अच्छी परवरिश दें अपने बच्चों को

modern-parenting_big

कई बार देखने को मिलता है कि माता-पिता द्वारा अच्छी देखभाल देने पर भी बच्चे बिगड़ जाते हैं और खासकर मां को लगता है कि उसकी परवरिश में कहीं गलती हो गई।


नीतू के एक पुत्रा व पुत्रा हैं जो एक अच्छे पब्लिक स्कूल में पढ़ते हैं पर जब देखो, दोनों लड़ते ही रहते हैं जैसे एक दूसरे के कट्टर दुश्मन हों। लड़ाई में इतना समय बिता देते हैं कि पढ़ने में भी रूचि दिन ब दिन खत्म होती जा रही है।


नीतू की हरदम कोशिश रहती है कि वह दोनों के बीच प्यार और शांति रख सके। उसने तो यह सोच कर कि कहीं बच्चे यह न समझें कि उनकी मां उनकी तरफ पूरा ध्यान नहीं देती, इसलिए नौकरी तक नहीं की। अपना सारा ध्यान उन्हें अच्छे संस्कार, देखभाल देने में रखा पर आज वह सिर्फ यह सोचती रहती है कि उसमें कहां कमी रह गई है।


क्या आप भी ऐसा तो नहीं महसूस कर रहीं। अगर हां तो कुछ टिप्स आपके लिएः-
बच्चे को हर समय आर्डर देने की कोशिश न करें जैसे कि अधिकतर माएं, करती दिखायी देती हैं, ‘ये मत करो‘, ‘ठीक से बैठो‘, ‘उससे बात मत करो‘, ‘जिद मत करो‘, ‘पढ़ क्यों नहीं रहे। आपके निर्देशों की लिस्ट जितनी कम हो, अच्छा है नहीं तो बच्चे को अच्छा महसूस नहीं होगा।


बच्चे को अच्छी बातें समझाना जरूरी है। इसके लिए ऐसा मौका ढूंढिए जब बच्चा अच्छे मूड में हो और अच्छे मूड के लिए उसे कहीं घुमाने ले जाइए और रास्ते में प्यार से समझाइए कि अगर वह अच्छी बातें सीखेगा तो सब उससे प्यार करेंगे।


अपने बच्चे की बुराई कभी भी उसके दोस्तों के सामने न करें नहीं तो उसके दोस्त उसका मज़ाक उड़ाएंगे तो वह बुरा महसूस करेगा और आप पर अपना गुस्सा निकाल सकता है।
अगर आप बच्चे की पढ़ाई के प्रति गंभीर हैं तो उसके मनोरंजन का भी ध्यान रखिए। उसके साथ कोई गेम खेलिए। उसे सप्ताह में एक बार घुमाने ले जाइए।


सुबह अधिकतर बच्चे उठने में परेशान करते हैं और आप भी झल्ला कर उन्हें क्या-क्या नहीं कह देती हैं। सुबह बच्चे को हमेशा प्यार भरे शब्दों से उठाने की कोशिश करें। सुबह की शुरूआत ही अगर आप तिरस्कार भरे शब्दों से करेंगी तो बच्चा भी खीझेगा।


बच्चे से अधिक समय तक नाराज़ न रहें और एक दिन की नाराज़गी को दूसरे दिन तक खींचने का प्रयास न करें।


बच्चों के बीच भेदभाव बिलकुल न रखें। यह नहीं कि बेटे को ज्यादा प्यार करें और बेटी को महत्त्व न दें। इससे उनके आपस में संबंध मधुर नहीं बन सकेंगे क्योंकि दूसरे बच्चे को लगेगा कि आप उस बच्चे के कारण उससे उपेक्षापूर्ण व्यवहार कर रहे हैं।


कभी भी एक बच्चे का गुस्सा दूसरे पर मत उतारें। आप किसी से भी गुस्सा हों तो बच्चों पर कभी गुस्सा मत उतारें।


बच्चों के प्रति आपका व्यवहार ऐसा नहीं होना चाहिए कि वे आप से डरे, सहमे रहें। ऐसे डरे सहमे बच्चों का भविष्य भी अच्छा नहीं रहता। या तो वे विद्रोही बन जाते हैं या डरपोक।
माता-पिता हमेशा यह सोचते हैं कि उनका बच्चा कम पढ़ता है और दूसरों के बच्चे ज्यादा, और कोई भी बात होने पर झट बच्चे की तुलना दूसरे बच्चों से कर देते हैं। ऐसा करके वे बच्चे में हीन भावना को जन्म देते हैं।


बच्चे के पढ़ने व खेलने का समय निश्चित कर दें।
बच्चे स्कूल से घर पहुंचे नहीं कि खाना खाना तो दूर, ट्यूशन टीचर उनका इंतजार करते दिखाई देती है। ऐसा बिलकुल भी उचित नहीं। बच्चे को आराम के लिए थोड़ा समय दें और जरूरत होने पर ही ट्यूशन का बोझ उन पर लादें।


बच्चों को मारधाड़ वाली फिल्में कम देखने दें क्योंकि इससे बच्चों के दिमाग पर बुरा असर पड़ता है। उनमें हिंसक प्रवृत्ति भी जन्म ले सकती है। उन्हें शिक्षाप्रद, कामेडी या कार्टून फिल्में देखने के लिए प्रेरित करें।


प्रारंभ से ही बच्चे में किताबें पढ़ने के प्रति रूचि जगाएं। उन्हें अच्छी-अच्छी पुस्तकें लाकर दें जो ज्ञानवर्द्धक व रोचक हों। इससे उनका मनोरंजन भी होगा और ज्ञान भी बढ़ेगा।