भले ही कब्ज आज कोई नई या लाइलाज बीमारी न हो मगर निश्चित तौर पर यह भयंकर बीमारियों से कम खतरनाक नहीं है। आज संभवतः कब्ज सबसे अधिक प्रचलित बीमारी है। यह सिर्फ एक बीमारी नहीं बल्कि बीमारियों की जड़ है।
महिलाओं के सौंदर्य के लिए यह खासकर हानिकारक है। शरीर में आंतरिक विकार होने के कारण त्वचा पर अनेक प्रकार के फोड़े-फुंसी निकलने लगते हैं। चाहे कितने ही प्रकार के सौंदर्य प्रसाधनों का उपयोग कर लें मगर आंतरिक सफाई के बिना वास्तविक सौंदर्य पा लेना असंभव है।
यदि आप कब्ज़ से परेशान हैं तो आपने भी इन बातों का अनुभव अवश्य ही किया होगा। आइए एक नजर कब्ज़ से होने वाली बीमारियों पर डालते हैं।
कब्ज़ शरीर में आलस्य लाता है। मन अशांत हो जाता है। एकाग्रता नहीं बन पाती। कब्ज ़में शौच ठीक से नहीं हो पाता, है अतः भूख की कमी हो जाती है।
कई बार कब्ज़ के रोगी शौच के दौरान अधिक बल लगाकर शौच करते हैं जो बाद में बवासीर, धातुप्रमेह, एवं स्वप्नदोष का कारण बनता है।
कब्ज़ के रोगी को प्रायः अनिद्रा की शिकायत भी रहती है। इनके अलावा श्वेत प्रदर, सिरदर्द, नेत्रारोग, दंतरोग, पेचिश, स्मरणशक्ति कमज़ोर होना इत्यादि कब्ज़ से होने वाले प्रमुख रोग हैं।
कब्ज़ हालांकि बच्चे, वृद्ध और जवान सभी उम्र के लोगों के लिए एक आम समस्या है लेकिन बच्चों के मामले में यह ज्यादा घातक साबित होता है क्योंकि बड़ों की अपेक्षा वे इस बीमारी से अनभिज्ञ होते हैं।
यदि बच्चों पर ध्यान न दिया जाय तो उन्हें कब्ज़ के कारण ‘एनकोप्रसिस’ की स्थिति अधिक गंभीर हो जाती है। मल बहुत कड़ा हो जाता है जो शौच क्रिया के दौरान बहुत दर्द करता है। मल कड़ा होने के कारण शौच क्रिया में कठिनाई तो होती ही है साथ ही ऐसी स्थिति भी आ जाती है कि मल प्राकृतिक तरीके से निकल नहीं पाता। तब या तो उसे कृत्रिम तरीके से निकाला जाता है या फिर उसे मल निकलवाने के लिए बच्चों के डॉक्टर के पास ले जाया जाता है।