कर्नाटक में भाजपा एक बार फिर येदियुरप्पा पर निर्भर

1526523543-646

बेंगलुरु,भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के अनुभवी नेता बी.एस. येदियुरप्पा सत्ता और चुनावी राजनीति से बेशक बाहर हो गए हैं, लेकिन कर्नाटक में पार्टी के मामलों में उनका दबदबा अब भी कायम है और केंद्रीय नेतृत्व लोकसभा चुनावों में पार्टी की स्थिति को मजबूत करने के लिए उन्हीं पर भरोसा कर रहा है।

चुनावों के लिए उम्मीदवारों के चयन से लेकर निर्वाचन क्षेत्रों में असंतोष को शांत करने तक हर मामले में पार्टी की केंद्रीय चुनाव समिति के सदस्य येदियुरप्पा की अहम भूमिका है।

भाजपा संसदीय बोर्ड के सदस्य येदियुरप्पा के लिए यह चुनाव काफी अहम है क्योंकि उन्हें इन चुनावों के जरिए यह सुनिश्चित करना होगा कि पार्टी की प्रदेश इकाई के अध्यक्ष के रूप में उनके बेटे बी.आई. विजयेंद्र की स्थिति मजबूत हो और इस पद पर उनके बेटे के चयन को लेकर सवाल उठाने वाले आलोचकों को शांत किया जा सके।

येदियुरप्पा चुनावी राजनीति से बाहर होने की पहले ही घोषणा कर चुके हैं। भाजपा के केंद्रीय नेता, प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के साथ येदियुरप्पा की राज्य के चुनाव प्रचार अभियान में अहम भूमिका मान रहे हैं।

चार बार मुख्यमंत्री रहे येदियुरप्पा ने राज्य में जमीनी स्तर पर पार्टी को खड़ा करने में अहम योगदान दिया है। वह लोगों के बीच काफी लोकप्रिय हैं। खास तौर पर राजनीतिक रूप से अहम माने जाने वाले लिंगायत समुदाय के बीच उनकी अच्छी पकड़ है।

भाजपा ‘येदियुरप्पा फैक्टर’ को भुनाना चाहती है। खुद प्रधानमंत्री ने भी इस महीने की शुरुआत में येदियुरप्पा के गृह जिले शिवमोगा में आयोजित जनसभा के दौरान उनकी जमकर प्रशंसा की थी।

मोदी ने कहा था, ‘‘शिवमोगा एक विशेष स्थान है… जनसंघ के दिनों में हमें कोई नहीं जानता था, उस समय स्थानीय निकाय स्तर पर भी हमारा कोई सदस्य नहीं था। ऐसे समय में येदियुरप्पा जी ने अपना जीवन यहीं बिताया। यह उनकी ‘तपोभूमि’ है।’’

कुछ राजनीतिक पर्यवेक्षकों और भाजपा के अंदरूनी सूत्रों के अनुसार, पार्टी ने पिछले साल मई में विधानसभा चुनाव में येदियुरप्पा को किनारे करने की कोशिश की थी।

इन चुनावों में कांग्रेस ने भाजपा को सत्ता से बाहर कर दिया था और पार्टी 224 सदस्यीय विधानसभा में केवल 66 सीट ही जीत पाई थी।

भ्रष्टाचार का मुद्दा, अल्पसंख्यकों के मत कांग्रेस के पक्ष में जाना और लिंगायतों के एक वर्ग का भाजपा से दूरी बनाना पार्टी की हार के प्रमुख कारण में शामिल रहे।

भाजपा ने एक बार फिर येदियुरप्पा पर भरोसा जताते हुए पिछले साल नवंबर में विजयेंद्र को राज्य इकाई का अध्यक्ष नियुक्त किया था।

लोकसभा चुनाव के लिए उम्मीदवारों के चयन में येदियुरप्पा का प्रभाव साफ तौर पर दिखाई दे रहा है। शिमोगा से उनके बड़े बेटे बी.वाई. राघवेंद्र को चुनावी मैदान में उतारे जाने के अलावा बेंगलुरु उत्तर से शोभा करंदलाजे, दावणगेरे से गायत्री सिद्धेश्वर, हावेरी से पूर्व मुख्यमंत्री बसवराज बोम्मई और चित्रदुर्ग से गोविंद एम करजोल सहित उनके कई वफादार नेताओं को टिकट मिले हैं।