भारत की गति से दुनिया अचंभित: धनखड़

जयपुर,  उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने मंगलवार को कहा कि राजनीतिक, सामाजिक और आर्थिक दृष्टि से भारत बहुत बदल गया है एवं जिस गति से भारत आगे बढ़ रहा है उससे दुनिया अचंभित है।

धनखड़ राजस्थान विधानसभा के सदस्यों के लिए आयोजित प्रबोधन कार्यक्रम को संबोधित कर रहे थे।



इस अवसर पर उन्होंने कहा, ‘‘…राजनीतिक, सामाजिक और आर्थिक दृष्टि से भारत इतना बदल गया है और विश्व में ऐसा नाम हो गया है कि अब हम किसी देश के मोहताज नहीं हैं।’’ उन्होंने कहा, ‘‘अर्थव्यवस्था के लिहाज से दुनिया में पांचवीं महाशक्ति होना कोई छोटा काम नहीं है।’’

उन्होंने कहा, ‘‘आज भारत दुनिया की पांचवीं आर्थिक महाशक्ति है। हमने कनाडा, फ्रांस को पीछे छोड़ दिया है। हमने उनको पीछे छोड़ा है जिन्होंने सदियों तक हम पर राज किया। आने वाले दो तीन-साल में भारत… जापान और जर्मनी को पीछे छोड़कर तीसरी आर्थिक महाशक्ति होगी।’’ धनखड़ ने विधानसभा सदस्यों से कहा, ‘‘इस सबका निर्माण सदन करता है। इस बहुत बड़े हवन में आपका, आपके नेतृत्व, आपकी नीति का योगदान है और आम आदमी का भी योगदान है। आपके सामने चुनौती ज्यादा है। जिस गति से भारत आगे बढ़ रहा है… उससे दुनिया अचंभित है। दुनिया सोच नहीं पाई कि क्या भारत कभी ऐसा हो सकता था।’’

उन्होंने कहा,‘‘हम जब लोकसभा में थे, केंद्र में मंत्री थे , तब हमने कभी कल्पना नहीं की थी, कभी सोचा नहीं था कि भारत का बुनियादी ढांचा, प्रौद्योगिकी विकास इस स्तर का होगा। यह हर भारतीय के खून-पसीने का नतीजा है। नीतियों और समर्पण की भावना से ऐसा हुआ है। किसी भी विकास की गंगा की शुरुआत विधायिका से होती है। विधायिका का सबसे प्रमुख कर्तव्य है कि वह कार्यपालिका और न्यायपालिका दोनों को सही दृष्टिकोण में रखे।’’

उन्होंने कहा, ‘‘कार्यपालिका को कटघरे में रखना, उसे सही रास्ता दिखाना, नियम के अनुसार उसका कामकाज सुनिश्चित करना- यह सदन का कर्तव्य है। यदि अगर सरकार को आइना दिखाया जाएगा तो सरकार के लिए वह बहुत लाभकारी होगा। मेरे कहने का मतलब यह है कि सदन के अंदर जो हम कार्यवाही करते हैं, उसका असर प्रांत में नहीं, प्रांत के बाहर भी पड़ता है।’’

संविधान सभा की कार्यवाही का जिक्र करते हुए उपराष्ट्रपति ने कहा,‘‘ संकेत साफ है: सरकार सत्ता में है, पर सदन को चलाना और राज्य को दिशा देना (सत्ता) पक्ष और विपक्ष दोनों की जिम्मेदारी है। (सत्ता) पक्ष सुझाव दे सकता है। पर प्रतिपक्ष जो सुझाव दे, उन पर ज़्यादा गहराई से चिंतन किया जाए। यह मेरा मानना है।’’

उन्होंने कहा,‘‘ आज का परिदृश्य चिंता और चिंतन का है। आज बाहर जाकर पता लगा लीजिए, विधायिका का आचरण देखकर लोग चिंतित हैं। अनुकरणीय आदर्शवादी आचरण जिनका होना चाहिए, उनका आचरण जनता की नजर में कई बार ठीक विपरीत है।’’

धनखड़ ने कहा,‘‘ व्यवधान करने की सेल्फ लाइफ अखबार की कल की सुर्खियां हो सकती है। एक सप्ताह तक असर डाल सकती है। उनका प्रभाव ज्यादा दिन तक नहीं रहता है।’’

उन्होंने कहा,‘‘मेरा हमेशा से मानना रहा है कि भारत की सबसे बड़ी ताकत हमारा लोकतंत्र है। हमारा लोकतंत्र सबसे पुराना है, सबसे प्रभावी है। ’’

उपराष्ट्रपति ने कहा कि दुनिया के लिए भारत प्रजातंत्र की दृष्टि से आदर्शवादी है क्योंकि भारतीय सांस्कृतिक विरासत 5000 साल की है , ऐसा किसी और देश की नहीं है।

इससे पहले विधानसभा अध्यक्ष वासुदेव देवनानी और मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा ने भी विचार रखे और उपराष्ट्रपति धनखड़ का स्वागत किया।

सुबह जयपुर पहुंचने पर राज्यपाल कलराज मिश्र, लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला, उपमुख्यमंत्री प्रेमचंद बैरवा, चूरू के सांसद राहुल कस्वां ने उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ और उनकी पत्नी डॉ सुदेश धनखड़ का स्वागत किया।