्रवाद से प्रभावित रहे हैं। दोनों सीटों पर नक्सलवाद, धर्मांतरण, खनन और आदिवासियों के लिए कल्याण योजनाएं प्रमुख मुद्दों में से हैं।

बस्तर निर्वाचन क्षेत्र वर्तमान में प्रदेश कांग्रेस प्रमुख दीपक बैज के पास है। पार्टी ने अभी तक इस सीट से अपने उम्मीदवार की घोषणा नहीं की है। भाजपा ने महेश कश्यप को मैदान में उतारा है, जो क्षेत्र में कथित धर्म परिवर्तन का मुद्दा उठाते रहे हैं।

कांकेर संसदीय सीट पर फिलहाल भाजपा के मोहन मंडावी का कब्जा है। पार्टी ने उनकी जगह पूर्व विधायक भोजराज नाग को उतारा है, जो क्षेत्र में कथित धर्म परिवर्तन के खिलाफ विरोध प्रदर्शन में सबसे आगे थे। राज्य गठन के बाद से भाजपा यह सीट कभी नहीं हारी है। कांग्रेस ने अभी तक इस सीट के लिए अपने उम्मीदवार की घोषणा नहीं की है।

अधिकारियों ने रविवार को कहा कि 1.03 करोड़ महिलाओं और 1.01 करोड़ पुरुषों सहित 2.05 करोड़ से अधिक लोग छत्तीसगढ़ में आगामी लोकसभा चुनाव में अपने मताधिकार का प्रयोग करने के पात्र हैं।

मुख्य निर्वाचन अधिकारी रीना बाबासाहेब कंगाले ने संवाददाताओं को बताया कि 2019 के लोकसभा चुनावों के बाद से राज्य में मतदाताओं की संख्या में 15,14,013 (7.96 प्रतिशत) और 2023 के राज्य विधानसभा चुनावों के बाद से 1,20,092 (0.6 प्रतिशत) की वृद्धि हुई है।

छत्तीसगढ़ की 11 लोकसभा सीटों के लिए तीन चरणों में 19 अप्रैल, 26 अप्रैल और सात मई को चुनाव होंगे और मतगणना चार जून को होगी।