नयी दिल्ली, दो प्रमुख उत्पादक राज्यों में उत्पादन कम रहने से चालू 2023-24 सत्र के पहले तीन माह में देश का चीनी उत्पादन 7.7 प्रतिशत घटकर 112 लाख टन रह गया है। सहकारी संस्था एनएफसीएसएफ ने यह जानकारी दी है।
चीनी सत्र 2022-23 की अक्टूबर-दिसंबर अवधि के दौरान चीनी का उत्पादन 121.35 लाख टन रहा था।
एनएफसीएसएफ ने चीनी सत्र 2023-24 में देश का कुल चीनी उत्पादन 305 लाख टन रहने का अनुमान लगाया है, जो चीनी सत्र 2022-23 में प्राप्त 330.90 लाख टन चीनी से कम है।
चीनी का मौसम अक्टूबर से सितंबर तक चलता है।
ताजा आंकड़ों को जारी करते हुए, नेशनल फेडरेशन ऑफ कोऑपरेटिव शुगर फैक्ट्रीज़ (एनएफसीएसएफ) ने कहा कि चालू सत्र में दिसंबर, 2023 तक कुल 511 कारखानों ने 1,223 लाख टन गन्ने की पेराई की है।
शीर्ष तीन चीनी उत्पादक राज्यों में से महाराष्ट्र और कर्नाटक में उत्पादन इस चीनी सत्र की अक्टूबर-दिसंबर अवधि के दौरान कम रहा।
एनएफसीएसएफ के अध्यक्ष जयप्रकाश दांडेगांवकर ने कहा, ‘‘चूंकि केंद्र सरकार ने गन्ने के रस से एथनॉल का उत्पादन सीमित कर दिया है, इसलिए देश में स्थानीय खपत के लिए नई चीनी की कुल उपलब्धता 305 लाख टन होने की उम्मीद है।’’
एनएफसीएसएफ के आंकड़ों के अनुसार, देश के शीर्ष चीनी उत्पादक राज्य महाराष्ट्र में चीनी उत्पादन 2023-24 सत्र के दिसंबर तक कम यानी 38.20 लाख टन था, जबकि एक साल पहले की समान अवधि में यह मात्रा 47.40 लाख टन थी।
इसी तरह, देश के तीसरे सबसे बड़े उत्पादक राज्य कर्नाटक में चीनी उत्पादन कम यानी 24 लाख टन रहा, जबकि पिछले साल की समान अवधि में यह 26.70 लाख टन था।
हालाँकि, देश के दूसरे सबसे बड़े चीनी उत्पादक राज्य उत्तर प्रदेश में इस सत्र में दिसंबर तक 34.65 लाख टन से अधिक चीनी का उत्पादन हुआ, जबकि एक साल पहले की समान अवधि में यह 30.80 लाख टन ही था।
एनएफसीएसएफ ने कहा कि देश में औसत चीनी प्राप्ति का स्तर 9.17 प्रतिशत है और ‘‘जैसे-जैसे सर्दी बढ़ेगी, चीनी की पैदावार उसी के अनुरूप बढ़ने की उम्मीद है।’’
इसमें कहा गया है कि सत्र के अंत तक उत्तर प्रदेश में 115 लाख टन, महाराष्ट्र में 90 लाख टन, कर्नाटक में 42 लाख टन, तमिलनाडु में 12 लाख टन और गुजरात में 10 लाख टन चीनी का उत्पादन होने की उम्मीद है।
एनएफसीएसएफ के प्रबंध निदेशक प्रकाश नाइकनवरे ने कहा कि एथनॉल उत्पादन पर मौजूदा प्रतिबंध में कुछ हद तक ढील दी जा सकती है क्योंकि सत्र की शुरुआत में अनुमानित 290 लाख टन चीनी उत्पादन में लगभग 15 लाख टन की वृद्धि होने की उम्मीद है।
उन्होंने कहा कि एनएफसीएसएफ और भारतीय चीनी मिल संघ (इस्मा) संयुक्त रूप से केंद्र सरकार के साथ इस मुद्दे को उठाएंगे।