तिरुवनंतपुरम, भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) ने राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू के खिलाफ उच्चतम न्यायालय जाने के कदम के लिए केरल की वामपंथी सरकार की रविवार को आलोचना करते हुए कहा कि यह महिलाओं और आदिवासी समुदायों के प्रति मार्क्सवादी पार्टी के भेदभाव को दर्शाता है।
पार्टी के वरिष्ठ नेता एवं केंद्रीय मंत्री वी मुरलीधरन ने आरोप लगाया कि मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी (माकपा) ने हमेशा ‘‘महिला विरोधी’’ रुख अपनाया है और उन्होंने तब भी विरोध किया था जब मुर्मू को देश के सर्वोच्च पद के लिए नामित किया गया था।
उन्होंने आरोप लगाया कि मार्क्सवादी पार्टी का रुख हमेशा महिला विरोधी रहा है। उन्होंने कहा कि 2022 तक वामपंथी पार्टी के पोलित ब्यूरो में कोई महिला सदस्य नहीं थी।
केरल सरकार ने एक असामान्य कदम उठाते हुए राज्य विधानसभा से पारित चार विधेयकों को राष्ट्रपति मुर्मू द्वारा मंजूरी न दिये जाने के खिलाफ उच्चतम न्यायालय का दरवाजा खटखटाया है।
मुरलीधरन ने यहां पत्रकारों से कहा कि यह पहली बार नहीं है कि देश में विधेयकों में देरी हो रही है, बल्कि यह पहली बार है कि कोई राष्ट्रपति के खिलाफ आगे बढ़ रहा है।
उन्होंने कहा कि सामाजिक न्याय और समानता के लिए खड़े देश के लोग राष्ट्रपति मुर्मू को अपमानित करने के इरादे से उठाए गए हर कदम का विरोध करेंगे।
उन्होंने कहा कि ऐसा समझा जाता है कि राज्य के मुख्य सचिव एवं माकपा के वरिष्ठ नेता टी पी रामकृष्णन ने संयुक्त रूप से राष्ट्रपति के खिलाफ मामला दायर किया है।
राज्य सरकार ने राष्ट्रपति द्वारा बगैर किसी कारण के विधेयकों को मंजूर न करने को असंवैधानिक कदम घोषित करने का न्यायालय से अनुरोध किया है। इन विधेयकों में विश्वविद्यालय कानून (संशोधन) (नंबर 2) विधेयक, 2021; केरल सहकारी सोसायटी (संशोधन) विधेयक, 2022; विश्वविद्यालय कानून (संशोधन) विधेयक, 2022; और विश्वविद्यालय कानून (संशोधन) (नंबर 3) विधेयक, 2022 शामिल हैं।