मुंबई/पुणे, महाराष्ट्र के उपमुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने रविवार को कहा कि राज्य के कैबिनेट मंत्री जल्द ही उत्तर प्रदेश में स्थित अयोध्या का दौरा करेंगे, जहां 22 जनवरी को राममंदिर में रामलला की प्रतिमा की प्राण प्रतिष्ठा की गई थी।
हालांकि, फडणवीस ने इस संबंध में और कोई जानकारी साझा नहीं की।
काशी और मथुरा में इसी तरह के मंदिर विवादों के बारे में पूछे जाने पर फडणवीस ने संवाददाताओं से कहा कि कानूनी ढांचे के तहत एक सौहार्दपूर्ण समाधान निकाला जाएगा जिस तरह से प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने (उच्चतम न्यायालय के फैसले के बाद) अयोध्या में राममंदिर का निर्माण किया जाना सुनिश्चित किया।
फडणवीस ने कहा कि मथुरा, काशी और अयोध्या, सभी पवित्र स्थान हैं। उन्होंने कहा कि अयोध्या में राममंदिर के निर्माण के बाद, लोगों के लिए मथुरा (कृष्ण जन्मभूमि) के विवाद के समाधान की उम्मीद करना स्वाभाविक है।
भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के वरिष्ठ नेता फडणवीस ने कहा, ‘‘मेरा मानना है कि जिस तरह प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के प्रयासों से राममंदिर का निर्माण हुआ, उसी तरह श्री कृष्ण जन्मभूमि का भी समाधान सद्भाव और कानून के दायरे में होगा।’
फडणवीस ने कहा, ‘‘काशी विश्वनाथ में एक नया गलियारा बनाया गया है। वहां पूजा की अनुमति भी दी गई है और अनुकूल माहौल देखा जा रहा है। सरल शब्दों में कहें तो ये सभी चीजें सद्भाव और कानून के मुताबिक हो रही हैं।’’
वह उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के साथ पुणे के आलंदी में गीता भक्ति अमृत महोत्सव में भाग लेने के लिए पुणे के पिंपरी चिंचवड में थे।
हिंदू पक्ष का कहना है कि मथुरा में शाही ईदगाह उस स्थान पर बनाई गई थी जिसे भगवान कृष्ण का जन्मस्थान माना जाता है। मस्जिद के बगल में एक कृष्ण मंदिर है।
इसके अलावा, हाल ही में अदालत द्वारा आदेशित भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण की एक रिपोर्ट में कहा गया है कि ज्ञानवापी मस्जिद वाराणसी (काशी) का निर्माण औरंगजेब के शासन के दौरान वहां एक मंदिर को ध्वस्त करने के बाद किया गया था।
वाराणसी की एक जिला अदालत ने पिछले महीने फैसला सुनाया था कि एक पुजारी ज्ञानवापी मस्जिद के तहखाने में प्रतिमाओं की पूजा कर सकता है, जो काशी विश्वनाथ मंदिर से सटे मस्जिद को लेकर कानूनी लड़ाई में एक महत्वपूर्ण घटनाक्रम है।