वॉल्ट डिज्नी के सीईओ ने कहा, रिलायंस के साथ विलय से कंपनी का मुनाफा बढ़ेगा, जोखिम कम होगा

नयी दिल्ली,  वॉल्ट डिज्नी के मुख्य कार्यपालक अधिकारी (सीईओ) बॉब इगर का मानना है कि भारतीय कारोबार के विलय के बाद रिलायंस इंडस्ट्रीज के साथ संयुक्त उद्यम से कंपनी को लाभ होगा। उन्होंने कहा कि इसके साथ ही भारतीय बाजार में कंपनी के कारोबार का ‘जोखिम’ कम होगा।

इस सप्ताह की शुरुआत में मॉर्गन स्टेनली निवेशक सम्मेलन में इगर ने कहा कि विलय सौदे से एक बड़ी इकाई बनेगी और उसे बाजार में ‘महत्वपूर्ण स्तर’ पर बने रहने में मदद मिलेगी।

इगर ने कहा, ‘‘हमें रिलायंस के साथ जुड़ने का अवसर मिला, जाहिर तौर पर यह वह कंपनी है जिसने वहां बहुत अच्छा प्रदर्शन किया है और जिसका हम सम्मान करते हैं। और ऐसा करने के साथ हम एक बड़ी मीडिया कंपनी में हिस्सेदार बन गए हैं। हमारा मानना ​​​​है कि, न केवल इससे हमारा लाभ बढ़ेगा, बल्कि हमारा कारोबारी जोखिम भी कम होगा।’’ पिछले महीने वॉल्ट डिज्नी कंपनी और रिलायंस इंडस्ट्रीज ने भारत में अपने मीडिया परिचालन के विलय के लिए पक्के समझौते पर हस्ताक्षर की घोषणा की थी।

इस सौदे के तहत रिलायंस और उसकी सहयोगी इकाइयों के पास संयुक्त उद्यम में 63.16 प्रतिशत हिस्सेदारी होगी। डिज्नी के पास 36.84 प्रतिशत हिस्सेदारी रहेगी। इससे देश में बड़ी मीडिया कंपनी अस्तित्व में आएगी, जिसके पास दो स्ट्रीमिंग सेवाएं और लगभग 120 टेलीविजन चैनल होंगे।

उन्होंने कहा, ‘‘हम भारत में रहना चाहते हैं। हमने जब ट्वेंटी फर्स्ट सेंचुरी फॉक्स की संपत्तियां खरीदी थीं, तो यह एक बड़ा निवेश था। हम भारत की सबसे बड़ी मीडिया कंपनियों में से एक हैं। भले ही यह दुनिया में सबसे अधिक आबादी वाला देश है, हमें लगा कि हमें वहां रहना चाहिए। हमें यह भी पता है कि उस बाजार में चुनौतियां हैं।’’ इगर ने कहा कि विलय से एक बड़ी इकाई बनेगी और उसे बाजार में ‘महत्वपूर्ण स्तर’ पर बने रहने में मदद मिलेगी।

इस सौदे के अनुसार, संयुक्त उद्यम का मूल्य 70,352 करोड़ रुपये (8.5 अरब डॉलर) आंका गया है।

अरबपति मुकेश अंबानी की अगुवाई वाली रिलायंस ने जापान की सोनी और नेटफ्लिक्स जैसे प्रतिद्वंद्वियों का मुकाबला करने के लिए संयुक्त उद्यम में 11,500 करोड़ रुपये का निवेश करने पर सहमति व्यक्त की है।