नयी दिल्ली, राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने शुक्रवार को कुछ किसानों को गरीबी से बाहर निकालने और उनकी उपज का सही मूल्य सुनिश्चित करने के लिए और अधिक कार्रवाई करने का आह्वान किया।
राष्ट्रपति का यह बयान दिल्ली और राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र (एनसीआर) के हजारों किसानों द्वारा बृहस्पतिवार को सरकार द्वारा अधिग्रहीत भूमि के लिए बढ़े हुए मुआवजे की मांग और फसलों के लिए न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) की गारंटी के लिए एक कानून बनाने सहित कई मागों को स्वीकार करने की मांग को लेकर सड़कों पर उतरने की पृष्ठभूमि में आया है।
मुर्मू ने यहां पूसा परिसर में आईसीएआर-भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान (आईएआरआई) के 62वें दीक्षांत समारोह को संबोधित करते हुए कहा कि किसान न केवल “अन्नदाता” है, बल्कि “जीवनदाता” भी है। वे देश की अर्थव्यवस्था को मजबूत बनाने में योगदान दे रहे हैं।
मुर्मू ने कहा,’हम अपने किसानों की समस्याओं से अवगत हैं। आज भी बहुत से किसान गरीबी में जी रहे हैं। यह सुनिश्चित करने के लिए कि उन्हें (उनकी उपज के लिए) सही कीमत मिले और उनकी आजीविका में सुधार हो, हमें इस दिशा में और भी अधिक मेहनत करने की जरूरत है।’
उन्होंने विश्वास जताया कि 2047 तक देश एक विकसित राष्ट्र बन जाएगा और किसान भी विकास देखेंगे।
राष्ट्रपति ने कहा कि सरकार किसानों की आय बढ़ाने के लिए तेजी से प्रयास कर रही है। उन्होंने कहा कि नयी कृषि पद्धतियों को बढ़ावा देना, सिंचाई सुविधाओं का विस्तार और फसल बीमा, मृदा स्वास्थ्य कार्ड एवं किसान संपदा योजना जैसी योजनाएं किसानों की आय दोगुनी करने में एक बड़ी भूमिका निभाएंगी।
उन्होंने महात्मा गांधी और रवींद्रनाथ टैगोर के प्रसिद्ध उद्धरणों का हवाला देते हुए कृषक समुदाय की आजीविका में सुधार के महत्व पर जोर दिया।
मुर्मू ने कृषि क्षेत्र में आईएआरआई की मेरा गांव, मेरा गौरव पहल की सराहना करते हुए देश की खाद्य सुरक्षा हासिल करने में इसके योगदान का उल्लेख किया।
उन्होंने कहा कि आईएआरआई के तहत विभिन्न स्कूल कृषि में सुधार की दिशा में काम कर रहे हैं। इसने 2005 और 2020 के बीच 100 से अधिक फसल किस्मों का विकास किया है और इतनी ही संख्या का पेटेंट कराया है। आईएआरआई ने पड़ोसी देशों में सॉफ्ट पावर को भी बढ़ावा दिया है।
इस अवसर पर कृषि मंत्री अर्जुन मुंडा ने आईएआरआई की 30 उन्नत फसल किस्मों और प्रकाशनों का विमोचन किया। आईएआरआई के निदेशक और कुलपति ए. के. सिंह ने कहा कि भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान की यात्रा 1905 में बिहार के पूसा से शुरू हुई थी। संस्थान का मिशन भोजन, पोषण और आजीविका सुरक्षा के लिए विज्ञान के नेतृत्व वाली टिकाऊ और विश्व स्तर पर प्रतिस्पर्धी कृषि के लिए नेतृत्व प्रदान करना है।