आम आदमी पार्टी ने दिल्ली में कांग्रेस के लिए एक लोकसभा सीट की पेशकश की

1bddc7a0e1991997c98947e936c689651690432761986796_original

नयी दिल्ली,  आम आदमी पार्टी (आप) ने मंगलवार को कहा कि वह 2024 के लोकसभा चुनाव में दिल्ली में छह सीटों पर चुनाव लड़ना चाहती है और कांग्रेस को सिर्फ एक सीट देने की इच्छुक है।

पार्टी ने दावा किया विपक्षी गठबंधन ‘इंडिया’ में उसकी वरिष्ठ सहयोगी कांग्रेस राष्ट्रीय राजधानी में पिछले चुनावों में अपने प्रदर्शन को देखते हुए एक सीट की भी हकदार नहीं है।

आम आदमी पार्टी की राजनीतिक मामलों की समिति की बैठक के बाद यहां एक संवाददाता सम्मेलन को संबोधित करते हुए पार्टी के राष्ट्रीय महासचिव (संगठन) संदीप पाठक ने कहा कि वे दिल्ली के लिए सीट बंटवारे पर बातचीत फिर से शुरू होने के वास्ते एक महीने से अधिक समय से इंतजार कर रहे हैं, लेकिन कोई संवाद नहीं हुआ है।

पाठक ने कहा, ‘‘आठ जनवरी और 12 जनवरी को कांग्रेस और आप के बीच दो आधिकारिक बैठकें हुईं। बातचीत अच्छे माहौल में हुई, लेकिन कोई नतीजा नहीं निकला।’’

उन्होंने कहा, ‘‘इन दो आधिकारिक बैठकों के बाद, पिछले एक महीने में कोई बैठक नहीं हुई है। हमें बताया गया कि कांग्रेस पार्टी की (भारत जोड़ो न्याय) यात्रा चल रही है और इसमें (बैठक में) कुछ देर होगी।’’

आप और कांग्रेस ने पहले ही घोषणा कर दी है कि वे 2024 के लोकसभा चुनाव पंजाब में अकेले लड़ेगी, क्योंकि उनके प्रदेश के नेता वहां गठबंधन के पक्ष में नहीं हैं।

आप की ओर से सीट बंटवारे के प्रस्ताव की घोषणा करते हुए पाठक ने कहा कि उनकी दिल्ली की सात में से छह लोकसभा सीटों पर चुनाव लड़ने और एक कांग्रेस को देने की योजना है।

आप नेता ने कहा, ‘‘कांग्रेस के पास लोकसभा में शून्य सीटें और विधानसभा में शून्य सीटें हैं। पिछले साल एमसीडी चुनावों में, कांग्रेस ने 250 में से नौ वार्ड जीते थे। यदि आप योग्यता के आधार पर और आंकड़ों के आधार पर देखें, तो कांग्रेस एक सीट की भी हकदार नहीं है। लेकिन गठबंधन धर्म का ध्यान रखते हुए हम उन्हें एक सीट की पेशकश करते हैं।’’

उन्होंने कहा कि अगर बातचीत नहीं हुई तो आप अगले कुछ दिनों में दिल्ली के लिए छह उम्मीदवारों के नाम की घोषणा कर देगी।

वर्ष 2014 और 2019 के लोकसभा चुनावों में भाजपा ने दिल्ली की सभी सात लोकसभा सीटों पर जीत हासिल की थी।

वर्ष 2019 के लोकसभा चुनावों में आप को 18.1 प्रतिशत वोट मिले थे और उसने तीसरा स्थान हासिल किया था, जबकि कांग्रेस को 22.5 प्रतिशत वोट मिले थे और सात लोकसभा सीटों में से पांच पर दूसरे स्थान पर थी। भाजपा को 56.5 फीसदी वोट मिले थे।