व्यक्ति को कान की कोई भी तकलीफ क्यों न हो, इसके लिए घरेलू उपचार उपलब्ध हैं। उनमें से जो सुविधाजनक लगे उसे अपनाएं। यदि आवश्यकता पड़े तो चिकित्सक की भी सलाह ले लें। कान में नाजुक पर्दा होता है, अत: सावधानी से चलें।
तिल का तेल कान के कीड़ों को मारने में सक्षम हैं। कान में तिल के तेल की तीन बूंदे डालें। इसे पांच दिनों तक प्रतिदिन अपनाएं। पूरा लाभ मिलेगा।
यदि कान में खुजली रहती हो तो सरसों का तेल लें। उसमें सिरका मिलाएं। इसकी तीन बूंद मात्र कान में डालें। केवल तीन दिनों का उपचार काफी है।
यदि किसी के कान में मल हो जाए। अगर आप तिनका सलाई आदि डालकर मैल निकालना चाहों तो मैल पूरी तरह निकलेगा नहीं, दूसरे कान का पर्दा फटने का डर भी रहता है। अत: कान के साथ खिलवाड़ नहीं करें। नीम के पत्तों का बफारा देंगे तो कान का मैल फूल जाएगा। स्वत: बाहर आने लगेगा।
यदि कान में पीप पड़ जाए, कान में आवाजें सुनाई दे, सूं-सूं लगी रहे, बेहद दर्द हो, या इन तीनों में से कोई एक ही क्यों न हो, पिसा हुआ सेंधा नमक बकरी के दूध में मामूली सा डालें। इसी से बहुत आराम मिलेगा। कान के सभी रोग शांत हो जाएंगे।
कान में कीड़े हों, यदि अन्य उपचार न मिले तो तारपीन का तेल मात्र तीन बूंदे डालें। कीड़े मर कर स्वत: बाहर निकल जायेंगे।
यदि कान में कुछ न डालना हो तो आप गूगल की धूनी देकर कीड़े मार सकते हैं। कान की खुजली से आराम पाने के लिए नींबू के रस की दो-तीन बूंदें ग्लिसरीन में मिलाएं। इसमें रूई भिगोकर किसी तिनके की मदद से कान में हल्के-हल्के घुमाएं. खुजली नहीं रहेगी।