लखनऊ, उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्य सचिव आलोक रंजन का मानना है कि राजनीति देश की सेवा करने का सर्वोत्तम अवसर देती है क्योंकि व्यक्ति देश के विकास के लिए दृष्टिकोण पेश कर सकता है।
रंजन, उत्तर प्रदेश से राज्यसभा उम्मीदवार के तौर पर अपनी राजनीतिक पारी शुरू करने की तैयारी में हैं।
उत्तर प्रदेश से राज्यसभा की 10 सीट के लिए 27 फरवरी को चुनाव होगा। समाजवादी पार्टी ने रामजी लाल सुमन और जया बच्चन के साथ रंजन को भी अपना उम्मीदवार बनाया है।
रंजन ने उम्मीद जताई है कि उत्तर प्रदेश से राज्यसभा के लिए सपा के सभी तीन उम्मीदवार चुनाव जीतेंगे।
भारतीय प्रशासनिक सेवा (आईएएस) के 1978 बैच के अधिकारी रंजन ने ‘पीटीआई-भाषा’ को दिए साक्षात्कार में एक इंटरव्यू में कहा, “राजनीति देश की सेवा करने का सर्वोत्तम मौका देती है और यह लोक सेवाओं से भी परे हैं।”
रंजन ने कहा, “चुनाव कराना एक अलग चीज है। यह एक प्रशासनिक चीज है और चुनाव लड़कर आप राजनीतिक प्रक्रिया का हिस्सा बनते हैं जो कि बिल्कुल अलग चीज है।”
यह पूछे जाने पर कि राज्यसभा चुनावों के लिए हाल ही में नामांकन दाखिल करने के बाद क्या उन्होंने खुद को मुख्यधारा की राजनीति के हिसाब से ढाल लिया है तो रंजन ने कहा, “मैंने नयी राजनीतिक व्यवस्था के मुताबिक खुद को नहीं ढाला है। मैं एक अधिकारी रहा हूं और मुझे मेरी काबीलियत, बौद्धिक क्षमता और प्रदर्शन के मुताबिक तैनाती मिली।”
यह पूछे जाने पर कि किया वह राजनीति से जुड़ने के लिए पहले से तैयार थे या फिर अचानक आना हुआ, रंजन ने कहा, “मुझे राजनीति में आने में कोई आपत्ति नहीं है। राजनीति इस देश की सेवा करने का सर्वोत्तम अवसर है जो लोक सेवाओं से परे है क्योंकि आप काफी हद तक नियमों और प्रक्रियाओं से बंधे नहीं होते और आप एक दूरदृष्टि दे सकते हैं।’’
रंजन जाति से कायस्थ हैं और वह उत्तर प्रदेश के उन्नाव से आते हैं।
उन्होंने भरोसा जताया कि 27 फरवरी को होने वाले राज्यसभा चुनाव में सपा के सभी तीन उम्मीदवार (जया बच्चन, रामजी लाल सुमन और आलोक रंजन स्वयं) बड़े आराम से जीतेंगे। उन्होंने यह भी कहा, “हमारे पास आवश्यक संख्या (निर्वाचित होने के लिए विधायकों की संख्या के संदर्भ में)से थोड़ा ही कम है, लेकिन दूसरा समूह आवश्यक संख्या से बहुत दूर है।”
उम्मीदवारों के चयन को लेकर सपा की सहयोगी पार्टी अपना दल (कमेरावादी) की नेता और कौशांबी के सिराथू से सपा विधायक पल्लवी पटेल द्वारा कुछ आपत्ति जताए जाने पर रंजन ने कहा,“पटेल को मेरे और जया बच्चन को लेकर आपत्ति है। उनका कहना है कि पीडीए (पिछड़ा, दलित, अल्पसंख्यक) से लोगों को उम्मीदवार बनाना चाहिए था। हालांकि, मुझे लगता है कि यह पार्टी नेतृत्व की पसंद है।”
उन्होंने कहा, “राज्यसभा एक अलग चीज है जहां आपको नीतियों, कानूनों आदि के बारे में बौद्धिक रूप से अपने विचार रखने होते हैं। राज्यसभा में ये चीजें भी मायने रखती हैं। अगर आप दूसरी (भाजपा) देखें को विदेश सेवा के कई पूर्व अधिकारियों को राज्यसभा में भेजा गया है।”
हाल ही में ‘पीटीआई वीडियो सेवा’ से बातचीत में पल्लवी पटेल ने कहा था, “मैं समझती हूं कि पीडीए का अर्थ है पिछड़ा, दलित, अल्पसंख्यक। जो सूची आई है, उसमें लोगों को यह समझाने का प्रयास किया जा रहा है कि बच्चन और रंजन पीडीए हैं। मुझे सिर्फ इतना ही कहना है कि यदि हम पीडीए के अधिकारों के लिए प्रतिबद्ध हैं और सड़कों पर उनके लिए लड़ रहे हैं तो वे लोग सूची में क्यों नहीं हैं।”
राज्यसभा के लिए निर्वाचित होने पर उनकी प्राथमिकताएं क्या होंगी, यह पूछे जाने पर 67 वर्षीय सेवानिवृत्त नौकरशाह ने कहा, “नागरिकों के कल्याण के लिए जो कुछ भी करना है, वह मेरी प्राथमिकता होगी। मेरी पहली पसंद शिक्षा है। युवाओं को उच्च गुणवत्ता की रोजगारपरक शिक्षा की जरूरत है ताकि उन्हें रोजगार मिल सके। मैं इस पर ध्यान दूंगा।”
दिल्ली के सेंट स्टीफन्स कॉलेज से स्नातक और आईआईएम, अहमदाबाद से एमबीए की उपाधि प्राप्त रंजन को 2014 में अखिलेश यादव सरकार द्वारा मुख्य सचिव नियुक्त किया गया था। उन्होंने आधारभूत ढांचा एवं औद्योगिक विकास आयुक्त और कृषि उत्पादन आयुक्त के तौर पर भी सेवाएं दीं।
वह एक जुलाई, 2016 को सेवानिवृत्त हो गए जिसके बाद उन्हें मुख्यमंत्री का मुख्य सलाहकार और यूपी राज्य औद्योगिक विकास निगम का चेयरमैन नियुक्त किया गया और उनके पास कैबिनेट मंत्री का दर्जा था।
मुख्यमंत्री का सलाहकार होने के अलावा, रंजन ने तत्कालीन सपा सरकार की कई महत्वाकांक्षी परियोजनाओं जैसे लखनऊ-आगरा एक्सप्रेस वे, डायल-100, लखनऊ मेट्रो आदि का क्रियान्वयन कराया।
पंद्रह राज्यों में 56 राज्यसभा सीटों के लिए चुनाव 27 फरवरी को होने हैं। उत्तर प्रदेश विधानसभा की 403 सीटों में से भाजपा के 252, सपा के 108 और कांग्रेस के दो सदस्य हैं। भाजपा की सहयोगियों- अपना दल (सोनेलाल) के 13 विधायक हैं, जबकि निषाद पार्टी के छह विधायक हैं। वहीं रालोद के नौ, एसबीएसपी के छह, जनसत्ता दल लोकतांत्रिक के दो और बसपा का एक विधायक है। सदन में चार सीटें रिक्त हैं।
राज्यसभा में सीट हासिल करने के लिए एक उम्मीदवार को 37 प्रथम तरजीह मतों की जरूरत पड़ेगी।