बेतुल (गोवा), सरकार घरेलू और अंतरराष्ट्रीय कंपनियों को रणनीतिक तेल भंडारण के लिए बनाये गये भूमिगत क्षेत्र पट्टे पर देगी। रणनीतिक तेल भंडार के कुछ हिस्सों को भरने के लिए 5,000 करोड़ रुपये की योजना को छोड़ने के साथ यह निर्णय किया गया है। एक शीर्ष अधिकारी ने मंगलवार को यह जानकारी दी।
रणनीतिक भूमिगत कच्चे तेल के भंडारण के लिए बनायी गयी विशेष उद्देश्यीय इकाई इंडिया स्ट्रैटेजिक पेट्रोलियम रिजर्व लि. (आईएसपीआरएल) ने 53.3 लाख टन तेल भंडारण के लिए आंध्र प्रदेश के विशाखापत्तनम और कर्नाटक के मैंगलोर तथा पादुर में भूमिगत भंडारण बनाये हैं। इनका उपयोग आपूर्ति में समस्या या युद्ध जैसी किसी भी आपातकालीन स्थिति में किया जा सकता है।
आईएसपीआरएल के मुख्य कार्यपालक अधिकारी (सीईओ) और प्रबंध निदेशक एल आर जैन ने भारत ऊर्जा सप्ताह (आईईडब्ल्यू) के मौके पर संवाददाताओं से कहा कि यूएई की अबू धाबी नेशनल ऑयल कंपनी (एडनॉक) ने पहले ही पादुर में 25 लाख टन भंडारण क्षमता का आधा और मैंगलोर में 15 लाख टन की सुविधा किराये पर ली है।
पादुर में शेष 12.5 लाख टन को आईएसपीआरएल ने भरा है, जबकि मैंगलोर में 7.5 लाख टन खाली भंडारण को पट्टे पर दिया जाएगा।
उन्होंने कहा कि विशाखापत्तनम में निर्मित 13.3 लाख टन भंडारण में से, 3.3 लाख टन जगह हिंदुस्तान पेट्रोलियम कॉरपोरेशन लिमिटेड (एचपीसीएल) के लिए बनाई गई थी। एचपीसीएल ने शेष तीन लाख टन से अधिक जगह किराये पर ली है और भंडारण के लिए शेष जगह को पट्टे पर दिया जाएगा।
उन्होंने कहा, ‘‘हम जल्द ही भंडारण क्षेत्र को पट्टे पर देने के लिए रुचि पत्र जारी करेंगे।’’
सरकार ने 2023-24 के बजट में रणनीतिक रूप से ईंधन रखने के लिए बनाई गई जगहों को भरने को लेकर 5,000 करोड़ रुपये आवंटित किये थे। लेकिन वर्ष के मध्य तक उस योजना को स्थगित कर दिया गया। पिछले सप्ताह लोकसभा में पेश 2024-25 के अंतरिम बजट में इसके लिए कोई आवंटन नहीं किया गया है।
जैन ने कहा कि एडनॉक जैसी कंपनियां भंडारण में तेल जमा कर सकती हैं लेकिन तेल के इस्तेमाल का पहला अधिकार भारत का होगा। उन्होंने कहा, ‘‘अत:, भारत किसी भी आपात स्थिति में रिजर्व तेल की मांग कर सकता है।’’
एडनॉक जैसी कंपनियां उपयोगकर्ताओं को बिक्री के लिए तेल रखने के लिए ऐसे भंडारण का उपयोग करती हैं।
जैन ने कहा कि आईएसपीआरएल दूसरे चरण में सार्वजनिक-निजी भागीदारी के तहत 50 लाख टन क्षमता की अतिरिक्ति भंडारण क्षेत्र बनाने पर गौर कर रही है।
उन्होंने कहा कि दूसरे चरण के भंडारण के लिए जमीन का अधिग्रहण किया जा रहा है।
भारत, दुनिया का तीसरा सबसे बड़ा तेल आयातक और उपभोक्ता देश है। अपनी तेल जरूरतों का 85 प्रतिशत से अधिक आयात करता है और आपूर्ति में बाधा से बचाने के लिए रणनीतिक भंडारण का विस्तार करने को इच्छुक है।