नयी दिल्ली, संसद ने बृहस्पतिवार को ‘जल (प्रदूषण निवारण तथा नियंत्रण) संशोधन विधेयक 2024’ को मंजूरी दी, जिसमें जल प्रदूषण से संबंधित छोटे अपराधों को जेल की सजा की श्रेणी से बाहर करने, केंद्र को राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्डों के अध्यक्षों की सेवा शर्तों को निर्धारित करने में सक्षम बनाने और औद्योगिक संयंत्रों की कुछ श्रेणियों को वैधानिक प्रतिबंधों से छूट देने का प्रावधान किया गया है।
लोकसभा में आज विधेयक पर चर्चा और पर्यावरण मंत्री भूपेंद्र यादव के जवाब के बाद इस विधेयक को ध्वनिमत से मंजूरी दी गई। गत छह फरवरी को इसे राज्यसभा में पारित किया गया था।
लोकसभा में विधेयक पर चर्चा का जवाब देते हुए पर्यावरण मंत्री भूपेंद्र यादव ने कहा कि राज्यों के प्रदूषण बोर्डों को किसी तरह का निर्देश नहीं दिया जा रहा है, बल्कि सिर्फ कुछ नियम तय किए जा रहे हैं।
मंत्री ने कहा कि पारदर्शिता और आम लोगों की सहायता करने वाले दिशानिर्देश ही जारी किए जाएंगे।
उन्होंने कहा कि सिर्फ हरित उद्योगों को इस कानून से छूट होगी, लेकिन वह नियमों के तहत होगी।
यादव ने कहा कि स्कूलों और कॉलेजों में पर्यावरण को लेकर चेतना एवं जागरुकता फैलाने की जरूरत है।
मंत्री ने कहा कि सरकार ‘नमामि गंगे’ परियोजना को लेकर पूरी तरह प्रतिबद्ध है।
यादव का यह भी कहना था कि सभी को मिलकर इस परियोजना को एक जन आंदोलन बनाना चाहिए।
मंत्री के जवाब के बाद सदन ने इस विधेयक को ध्वनिमत से पारित किया।