भोजन में सब्जियां महत्वपूर्ण है। सब्जी ठीक हो तो भोजन आनंद एवं तृप्तिदायक होता है। तृप्तिदायक भोजन न होने पर न ऑफिस में मन लगता है, न मित्र सहेलियों की गपशप में और न पिकनिक में। उत्तम गृहणियां सबसे पहले भोजन बनाने के साथ साग सब्जियों पर विशेष ध्यान देती हैं।
सब्जियां अच्छी बनें उसके पहले यह जरूरी है कि हम उनको खरीदने से पहले उन बातों पर ध्यान दें, जो उनसे बनाने की प्राथमिक आवश्यकताएं है। यदि सब्जियां आपकी आंगनबाड़ी की है तो यह सोने पे सुहागा है पर आज इस युग में कहां ऐसे खुले आंगन और पर्याप्त जगह है जिसमें पानी आदि की सुविधा हो। यदि हाथ पैर मारकर एक दो तरह की सब्जियां लगा भी ली तो वे पर्याप्त नहीं होती हंै। फिर देख रेख, पानी देना और उनकी बीमारियों का ध्यान रखना आदि कई तरह की झंझटे भी होती हैं। इतनी झंझटें होने के बावजूद अपने द्वारा उगाई गई सब्जियों का मजा कुछ और होता है तथा श्रम करने का आनंद भी मिलता है, पर….।
शहरों में जिनको कार्यालयों में या अन्य स्थानों पर आजीविका के लिए दौड़ धूप करना पड़ती है उनको तो बहुधा सब्जी बाजार पर ही निर्भर रहना पड़ता है। सब्जी खरीदने जाना अपने आप में आनंद ही नहीं बल्कि एक तरह का अनुभव भी है। जिसमें समाज में क्रेता विक्रेता की हैसियत से मनुष्य को परखने का अवसर मिलता है। उपभोक्ता को कई कड़वे मीठे अनुभवों से गुजरना पड़ता है। अत: आप सब्जियां खरीदने जाएं उसके पहले कुछ बातें जान लेना जरूरी हैं।
आप कभी भी सब्जियां खरीदने के काम को सामान्य न समझें और इसे ऐसा मानकर न कभी बच्चों को अकेला या अपने पति महाशय को भेेजें। आम परिवारों में पति महाशय या बच्चों को ही सब्जियां खरीदते देखा है। कभी पति महाशय अपनी ही रुचि की सब्जियां लाकर पटक देते हैं और फिर आप उन पर चिढ़ती भी हैं। कभी-कभी वे आफिस से थके मांदे आए और आप सब्जी का थैला तथा पैसा थमाकर कहें कि जाइए सब्जी लाइए तब उनको कैसी अखरती होगी।
सब्जियां खरीदने से पहले एक चक्कर पूरे बाजार का अवश्य लगाएं। और यह देखें कि ताजी सब्जियां कौन-कौन सी आई हुई हैं। फिर उनके भाव ताव भी करें। जिन सब्जियों को अभी शाम या सुबह बनाना है वे ताजा ही खरीदें। पत्तियों वाली सब्जियां जितनी ताजा होंगी उतना ही लाभ है-अन्यथा चौबीस घंटे बाद सडऩे लगती हैं। ऐसी ताजा सब्जियां खरीदने का शाम का ही समय उपयुक्त हो सकता है, क्योंकि खेतों से अक्सर ये दो तीन बजे बाद ही बाजार के लिए आती हैं।
सब्जी रखने का थैला ऐसा रखें कि कोई भी सब्जी टूटे नहीं, और न ही उनकी ताजगी नष्ट हो। जो सब्जी ठोस हो और वजन पडऩे पर भी अप्रभावित रहे उसको सबसे नीचे रखें। फिर उसके बाद ऐसा क्रम रखें कि जो थोड़े से दबाव से खराब हो, उसको सबसे ऊपर रखें। ऐसे थैले में केवल सब्जियां ही रखें-उसमें बाजार के अन्य सामान न रखें, जैसे दाल, चावल, शक्कर, गुड़, आदि जिससे दोनों के ही खराब होने की संभावना हो।
तीन चार दिन की सब्जियां इकट्ठी एक साथ न खरीदें। भले ही आपके पास फ्रिज क्यों न हो। फ्रिज में रखी गई सब्जियां ताजगी का एहसास दे सकती हैं पर वे वास्तव में ताजा नहीं होती हैं।
सब्जियों को हमेशा बदलती रहें। और परिवार की रुचि पर पूरा ख्याल रखें। बनाने से पहले सबकी राय अवश्य जान लें तत्पश्चात सबकी सामान्य रुचि के अनुसार बनाएं। दालों की उपेक्षा न करें, उनका भी महत्वपूर्ण स्थान है।