सरसों तेल-तिलहन, सोयाबीन तेल, सीपीओ, पामोलीन, बिनौला की कीमतों में सुधार
Focus News 27 February 2024नयी दिल्ली, विदेशी बाजारों में मजबूती के बीच खाद्य तेलों की कम आपूर्ति रहने के कारण दिल्ली के तेल-तिलहन बाजार में मंगलवार को सरसों तेल-तिलहन, सोयाबीन तेल, कच्चा पामतेल (सीपीओ) एवं पामोलीन तथा बिनौला तेल कीमतें मजबूती के साथ बंद हुईं। वहीं ऊंचे भाव के कारण मूंगफली तेल-तिलहन के भाव पूर्वस्तर पर बने रहे। डीआयल्ड केक (डीओसी) की कमजोर मांग के बीच सोयाबीन तिलहन के भाव भी पूर्वस्तर पर बने रहे।
मलेशिया एक्सचेंज 1.5 प्रतिशत मजबूत बंद हुआ जबकि शिकॉगो एक्सचेंज में कल रात सुधार था और फिलहाल भी यहां सुधार है।
बाजार सूत्रों ने कहा कि बंदरगाहों पर सोयाबीन डीगम की कम आपूर्ति है तथा इस तेल का आयात भी कम हुआ है। महंगा होने के कारण सीपीओ और पामोलीन का आयात कम होने से सोयाबीन डीगम की मांग बढ़ी है जिससे सोयाबीन डीगम तेल पर दबाव बढ़ गया है।
उन्होंने कहा कि मौजूदा परिस्थिति में सूरजमुखी, मूंगफली और सरसों तिलहन न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) से काफी नीचे दाम पर बिक रहे हैं। दिल्ली की नजफगढ़ मंडी में सरसों तिलहन का भाव 4,600-4,700 रुपये क्विंटल बोला जा रहा है जो मौजूदा एमएसपी से 12-14 प्रतिशत कम है। एक अप्रैल से लागू होने वाले सरसों के एमएसपी से यह कीमत काफी कम बैठती है। यही हाल देशी सूरजमुखी और मूंगफली का भी है। सस्ते खाद्य तेल के बेछूट आयात की पहल संभवत: उपभोक्ताओं को खाद्य तेल सस्ता उपलब्ध कराने के मकसद से शुरू की गई थी लेकिन बाजारों में जाकर खाद्य तेलों के फुटकर दाम का जायजा लेने पर असल स्थिति सामने आ सकती है। मूंगफली तेल 200 रुपये लीटर से अधिक दाम पर बिक रहा है जबकि सरसों तेल 140-150 रुपये लीटर से भी ऊंचे दाम पर बिक रहा है। सूरजमुखी तेल प्रति लीटर (910 ग्राम) लगभग 140 रुपये लीटर बिक रहा है। मौजूदा स्थिति में तो उल्टे ही परिणाम मिल रहे हैं कि किसानों को एमएसपी से कम दाम मिल रहे हैं, तेल पेराई मिलें बर्बादी के कगार पर जा रही हैं, उपभोक्ताओं को खाद्य तेल महंगा ही खरीदना पड़ रहा है।
सूत्रों ने कहा कि जब तिलहन के दाम बढ़ते हैं तो सरकार स्टॉक घोषित करने के लिए पोर्टल बनाती है और छापे मरवाती है पर जब देश में विदेशी तेलों के दाम मनमाने तरीके से बढ़ाये जाते हैं तो कोई बोलने वाला नहीं है। सभी जिम्मेदार प्राधिकारियों और तेल संगठनों को एक सुर में कीमतों में वृद्धि की मनमानी को रोकने के लिए सरकार से एक पोर्टल पर तेल कंपनियों द्वारा अधिकतम खुदरा मूल्य (एमआरपी) की समय-समय पर उद्घोषणा करना अनिवार्य करने की मांग करनी चाहिये। इसके बगैर स्थिति को काबू करना असंभव जान पड़ता है।
सूत्रों ने कहा कि गरीब उपभोक्ताओं के हित में महंगाई पर लगाम लगाने के लिए हरियाणा सरकार ने राशन की दुकान के माध्यम से सस्ते दाम पर बिक्री का जो सफल मॉडल अपनाया है, उससे सीख लेने की आवश्यकता है।
तेल-तिलहनों के भाव इस प्रकार रहे:
सरसों तिलहन – 5,235-5285 रुपये प्रति क्विंटल।
मूंगफली – 6,025-6,300 रुपये प्रति क्विंटल।
मूंगफली तेल मिल डिलिवरी (गुजरात) – 14,700 रुपये प्रति क्विंटल।
मूंगफली रिफाइंड तेल 2,195-2,470 रुपये प्रति टिन।
सरसों तेल दादरी- 9,880 रुपये प्रति क्विंटल।
सरसों पक्की घानी- 1,680-1,780 रुपये प्रति टिन।
सरसों कच्ची घानी- 1,680 -1,785 रुपये प्रति टिन।
तिल तेल मिल डिलिवरी – 18,900-21,000 रुपये प्रति क्विंटल।
सोयाबीन तेल मिल डिलिवरी दिल्ली- 10,450 रुपये प्रति क्विंटल।
सोयाबीन मिल डिलिवरी इंदौर- 10,000 रुपये प्रति क्विंटल।
सोयाबीन तेल डीगम, कांडला- 8,750 रुपये प्रति क्विंटल।
सीपीओ एक्स-कांडला- 8,450 रुपये प्रति क्विंटल।
बिनौला मिल डिलिवरी (हरियाणा)- 9,000 रुपये प्रति क्विंटल।
पामोलिन आरबीडी, दिल्ली- 9,750 रुपये प्रति क्विंटल।
पामोलिन एक्स- कांडला- 8,750 रुपये (बिना जीएसटी के) प्रति क्विंटल।
सोयाबीन दाना – 4,645-4,675 रुपये प्रति क्विंटल।
सोयाबीन लूज- 4,455-4,495 रुपये प्रति क्विंटल।
मक्का खल (सरिस्का)- 4,050 रुपये प्रति क्विंटल।