विदेश मंत्री जयशंकर जापान, दक्षिण कोरिया की चार दिवसीय यात्रा करेंगे

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नयी दिल्ली, विदेश मंत्री एस. जयशंकर चार मार्च से दक्षिण कोरिया और जापान की चार दिवसीय यात्रा की शुरुआत करेंगे तथा इस दौरान हिंद-प्रशांत क्षेत्र में चुनौतियों समेत अहम द्विपक्षीय, क्षेत्रीय तथा वैश्विक मुद्दों पर अपने वार्ताकारों के साथ बातचीत करेंगे।

विदेश मंत्रालय ने कहा कि जयशंकर की भारत के दो प्रमुख साझेदारों कोरिया गणराज्य व जापान की यात्रा द्विपक्षीय आदान-प्रदान को और गति प्रदान करेगी तथा भविष्य के सहयोग के लिए एजेंडा तय करेगी।

जयशंकर दो दिवसीय यात्रा पर पहले सियोल जाएंगे जहां वह कोरिया के अपने समकक्ष चो ताइ-युल के साथ 10वीं भारत-दक्षिण कोरिया संयुक्त आयोग बैठक (जेसीएम) की सह-अध्यक्षता करेंगे।

विदेश मंत्रालय ने यात्रा की घोषणा करते हुए बताया कि जयशंकर के कोरिया में गणमान्य व्यक्तियों, विचार समूहों (थिंक टैंक) के प्रमुखों और भारतीय समुदाय से मुलाकात करने की उम्मीद है।

दक्षिण कोरिया के साथ भारत की विशेष रणनीतिक साझेदारी का सहयोग के विविध क्षेत्रों तक विस्तार हुआ है जिसमें व्यापार, निवेश, रक्षा, शिक्षा और प्रौद्योगिकी शामिल हैं।

विदेश मंत्रालय ने एक बयान में कहा, ‘‘उम्मीद है कि जेसीएम द्विपक्षीय सहयोग के संपूर्ण आयाम की व्यापक समीक्षा करेगा तथा इसे और मजबूत बनाने के रास्ते तलाश करेगा।’’

इसमें कहा गया है, ‘‘यह दोनों पक्षों को परस्पर हित के क्षेत्रीय और वैश्विक मुद्दों पर विचारों के आदान-प्रदान का अवसर भी मुहैया कराएगा।’’

जयशंकर अपनी यात्रा के दूसरे चरण में छह से आठ मार्च तक जापान की यात्रा करेंगे।

तोक्यो में वह जापान के अपने समकक्ष योको कामीकावा के साथ 16वें भारत-जापान विदेश मंत्री रणनीतिक संवाद में भाग लेंगे।

विदेश मंत्रालय ने कहा, ‘‘दोनों मंत्रियों के द्विपक्षीय, क्षेत्रीय और वैश्विक महत्व के मुद्दों पर चर्चा करने और खुले, मुक्त, समावेशी, शांतिपूर्ण तथा समृद्ध हिंद-प्रशांत के लिए सहयोग पर विचारों का आदान-प्रदान करने की संभावना है।’’

उसने कहा, ‘‘रक्षा और डिजीटल प्रौद्योगिकी, सेमीकंडक्टर आपूर्ति श्रृंखला, स्वच्छ ऊर्जा, हाई स्पीड रेल, औद्योगिक प्रतिस्पर्धा तथा कनेक्टिविटी जैसे क्षेत्रों में पिछले दशक में भारत-जापान विशेष रणनीतिक व वैश्विक साझेदारी और मजबूत हुई है।’’

विदेश मंत्रालय ने कहा कि जयशंकर की यात्रा और तोक्यो में बैठकें इन क्षेत्रों में दोनों देशों के बीच ‘‘कार्यात्मक सहयोग’’ के लिए रणनीतिक मार्गदर्शन उपलब्ध कराएंगी।

उनके कारोबारी नेताओं, विचार समूहों के प्रमुखों और शिक्षाविदों से बातचीत करने की उम्मीद है।