परीक्षा के दिनों में आमतौर पर बच्चे घबरा जाते हैं। उन पर एक तो परीक्षा के कारण पढऩे का बोझ बढ़ जाता है और दूसरा माता-पिता भी उनका बोझ और डर बढ़ाने में सहायक होते हैं। आज के दौर में हर माता-पिता चाहते हैं कि उनका बच्चा आगे निकले। बच्चे पर यह दबाव लगातार बना रहता है और उसके अन्दर यह डर बैठ जाता है कि वह कहीं अपने माता-पिता की नजरों से गिर न जाए। यह डर परीक्षा के दौरान सिरदर्द, पेटदर्द, डायरिया, नर्वस होना, पसीना-पसीना हो जाने के रूप में उभरता है।
मां क्या करे?
बच्चे को टाइम-टेबल बना कर पढऩे हेतु कहे, जिस सबजैक्ट में कमजोर हो उस पर ज्यादा समय देने को कहे। बच्चे में रटने की आदत न डालें इससे बच्चों में आत्मविश्वास खत्म हो जाता है बच्चा कभी भी अपने आप को आरामदायक हालत में महसूस नहीं करता। अगर कोई प्रश्न घुमा फिराकर पूछ लिया जाए तब बच्चा नर्वस हो जाता है ‘घबरा जाता हैÓ और याद किया हुआ भी भूल जाता है। पढऩे की भी कोई सीमा होती है, बच्चे को हर वक्त पढऩे के लिए नहीं बोलना चाहिए, पढ़ते-पढ़ते कभी ऐसी भी हालत बन जाती है जब बच्चा अपना ध्यान सबजैक्ट (विषय) पर केन्द्रित नहीं कर सकता और उसके दिमाग में कुछ भी नहीं जाता। इससे बच्चा और भी नर्वस हो जाता है। बेहतर यही होगा कि बच्चा पढऩे की बजाय कोई और काम करे। टाइम टेबल बनाते समय कुछ समय खेलने के लिए भी निश्चित करना चाहिए। परीक्षा के पहले बच्चों की शारीरिक तौर से सेहत बनाना और कार्यशील होना बहुत जरूरी है। अगर आप बच्चों की परीक्षा को लेकर परेशान हों, तो उसको बच्चों के सामने जाहिर नहीं करें। बच्चे के सामने सकारात्मक सोच ही जाहिर करना चाहिए। बच्चों को निरुत्साह कभी न करें कि तुम पिछली बार भी अच्छे नंबर नहीं लाए थे। इस बार क्या खाक लेकर आओगे। ऐसी बातों से बच्चों का दिल टूट जाता है। इसके साथ उसका पढऩे का उत्साह खत्म हो जाता है। उसको लगता है कि सचमुच में वह कुछ नहीं कर सकता।बच्चे की सेहत का ख्याल रखना चाहिए उसको पोष्टिक और संतुलित आहार देना चाहिए, कभी-कभी उसका मनपसंद का खाना भी बनाना चाहिए।
बच्चे के ऊपर निगाह रखनी चाहिए कि वह क्या पढ़ रहा है। पर हर वक्त उस पर डंडा लेकर खड़ा नहीं होना चाहिए। बच्चे के ऊपर यह ना जतायें कि उसके कारण ही हम सहेलियों के साथ शापिंग या कहीं और नहीं जा रहे। इसका उस पर गलत असर पड़ेगा। और दिनों की तरह घर का रुटीन बनाया जाए। परीक्षा के नाम पर घर का वातावरण बोझल नहीं बनाना चाहिए।