नयी दिल्ली, राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ प्रमुख मोहन भागवत ने लोगों से एकता, अहिंसा और सद्भाव के मार्ग पर चलने का आह्वान करते हुए सोमवार को कहा कि भारत का दर्शन सर्वोच्च है और दुनिया अपनी समस्याओं के समाधान के लिए देश की ओर देख रही है।
भागवत ने जैन तीर्थंकर महावीर के 2550वें निर्वाण वर्ष के उपलक्ष्य में यहां आयोजित समारोह को संबोधित करते हुए कहा कि दुनिया के विभिन्न हिस्सों के लोग अपनी भौतिक जीवनशैली की वजह से परेशान हैं।
उन्होंने कहा कि अब विश्व अपनी समस्याओं के समाधान के लिए उम्मीद के साथ भारत की ओर देख रहा है और वे समझ गए हैं कि उनका भौतिकतावादी जीवन आंतरिक प्रसन्नता नहीं देता।
संघ प्रमुख ने कहा, ‘‘सभी हमारे अपने हैं। यह सच है। भौतिकतावादी चीजों में कोई प्रसन्नता नहीं है। व्यक्तिवाद छोड़िए। आपको अलग-अलग नहीं रहना। एक दूसरे के साथ सौहार्द से रहें, अहिंसा का पालन करें, धैर्य रखें, चोरी नहीं करें।’’
उन्होंने कहा, ‘‘हमारा समाज पूर्ण सत्य की खोज के लिए अलग-अलग रास्ते चुनता है। रास्ते अलग-अलग हो सकते हैं, लेकिन मंजिल एक ही है… हमारे समाज में, कई श्रेणियां हैं–जैन, सिख। लेकिन इस देश के होने के नाते हम सब एक हैं। और एक रहकर ही हमें राष्ट्र का निर्माण करना है।”
भागवत ने कहा कि भारत के लोग और दुनिया के दूसरे हिस्सों के लोग पूर्ण सत्य और आंतरिक प्रसन्नता की खोज के लिए अलग-अलग मार्ग चुनते हैं।
उन्होंने कहा, ‘‘भारत और दुनिया की खोज में यह अंतर है कि उन्होंने बाहरी दृश्य दुनिया में अन्वेषण के बाद इसे रोक दिया और हमने बाहरी खोज के बाद अपने अंदर इसे खोजना शुरू किया और सत्य को पहचाना।’’
भागवत ने कहा, ‘‘दुनिया में बहुत दुख है। लोग आज देश और विदेश में लड़ रहे हैं। ऐसा इसलिए है क्योंकि उनमें एक साथ रहने की प्रवृत्ति नहीं है। वे भौतिक सुख चाहते हैं।’’
उन्होंने कहा, ‘‘इसलिए सत्य के नाम पर अतीत में अनेक बार खून-खराबे हुए और अब भी हो रहे हैं।’’
संघ प्रमुख ने कहा कि जो मजबूत हैं, वे लड़ने के बारे में बात नहीं करते।’’