नयी दिल्ली, केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री मनसुख मांडविया ने सोमवार को कहा कि सरकार ने पिछले 10 वर्षों में स्वास्थ्य क्षेत्र को विकास से जोड़कर यह सुनिश्चित करने के लिए काम किया है कि प्रत्येक नागरिक को समान गुणवत्ता मानक के साथ स्वास्थ्य सुविधाएं मिलें।
मंत्री ने यह टिप्पणी उस वक्त की जब उन्होंने हरियाणा के झज्जर स्थित अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) के राष्ट्रीय कैंसर संस्थान (एनसीआई) के पांचवें स्थापना दिवस समारोह को वीडियो कांफ्रेंस से संबोधित किया।
मांडविया ने समारोह को संबोधित करते हुए कहा, ‘‘जिस तरह से एनसीआई ने पिछले पांच वर्षों में प्रगति की है वह संस्थान के दैनिक कामकाज में शामिल चिकित्सकों, नर्स और अन्य स्वास्थ्य कार्यकर्ताओं के कौशल और समर्पण का प्रमाण है।’’
उन्होंने संस्थान को मरीजों को गुणवत्तापूर्ण स्वास्थ्य सेवा प्रदान करना जारी रखने के लिए प्रोत्साहित किया।
मांडविया ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी का सपना है कि देश आयुष्मान बने, जहां स्वास्थ्य सुविधाएं किफायती, सुलभ और हर नागरिक के लिए उपलब्ध हों।
उन्होंने जोर देकर कहा, ‘‘इलाज के लिए अमीर और गरीब के बीच कोई भेदभाव नहीं होना चाहिए। यह सुनिश्चित करने के लिए कि सभी को समान गुणवत्ता मानक के साथ स्वास्थ्य सुविधाएं मिलें, सरकार ने पिछले 10 वर्षों में स्वास्थ्य क्षेत्र को विकास से जोड़कर काम किया है।’’
आयुष्मान भारत प्रधानमंत्री जन आरोग्य योजना (पीएम-जेएवाई) और ‘आयुष्मान आरोग्य मंदिर’ योजना की उपलब्धियों पर मांडविया ने कहा, ‘‘देश के 60 करोड़ लोगों को सालाना पांच लाख रुपये का पारिवारिक स्वास्थ्य बीमा प्रदान करके गंभीर बीमारियों का मुफ्त इलाज प्रदान किया गया है। योजना के तहत आज गरीब भी उन अस्पतालों में अपना इलाज कराते हैं जहां पहले सिर्फ अमीर लोग अपना इलाज कराते थे।’
मांडविया ने कहा, ‘‘अब तक इस योजना के तहत छह करोड़ से ज्यादा लोगों को इलाज मिल चुका है, जिससे इन गरीबों को 1,12,500 करोड़ रुपये से ज्यादा की बचत हुई है।’’
उन्होंने कहा, ‘‘एक लाख 64 हजार से अधिक आयुष्मान आरोग्य मंदिरों की स्थापना के पीछे एक उद्देश्य यह सुनिश्चित करना है कि कैंसर की प्राथमिक जांच पहले ही चरण में हो जाए। आज, जिला अस्पतालों में भी जटिल ऑपरेशन किए जा रहे हैं।’’
स्वास्थ्य मंत्री ने कहा कि आयुष्मान भारत योजना ने न केवल करोड़ों लोगों की जान बचाई है, बल्कि उन्हें गरीबी रेखा से नीचे जाने से भी बचाया है।
उन्होंने 2025 तक क्षयरोग को खत्म करने के प्रयास में भारत की सफलताओं के बारे में कहा, ‘‘प्रधानमंत्री के टीबी-मुक्त भारत अभियान के तहत हर साल देश के 25 लाख टीबी रोगियों को मुफ्त दवाएं, परीक्षण, पोषक आहार आदि प्रदान किया जाता है, जिसमें प्रतिवर्ष लगभग 3,000 करोड़ रुपये खर्च होते हैं।’’
मांडविया ने इस बात पर भी प्रकाश डाला कि देश के 10 लाख टीबी रोगियों को सेवाभावी नागरिक गोद ले रहे हैं और उन्हें हर महीने पोषक आहार भी वितरित कर रहे हैं।