मन की बात: प्रधानमंत्री मोदी ने ओडिशा के दंपति के ‘बकरी बैंक’ की सराहना की

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नयी दिल्ली, प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने रविवार को ओडिशा के दंपति की उस ‘बकरी बैंक’ पहल की सराहना की जिसके तहत सामुदायिक स्तर पर बकरी पालन को बढ़ावा देकर ग्रामीणों को पशुपालन के क्षेत्र में आत्मनिर्भरता की ओर बढ़ने में मदद किया जाता है।

‘मन की बात’ रेडियो कार्यक्रम में मोदी ने कहा कि जब लोग पशुपालन के बारे में बात करते हैं तो वे अक्सर गायों और भैंसों तक ही अटक जाते हैं, लेकिन बकरी भी एक महत्वपूर्ण पशु है जिसकी ज्यादा चर्चा नहीं होती है।

उन्होंने बताया कि देश के विभिन्न क्षेत्रों में कई लोग बकरी पालन से जुड़े हैं।

प्रधानमंत्री ने कहा कि ओडिशा के कालाहांडी में बकरी पालन गांव के लोगों की आजीविका के साथ-साथ उनके जीवन स्तर को बेहतर बनाने का एक प्रमुख साधन बन रहा है।

उन्होंने कहा, ‘‘इस प्रयास के पीछे जयंती महापात्रा और उनके पति बीरेन साहू का एक बड़ा फैसला है। ये दोनों बेंगलुरु में प्रबंधन के पेशे में थे। लेकिन उन्होंने नौकरी से विराम लेने और कालाहांडी के सालेभाटा गांव आने का फैसला किया।’’

उन्होंने कहा कि ये लोग कुछ ऐसा करना चाहते थे जिससे यहां के ग्रामीणों की समस्याओं का समाधान हो और साथ ही उन्हें सशक्त भी बनाया जा सके।

मोदी ने कहा, ‘‘सेवा और लगन से भरी इसी सोच के साथ उन्होंने माणिकास्तु एग्रो की स्थापना की और किसानों के साथ मिलकर काम करने लगे। जयंती जी और बीरेन जी ने यहां एक दिलचस्प ‘मणिकस्तु बकरी बैंक’ भी खोला है। वे सामुदायिक स्तर पर बकरी पालन को बढ़ावा दे रहे हैं। उनके बकरी फार्म में दर्जनों बकरियां हैं।’’

मोदी ने कहा कि माणिकास्तु एग्रो बकरी बैंक ने किसानों के लिए एक पूरी व्यवस्था बनाई है और इसके जरिए किसानों को 24 महीने के लिए दो बकरियां दी जाती हैं।

उन्होंने कहा, ‘‘बकरियां दो साल में नौ से 10 बच्चों को जन्म देती हैं, जिनमें से छह बच्चों को बैंक द्वारा रखा जाता है। बाकी उसी परिवार को दे दिया जाता है जो बकरियां पालता है। इतना ही नहीं, बकरियों की देखभाल के लिए आवश्यक सेवाएं भी प्रदान की जाती हैं।’’

प्रधानमंत्री ने कहा कि आज 50 गांवों के 1,000 से अधिक किसान इस दंपति से जुड़े हैं और उनकी मदद से गांव के लोग पशुपालन के क्षेत्र में आत्मनिर्भरता की ओर बढ़ रहे हैं।

उन्होंने कहा, ‘‘मुझे यह देखकर बहुत खुशी होती है कि विभिन्न क्षेत्रों में सफल पेशेवर छोटे किसानों को सशक्त और आत्मनिर्भर बनाने के लिए नए तरीके अपना रहे हैं। उनके प्रयास सभी को प्रेरित करने वाले हैं।’’

उन्होंने कहा, ‘‘हमारी संस्कृति की शिक्षाओं का सार है? परमार्थ परमो धर्मः अर्थात् दूसरों की सहायता करना ही परम कर्तव्य है। इसी भावना पर चलते हुए हमारे देश में अनगिनत लोग निस्वार्थ भाव से दूसरों की सेवा करने में अपना जीवन समर्पित कर देते हैं।’’

प्रधानमंत्री ने बिहार के भोजपुर के भीम सिंह भावेश का उदाहरण देते हुए कहा कि उनके क्षेत्र की मुसहर जाति के लोगों के बीच उनके काम की बहुत चर्चा है।

उन्होंने कहा कि बिहार में मुसहर बहुत वंचित समुदाय रहा है। यह बहुत गरीब समुदाय है। भीम सिंह भावेश ने इस समुदाय के बच्चों की शिक्षा पर ध्यान दिया है ताकि उनका भविष्य उज्ज्वल हो सके।

मोदी ने कहा, ‘‘उन्होंने (भीम सिंह) मुसहर जाति के करीब 8,000 बच्चों का स्कूल में दाखिला कराया है। उन्होंने एक बड़ा पुस्तकालय भी बनवाया है, जिसके माध्यम से बच्चों को शिक्षा के लिए बेहतर सुविधाएं मिल रही हैं।’’

उन्होंने कहा कि भीम सिंह अपने समुदाय के सदस्यों को आवश्यक दस्तावेज बनाने और उनके फॉर्म भरने में भी मदद करते हैं जिससे गांव के लोगों की आवश्यक संसाधनों तक पहुंच में सुधार हुआ है।

मोदी ने कहा, ‘‘लोगों के स्वास्थ्य में सुधार के लिए उन्होंने 100 से अधिक चिकित्सा शिविरों का आयोजन किया है। जब भयानक कोरोना संकट बढ़ रहा था, भीम सिंह ने अपने क्षेत्र के लोगों को टीका लगवाने के लिए प्रोत्साहित किया।’’

अपने इस कार्यक्रम के दौरान मोदी ने उन लोगों के बारे में भी बात की जो भाषा के क्षेत्र में काम कर रहे हैं।

उन्होंने जम्मू-कश्मीर में गांदरबल के मोहम्मद मानशाह का उदाहरण दिया जो पिछले तीन दशकों से गोजरी भाषा को संरक्षित करने के प्रयासों में लगे हुए हैं।

उन्होंने कहा, ‘‘वह गुज्जर बकरवाल समुदाय से आते हैं जो एक आदिवासी समुदाय है। बचपन में उन्हें पढ़ाई के लिए कड़ी मेहनत करनी पड़ती थी।’’

उन्होंने कहा, ‘‘वह हर दिन 20 किलोमीटर की दूरी पैदल तय करते थे। ऐसी चुनौतियों के बीच उन्होंने स्नातकोत्तर की डिग्री प्राप्त की और इसके बाद ही अपनी भाषा को बचाए रखने का उनका संकल्प मजबूत हुआ।’’

प्रधानमंत्री ने कहा कि उन्होंने बिना कोई शुल्क लिए सैकड़ों छात्रों को प्रशिक्षण भी दिया है। उन्होंने कहा कि भारत में जोश और उत्साह से भरे ऐसे लोगों की कमी नहीं है जो हमारी संस्कृति को निरंतर समृद्ध कर रहे हैं।