संयुक्त राष्ट्र, रूस और चीन ने बुधवार को अमेरिका व ब्रिटेन पर लाल सागर में मालवाहक जहाजों पर मिसाइल दागने के लिए यमन के हूती विद्रोहियों द्वारा इस्तेमाल किये जाने वाले सैन्य स्थलों पर अवैध रूप से हमला कर वैश्विक व्यापार को बाधित करने का आरोप लगाया।
अमेरिका के उपराजदूत रॉबर्ट वुड और ब्रिटेन की राजदूत बारबरा वुडवर्ड ने हूती विद्रोहियों के हमले को अवैध करार देते हुए पलटवार किया और यमन विद्रोहियों के खिलाफ की गयी वैध कार्रवाई को आत्मरक्षा में उठाया गया कदम करार दिया।
वुडवर्ड ने कहा कि हूती विद्रोहियों के हमले वैश्विक व्यापार की लागत को बढ़ा रहे हैं, जिसमें क्षेत्र में खाद्य आपूर्ति और मानवीय सहायता की लागत भी शामिल है।
वहीं संयुक्त राष्ट्र में रूस के उप राजदूत दमित्री पोलांस्की और चीन के राजनयिक झांग जुन ने तर्क दिया कि संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद ने यमन के खिलाफ सैन्य कार्रवाई को कभी भी मंजूरी नहीं दी।
सुरक्षा परिषद की बैठक में दोनों पक्षों के बीच यह बहस उस समय हुई, जब यमन के लिए संयुक्त राष्ट्र के विशेष दूत हंस ग्रुंडबर्ग ने कहा कि गाजा में युद्ध और ‘विशेष रूप से लाल सागर में सैन्य गतिरोध में वृद्धि’ के कारण क्षेत्रीय तनाव बढ़ गया है, जिसकी वजह से यमन में शांति बहाल करने के आशाजनक प्रयास धीमे हो गए हैं।
रूस के पोलांस्की ने जोर देकर कहा कि मॉस्को, वाणिज्यिक जहाजों पर हमले और उन्हें जब्त करने जैसी किसी भी प्रकार की घटना की निंदा करता है, जो ‘नौवहन’ की स्वतंत्रता में बाधा पैदा करती हो।
उन्होंने कहा कि रूस ने हूती नेताओं को यमन के घरेलू विषयों पर ध्यान केंद्रित करने और शांति कायम करने का संदेश दिया है।