प्राचीन काल से ही स्त्रा-पुरूष, दोनों को ही किसी न किसी रूप में सुवासित वस्तु प्रिय रही है। आदि मानव ने युगों से प्रयत्न करके प्रकृति की सभी खुशबुओें को बोतल में कैद करने में सफलता पाई है। इत्रा का प्रयोग सौंदर्य प्रसाधन के रूप में अनादिकाल से होता आ रहा है।
नारी के सोलह श्रृंगारों में इत्रा को भी प्रमुख प्रसाधन माना गया है। चन्दन, गुलाब, केवड़ा, चमेली, कपूर, घास, लकड़ी, मृग आदि की गंध का प्रयोग प्राचीन काल से ही मानव अपने व्यक्तित्व को सजाने-संवारने के लिये करता आ रहा है। महत्त्वपूर्ण मांगलिक अवसरों से लेकर शारीरिक, मानसिक एवं त्वचा संबंधी रोगों तक के लिये वह इन सुगंधियों का सहारा लेता आ रहा है।
यहां एक प्रश्न उठना स्वाभाविक है कि अच्छा परफ्यूम कैसे खरीदें एवम इसका चयन कैसे करें। शौकीनों के लिए सही परफ्यूम का चयन भी एक समस्या है। प्रिय सुगंध को लें या कीमत देखें। अगर किसी परफ्यूम के लगाने से शुरू में परफ्यूम से 1-2 मिनट तक किसी दवा की खुशबू आए और बाद में वास्तविक खुशबू का एहसास हो तो समझिए सुगंध में हानिकारक तत्वों की मात्रा कम है। वैसे भी परफ्यूम व्यक्तिगत पसंद की चीज है इसलिए जो आप की त्वचा के प्रकार से मेल खाए, उसी का चयन करें। परफ्यूम खरीदने से पूर्व एलर्जी टेस्ट करना बहुत जरूरी होता है क्योंकि बहुत लोगों को तेज खुशबू से सिरदर्द, जुकाम, छीकें व श्वास परेशानियां हो जाती हैं।
परफ्यूम लगाना भी एक कला है। कभी भी परफ्यूम का प्रयोग सीधे त्वचा पर न करें। यह खतरनाक सिद्ध हो सकता है। जहां तक हो, परफ्यूम का इस्तेमाल सफेद कपड़ों की बजाय रंगीन व प्रिंट वाले कपड़ों पर ही करें। स्प्रे करते समय विशेष ध्यान दें कि परफ्यूम आंखों में न जाए। इन से आंखों में जलन व खुजली तो होती ही है, कभी-कभी आंखों की रोशनी भी जा सकती है। अगर गलती से परफ्यूम मुंह में चला जाए तो उल्टी व चक्कर आना आम बातें हैं।
स्त्रियों को हमेशा अपने कीमती आभूषण पहनने से पहले ही परफ्यूम लगा लेना चाहिए नहीं तो उनमें मिले रसायनों से आभूषणों की चमक प्रभावित हो सकती है। पार्टी अथवा बाहर जाने से 10-15 मिनट पहले परफ्यूम लगा लेना चाहिए। इस से वह अच्छी तरह से सेट हो जाता है।
जिन लोगों को पसीना दुर्गन्धयुक्त आता है, उन्हें तेज महक वाले परफ्यूम का प्रयोग करना चाहिए। कम उम्र की युवतियों को हल्का परफ्यूम इस्तेमाल करना चाहिए। अच्छा होगा अगर परफ्यूम की महक बाकी प्रसाधन सामग्री की खुशबू के अनुकूल हो। अगर आपने एक किस्म का परफ्यूम लगाया है तो उसके उड़ने के बाद ही दूसरी किस्म का लगाएं। मिली जुली सुगंधें अप्रिय लगती हैं।
वैसे भारतीय परफ्यूम का असर सामान्यतः 8 से 12 घंटे रहता है पर यह असर परफ्यूम की तीव्रता और त्वचा के प्रकार पर भी निर्भर करता है। शुष्क त्वचा पर खुशबू जल्दी उड़ जाती है एवं तैलीय त्वचा पर परफ्यूम देर तक टिका रहता है।
परफ्यूम पर जलवायु का भी प्रभाव पड़ता है। ठंडी और नमी वाली जलवायु में शुष्क जलवायु की अपेक्षा अधिक समय तक सुगंध टिकती है।
नई शीशी खोलने पर जल्दी ही उस का प्रयोग कर लेना चाहिए। अधिक दिन रखने पर परफ्यूम न केवल उड़ जाता है बल्कि उसकी गंध भी बदल जाती है।
त्वचा रोग विशेषज्ञों का यह भी कहना है कि परफ्यूम के लगातार प्रयोग से स्वास्थ्य संबंधी समस्याएं भी खड़ी हो जाती हैं। कुछ विशेषज्ञ तो इस सीमा तक कहते हैं कि किसी भी सिंथेटिक वस्तु के अतिप्रयोग से कैंसर होने तक का खतरा रहता है।
बेहतर यही होगा कि किसी परफ्यूम के खरीदते समय उसके विषय में दुकानदार से अधिक से अधिक जानकारी प्राप्त कर लेनी चाहिए और दिये गये निर्देशों को अच्छी तरह पढ़ लेने के बाद ही उसे इस्तेमाल करना चाहिए।